Diabetes डायबिटीज को रोका जा सकता है

डायबिटीज Diabetes भारत में एक रोग का जाना पहचाना नाम है जिसे लोग शुगर की बीमारी, मधुमेह, शक्कर की बीमारी आदि के नाम से जानते हैं। इसमें पेंक्रि याज अर्थात अग्नाशय से इंसुलिन का बनना कम हो जाता है, बंद हो जाता है या इससे उत्पादित इंसुलिन कार्यक्षम नहीं रहता है जिससे खानपान से प्राप्त ग्लूकोज शरीर में एकत्र होने लगता है जो अधिकता की स्थिति में मूत्र के माध्यम से बाहर निकलने लगता है।

पहले यह प्रौढ़ावस्था में अमीर लोगों को होता था किंतु अब यह व्यापक होकर सर्वसामान्य का हो गया है। भारत में इसके रोगी सर्वाधिक हैं इसीलिए भारत अब विश्व में इसकी राजधानी कहा जाने लगा है। खानपान की संस्कृति और आधुनिक आराम पसंद जीवन शैली इसे बढ़ा रही है।

भूख, प्यास अधिक लगना, पेशाब में शुगर जाना, शरीर में खुजली, घाव न भरना, पेशाब अधिक होना, वजन का अचानक घटना बढ़ना, त्वचा शुष्क व सुगंधित होना, आंखों में किरकिरी इसके प्रचलित लक्षण माने जाते हैं। लक्षणों की अधिकता की स्थिति में शुगर संभावित होती है जो रक्त व पेशाब की दो-तीन बार जांच से स्पष्ट होता है।

Diabetes डायबिटीज प्रकार व कारण

DiabetesDiabetes डायबिटीज तीन प्रकार की होती है। टाइप वन श्रेणी के शुगर में भोजन से प्राप्त ग्लूकोज को पचाने के लिए बाहरी इंसुलिन जरूरी होता है जो डॉक्टर के अनुसार मरीज को इंजेक्शन के माध्यम से दिया जाता है। भारत के शुगर मरीजों में से 10 प्रतिशत इसी श्रेणी के हैं। टाइप टू श्रेणी की डायबिटीज को जीवनशैली एवं खानपान में सुधार कर या दवा लेकर नियंत्रित किया जा सकता है। 85 प्रतिशत मरीज इस श्रेणी के हैं। जेस्टेशनल डायबिटीज का तीसरा प्रकार है जो गर्भवती महिलाओं में प्रकट होता है।

टाइप वन श्रेणी के शुगर पेशेंट बच्चे, किशोर या युवा होते हैं जो उन्हें आनुवंशिकी कारणों से होता है। टाइप टू श्रेणी के शुगर पेशेंट 35 से 40 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोग होते हैं। प्रीडायबिटिक पेशेंट, टापइ टू के पेशेंट बन जाते हैं जबकि यही टाइप टू के पेशेंट लापरवाही बरतते हैं, तब टाइप वन में बदल जाते हैं। ब्लडप्रेशर, हृदय रोग एवं मोटापाग्रस्त व्यक्ति डायबिटीज टू श्रेणी का बन जाता है। यह सब लापरवाही की वजह से होता है जिसे चाहें तो बड़ी सरलता से रोका व काबू में किया जा सकता है।

Diabetes डायबिटीज को काबू में करने व रोकने का उपाय

  • हर बीमारी को रोकना व काबू में करना पहले पहल उस मरीज के वश में होता है। प्रीडायबिटीज एवं डायबिटीज वन, टू, थ्री को जीवनशैली एवं खानपान को दुरूस्त कर रोका जा सकता है।
  • प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट व्यायाम, तेज चाल चलें या साईकिल चलाएं।
  • वजन अधिक है तो उसे घटाएं। सामान्य माप से इसे कुछ कम रखें।
  • ब्लड प्रेशर, हृदय रोग को काबू में रखें।
  • वसीय खानपान से बचें, कोलेस्ट्राल नियंत्रित रखें।
  • मीठी चीजों एवं शर्करा बढ़ाने वाली वस्तुएं अत्यन्त कम लें।
  • भोजन में सूप, सलाद व रायता लें।
  • तली व भुनी चीजें, जंक फूड, फास्ट फूड, डिब्बा बंद, बोतल बंद, वस्तुओं का सेवन न करें। कोल्ड ड्रिंक्स, जूस कदापि न लें।
  • एक बारगी ज्यादा भोजन कदापि न लें। जरूरत के अनुसार भोजन को चार भागों में बांट कर 3-4 घंटे के अंतराल में लें।
  • सलाद, सब्जी व रेशेदार चीजें ज्यादा से ज्यादा खाएं।
  • बैठे खाली समय न बिताएं। आलस न करें। कुछ न कुछ श्रम करते रहें।
  • पैदल चलें, लिफ्ट की बजाय सीढ़ी का उपयोग करें।
  • नींबू, संतरा, मौसम्मी लें। एक सेब, एक फांक पपीता से ज्यादा न लें। पका केला, पका आम, पका कद्दू न खाएं।
  • मैदा, पालिश चावल या उससे बनी वस्तुओं का सेवन न करें। दलिया, रवा, साबुत अनाज, अंकुरित अनाज, दाल उपयोग करें।
  • तनाव, निराशा, हताशा, अवसाद को पास न आने दें। चुस्त-दुरुस्त, हंसमुख, उत्साही, आशावादी व कर्मठ रहें। काम करने में तत्पर रहें।
  • समय-समय पर शुगर की जांच कराएं। सतत चिकित्सक के संपर्क में रहें। उनके निर्देश का पालन करें। किसी भी बदलाव एवं लक्षण की जानकारी डॉक्टर को जरूर दें।
    -सीतेश कुमार द्विवेदी

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