Take proper care of feet -sachi shiksha hindi.jpg

पैरों की करें उचित देखभाल

पैरों में कई तरह के घाव होते हैं, कई प्रकार की पीड़ा होती है किंतु स्त्री हो या पुरूष, सभी इसके प्रति लापरवाह दिखते मिल जाते हैं। जो पैर शरीर को पूरी तरह संभालकर उसके भार को ढोते हैं, उनके प्रति लगातार उदासीनता किसी बड़ी समस्या का कारण बन सकती है। प्रतिदिन स्रान करते समय, पैर धोते समय एवं रात को सोते समय कुछ मिनट भी इस पर ध्यान दें तो आने वाले दिनों की किसी भी बड़ी परेशानी से आप बच सकते हैं।

असावधानी के कारण सामान्य तौर पर धूल-मिट्टी की परत जम जाती है। त्वचा खुरदरी हो जाती है। एड़ियां फट जाती हैं। नाखून टूट या फट जाते हैं। यदि किसी भी व्यक्ति का मुखड़ा एवं पहरावा सब साफ-सुथरा हो और पैर गंदे हों तो यह किसी भी व्यक्ति के व्यक्तिगत पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

एड़ी का फटना एवं पीड़ा होना:-

पैरों की देखभाल के अभाव के कारण ऐसा होता है। स्रान करते या पैर धोते समय ध्यान देकर उसे नरम दांतों वाले प्लास्टिक बु्रश, खुरदरे कपड़े या सोप-स्टोन से साफ करें। पैरों को कपड़े से पोंछकर सुखाएं। सरसों या जैतून का तेल लगाएं अथवा नींबू, गुलाब जल एवं ग्लिसरीन के मिश्रण को लगाएं। पैरों पर इसे रात को लगाने से अधिक लाभ मिलता है।

पांवों में सूजन:-

अधिक भार लेकर चलने अथवा पैरों को अधिक समय तक लटकाकर रखने से पैरों में सूजन होती है। कई लोगों को कड़े जूते-चप्पल अधिक समय तक पहनने के कारण पांवों में सूजन की शिकायत होती है। सप्ताह में मात्र दो बार गर्म पानी को बाल्टी में भर लें, उसमें सेंधा नमक मिलाएं और पैरों को डालकर रखें तो बहुत राहत मिलेगी।

पांवों में गांठें होना:-

कई बार टखने के पास, पैरों की बाहरी त्वचा एवं पगतली (पांव का निचला हिस्सा) की त्वचा मोटी हो जाती है जो कालान्तर में कड़ी हो जाती है। यह अपने आप भी हो सकती है। इसके निदान के लिए पैरों में सही नाप के जूते-चप्पल पहनें। जूते सैंडिल तंग न हो। इन्हें बीच-बीच में खोलकर पैरों को हवा लगने दें एवं भूमि या भू-तल का स्पर्श होने दें। गांठों को सोप स्टोन से हल्के-हल्के रगड़कर साफ करें।

पैरों में घाव होना:-

मधुमेह पीड़ितों को अपने पैरों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। कहीं पर भी घाव हो, लाल चकती दिखें तो सतर्क हो जाना चाहिए। तंग जूते-सैंडिल एवं कड़े चप्पल पहनने से वे काटते हैं अथवा फफोले पड़ जाते हैं जो घाव में बदल जाते हैं। पैरों की उंगलियों के अधिक गीला रहने पर उनके बीच खुजली होती है। त्वचा छिल जाती है।

घाव हो जाता है और उसमें से पानी भी निकलता है। इसमें फंगस या घाव को सुखाने के लिए पाउडर लगाना चाहिए। दवा दुकानों में इस हेतु कोल्ड क्रीम एवं मलहम भी मिलता है। सरसों या मीठे तेल में पिघला कर मोम मिलाने एवं पैरों में लगाने से भी लाभ मिलता है। वैसलीन एवं एंटीसेप्टिक क्रीम लगाने से भी लाभ मिलता है।

मैल की परत:-

कभी-कभी पैरों के अंगूठे व टखने के पास मैल की मोटी परत जमा हो जाती है जो काफी प्रयासों के बाद भी नहीं हटती। अधिक रगड़ने से खरोचें पड़ जाती हंै या खून निकलने लगता है। हल्दी, नहाने का साबुन व थोड़ा सा गुड़ मिलाकर पेस्ट बनाएं। पेस्ट को मैले स्थान पर पट्टी बांधकर रखें, बाद में साफ करें। पूरा मैल उतर जाएगा। हल्दी का पीलापन नहाने या धोने से साफ हो जाएगा।

नाखून की समस्या:-

पैरों के नाखून भी साफ रखें। नेल पालिश कदापि लगातार न लगाएं। कुछ दिन साफ रखें। इस पर कोल्ड क्रीम से मालिश करें।

पैरों का व्यायाम:-

पैरों को सुंदर रखने के लिए हल्की-सी कसरत करें। पंजों को हाथों से तेजी से नीचे करें, फिर खोलें। पन्द्रह बार ऐसा करें। पांवों एवं पंजों को गोलाई से घुमाएं। पांवों का रक्त-संचार अच्छी तरह होगा। सख्त तले वाला एवं छोटा जूता, चप्पल, सैंडिल कदापि न पहनें। इनको खरीदने के लिए शाम का समय उपयुक्त होता है।

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here
Captcha verification failed!
CAPTCHA user score failed. Please contact us!