पूजनीय सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज का रहमो-करम सत्संगियों के अनुभव
प्रेमी इन्द्र सिंह पुत्र श्री बचित्र सिंह गांव लक्कड़वाली जिला सरसा से बेपरवाह जी की अनोखी रहमत का वर्णन करता है:-
गांव लक्कड़वाली के सच्चा सौदा आश्रम में गुफा तथा कुछ कमरे बने हुए थे। उस समय पानी की बहुत कमी थी। गांव की साध-संगत ने आपस में विचार-विमर्श किया कि पानी के नाले(खाल) के साथ पानी जमा करने के लिए डिग्गी बना ली जाए तो पानी भरना आसान रहेगा। इसलिए आश्रम की हद(सीमा) के अंदर डिग्गी खोद ली गई।
एक आदमी जिसकी जमीन आश्रम के साथ लगती थी, उसने डिग्गी खोदने पर इतराज किया और कहने लगा कि आश्रम को रास्ता नहीं दूंगा। उसने आश्रम का रास्ता बन्द करने के लिए कांटेदार झाड़ियों की बाड़ लगा दी। आश्रम का खाता उस भाई की जमीन के साथ सांझा था। अभी इस्तेमाल नहीं हुआ था। उस भाई के इतराज करने पर प्रेमियों ने आपस में विचार-विमर्श किया कि हमने वाधा (ज्यादती) नहीं करना क्योंकि हमें हमारे सतगुरु(पूज्य बेपरवाह मस्ताना जी महाराज) शहनशाह सार्इं जी के वचन हैं कि किसी पर वाधा न करो।
आपस में प्रेम दीनता से काम लो। प्रेमियों ने तो मालिक सतगुरु का हुक्म माना, परन्तु उस भाई ने नहीं माना। इस संबंध में शहनशाह मस्ताना जी महाराज के चरणों में विनती करने के लिए हम गांव के पांच प्रेमी सच्चा सौदा आश्रम सरसा में गए। समय मिलने पर उक्त सारी बात शहनशाह जी को बता दी। शहनशाह जी के चरणों में एक प्रेमी बोेला कि आप हमें हुक्म दें तो हम अभी उसे हटा दें। सर्व सामर्थ सतगुरु जी ने वचन किए,‘ऐसा नहीं करना।
प्रेम और दीनता से ही काम लेना है। मालिक तुम्हारे साथ हाजिर-नाजिर है। आठ दिन भजन -सुमिरन करो। प्रेम से सब काम हो जाएगा।’ सतवचन कहकर हम सभी प्रेमी वापिस आ गए। हमने गांव की साध-संगत को सारी बात बताई। हमने सभी साध-संगत के साथ मिलकर आठ दिन भजन सुमिरन किया तो उसी समय के दौरान इस्तेमाल शुरू हो गया और जो डिग्गी खोदी गई थी वह आश्रम की जमीन के अन्दर ही आ गई। सारा मसला हल हो गया। इस प्रकार साध-संगत का आपस में प्रेम और अपने सतगुरु पूज्य बेपरवाह जी के प्रति विश्वास और बढ़ गया।
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