सतगुरु के संग सजे दीपावली के रंग | मुर्शिद का दीदार पाकर दिवाली की रौणक को लगे चार चांद
पूज्य गुरु जी ने 42 लोगों को दिया घरेलू सामान
इस बार दीपावली (24 अक्तूबर) का पर्व डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत के लिए दोहरी खुशियां लेकर आया। संगत के लिए यह दीपावली अपने आप में खास थी, क्योंकि एक लंबे अंतराल के बाद पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन सान्निध्य में यह पाक-पवित्र त्यौहार मनाने का अवसर मिला था।
दीपावली पर्व को लेकर डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत की ओर से देश-विदेश में विशेष तैयारियां की गई। शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा, शाह सतनाम जी धाम सरसा, शाह मस्ताना जी धाम सरसा के अलावा सभी आश्रमों व नामचर्चा घरों में इस दिन सकारात्मक ऊर्जा संचारित करने वाले इस त्यौहार की निराली छटा बिखरी हुई थी। यह आश्रम इस कदर सजे हुए थे कि हर आगंतुक का ध्यान अपनी ओर खींच रहे थे। दिनभर चहल-पहल के बाद ज्यों ही सूर्यास्त का समय आया तो यह आश्रम दुधिया रोशनी में नहा उठे। दीपों की जगमग करती माला खूबसूरत रंगोली के रंगों को और निखार दे रही थी, विद्युत लड़ियों की टिमटिमाती रोशनी में बड़ा दिलकश नजारा पेश हो रहा था।
यह दुनियावी नजारा तब आलौकिक परिदृश्य में बदल गया जब पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने खुशियों के इस पर्व पर अपने पावन कर-कमलों से दीप जलाए। एक सत्संगी के लिए यह अपने आप में अनोखा पल था, जब उसका मुर्शिद उनके लिए रोशनी के इस त्यौहार पर समुंद्र के समुंद्र खुशियों की सौगात बांट रहा हो। हर कोई जानता है कि श्रीराम जी बुराई पर जीत करते हुए जब अयोध्या वापिस लौट रहे थे तो लोगों ने उनके स्वागत में घी के दीये जलाकर खुशियां मनाई थी, यहीं से दीपावली पर्व की शुरूआत मानी जाती है।
कुछ ऐसा ही नजारा डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालुओं के दिलों में भी नजर आ रहा था। अपने मुर्शिद के इंतजार में पलकें बिछाई बैठी संगत के लिए यह त्यौहार दोहरी खुशियों का पर्व प्रतीत हुआ। खास बात यह भी रही कि पूज्य गुरु जी ने छोटी दीपावली भी मनाई और बड़ी दीपावली के साथ-साथ भैया दूज के त्यौहार पर भी साध-संगत पर रहमत बरसाते हुए रूहानी वचनों से बेअंत खुशियां लुटाई।
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श्री रामजी के पदचिन्हों पर चलकर मनाएं यह त्यौहार
पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने दीपावली पर्व पर शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा में दीप जलाया। पूज्य गुरु जी ने आॅनलाइन गुरुकुल कार्यक्रम के माध्यम से देश-विदेश में आॅनलाइन बैठी साध-संगत को रूहानी वचनों से सराबोर करते हुए फरमाया कि हमारी तरफ से सभी को दीपावली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। यह प्रकाश का पर्व आप सबके घरों में खुशियां लेकर आए और आपके गम, दु:ख, दर्द, चिंता रूपी अंधकार को दूर कर दे और आपके घरों को खुशियों से मालामाल कर दे, प्रकाश से भर दे। भगवान से प्रार्थना करते है और आप सबको आशीर्वाद देते हैं। परमपिता शाह सतनाम, शाह मस्तान जी दाता रहबर आपकी झोलियां खुशियों से भरें।
आपजी ने फरमाया कि दिवाली हर कोई मनाता है। यह सबको पता है कि बुराई पर अच्छाई की जीत का वो दिन जब श्री रामजी अयोध्या वापिस आए थे, घर-घर दीये जले, खुशी मनाई गई। तो उसी त्यौहार को दीपावली के रूप में मनाया जाता है। लेकिन बड़े दु:ख की बात है कि आज लोग इन दिनों में जुआ खेलते हैं, नशे करते है, बुरे कर्म करते हैं और मनुष्य इसी को कहता है कि हम त्यौहार को इंजॉय कर रहे हैं। यह कोई त्यौहार को मनाने का तरीका नहीं है। त्यौहार जिस लिए बने थे, आज कलियुगी इन्सान उससे बहुत दूर हो चुका है। आज श्री रामजी के पदचिन्हों पर चलने वालों की कमी है और रावण सबके अंदर जागा हुआ है। दीपावली का दिन राम जी का दिन है, न की रावण का दिन है।
एक सवाल के जवाब में पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि एक शिष्य को अपने गुरु से भगवान को ही मांगना चाहिए और इसके अलावा गुरु से सबका भला और पूरे संसार का भला मांगना चाहिए तथा खुद के लिए सेवा-सुमिरन की भावना रखें, कि मेरी सेवा-सुमिरन की भावना कभी मरने ना पाए। एक अन्य सवाल के जवाब में पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि गुरुगद्दी पर आने से पहले हम, गरीब लोग जो आर्थिक तौर पर कमजोर होते थे, उन्हें बुलाते थे तथा उन्हें मिठाई इत्यादि बांटते थे। आज भी दिवाली पर्व पर 42 जरूरतमंद लोगों के लिए कपड़े, राशन सहित अन्य जरूरी सामान भेजा गया है।
त्यौहार पर करें जरूरतमंदों की सेवा
पूज्य गुरु जी ने आॅनलाइन गुरुकुल के माध्यम से साध-संगत से रूबरू होते हुए इस पावन पर्व पर मानवता भलाई कार्यो में कई नए कार्य शुरू करने का साध-संगत से आह्वान किया। पूज्य गुरु जी ने सही अर्थो में दिवाली मनाने के बारे में बताते हुए फरमाया कि साध-संगत इस दिन को रोड पर बैठे, बस स्टैंड पर बैठे, रेलवे स्टेशन पर बैठे और कहीं घूमते अपंग, अपाहिज, अंगहीन, बेसहारों का सहारा बनके उसे महीने भर का राशन दें। हमारे हिसाब से इससे अच्छी दिवाली कोई और नहीं हो सकती। इस दिन सभी लोग नए-नए कपड़े पहनते हैं, इसलिए साध-संगत से आह्वान करते हैं कि सर्दी आने वाली है, जिसमें गरीब बच्चे सर्दी के कारण बीमार पड़ जाते हैं और इससे कईयों की तो मौत तक हो जाती है।
इसलिए इस दिन साध-संगत ऐसे गरीब लोगों और उनके बच्चों को कपड़े पहनाकर आएं। इसके अलावा त्यौहार के अवसर पर पेड़ जरूर लगाएं तथा जो जरूरतमंद हैं और बीमार पड़े हैं, उनका इलाज भी साध-संगत जरूर कराएं। गर्भवती महिलाओं को स्वस्थ भोजन जरूर दें, ताकि उनकी आने वाली संतान सही सलामत पैदा हो। वहीं कुपोषण के शिकार बच्चों का इलाज कराने और उन्हें खुराक देने का भी आह्वान किया। इस पर साध-संगत ने हाथ खड़े करके इन कार्यों को करने की हामी भरी और प्रण लिया। पूज्य गुरु जी ने संगत को आशीर्वाद देते हुए वचन फरमाया कि यह सभी महान कार्य हैं और जो इन्हें करेंगे, उन्हें भगवान जी जरूर खुशियां देंगे।
दीपावली का शब्द दीप प्लस अवली से मिलकर बना है जिसका शाब्दिक अर्थ दीपों की अवली अर्थात दीयों की कतार या पंक्ति से है। एक प्रकार से दीपावली का त्यौहार एक यज्ञ है। क्योंकि जब घी या तेल के दीये जलाते हैं तो उससे भी वातावरण साफ होता है। घी व तेल के जलने से उसकी खूशबू वातावरण में फैलती है तो इससे मनुष्य के अंदर अच्छे विचार आने लगते हैं और नकारात्मकता दूर होती है तथा बैक्टीरिया, वायरस खत्म होते जाते हैं।
-पूज्य गुरु जी
हम दीपावली पर्व पर घी के दीये जलाते थे और पटाखे वगैरहा भी बजाते थे। लेकिन आज का दौर, जिसमें जनसंख्या बहुत बढ़ गई है, पेड़ बहुत कट रहे हैं, पानी बहुत नीचे चला गया है, इसलिए हो सकता है पहले पेड़ बेइंतहा हों और जो पटाखे चलते थे, उनसे जो प्रदूषण होता था, वो जल्दी खत्म हो जाता था। पर आज प्रदूषण पहले ही बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ है। लेकिन हमें आज तक यह समझ कभी नहीं आई कि जब पटाखे चलाते हैं तो उन्हें रोका जाता है। मगर जिन फैक्ट्रियोंं का धुंआ सारी-सारी रात और दिन प्रदूषण फैलाता है, उनका फिल्ट्रेशन करने की कोई बात नहीं करता। होली और दिवाली पर ही लोगों को प्रदूषण की याद आती है। हम इस हक में भी नहीं है कि आप पटाखे चलाकर प्रदूषण फैलाएं, लेकिन हम इस हक में भी नहीं है कि इन त्यौहारों में खुशी ना मनाएं।
भैया दूज: बहन-भाई में हो स्वच्छ रिश्ता
भैया दूज, भाई दूज की बधाई देते हुए पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि बहन-भाई का रिश्ता एक स्वच्छ रिश्ता होना चाहिए। हमारी जो संस्कृति है उसके अनुसार बहन की रक्षा के लिए रक्षाबंधन का त्यौहार भी आता है। लेकिन आजकल बेटियां भी कम नहीं हंै। वो भाई की भी रक्षा कर सकती हैं।
बहन-भाई दोनों ने एक-दूसरे के लिए स्वस्थ रिश्ता रखते हुए सिर्फ रक्षा ही नहीं करनी बल्कि एक-दूसरे को अच्छे कर्मों के लिए उत्साहित भी करें। साथ में आगे बढ़ने के लिए और घर में खुशियां लाने के लिए भी प्रेरित करें। त्यौहारों का समय चल रहा है। अगर इन त्यौहारों में मनुष्य राम-नाम को जोड़ ले, तो खुशियां दोगुणी-चौगुणी हो जाएंगी।