Digital Arrest

Digital Arrest जागरूकता ही बचाव है

सतर्क रहें : लोकलाज व गिरफ्तारी का भय दिखाकर आपकी कमाई को हड़पते हैं साइबर ठग

आजकल जैसे ही आप मोबाइल से कोई नंबर डायल करते हैं तो एक वैधानिक चेतावनी कानों में अवश्य सुनाई पड़ती होगी, जिसे इग्नोर करना शायद आपको भविष्य में महंगा साबित हो सकता है, क्योंकि साइबर ठग आपकी एक लापरवाही को अपने एक बड़े मुनाफे में बदलते देर नहीं लगाते और फिर आपके पास सिवाए पछतावे के कोई चारा नहीं बचता। जी हाँ, यहाँ बात कर रहे हैं देश-दुनिया में फैले साइबर क्राइम की, जो आए दिन अपने पांव पसार रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस मसले पर चिंता जताने के बाद बड़ी पहलकदमी देखने को मिली है। केंद्र सरकार द्वारा हर मोबाइल उपभोक्ता को बार-बार वैधानिक चेतावनी के द्वारा इस अपराध के बारे में सचेत किया जा रहा है, वहीं साइबर ठगों द्वारा अपनाए जा रहेभिन्न-भिन्न तौर-तरीकों से भी वाकिफ कराया जा रहा है, ताकि आपकी मेहनत की कमाई इन ठगों से ‘सेफ’ रहे, लेकिन फिर भी अकसर लोग इन बातों को अनसुना कर बैठते हैं और बड़ा आर्थिक नुकसान उठा बैठते हैं।

ताजा घटनाक्रम में दो ऐसे मामले सामने आए हैं जो अपने आप में हैरानीजनक हैं, क्योंकि इन मामलों में साइबर ठगी के शिकार हुए लोग जेंटलमैन की श्रेणी में आते हैं, लेकिन ठगों के दांव-पेंच में वे इस कदर उलझ गए कि अपनी सुध-बुध खो बैठे और एक के बाद एक लगातार ठगी का शिकार होते चले गए।

Digital Arrest पहला मामला:

बेंगलुरु में 39 वर्षीय एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर डिजिटल अरेस्ट के चलते एक महीने में 11 करोड़ रूपये लुटा बैठे। जब तक उसको इस पूरे मामले का आभास हुआ, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

ऐसे हुई ठगी:

साफ्टवेयर इंजीनियर को ट्राई (टीआरएआई) के फर्जी अधिकारी के रूप में कॉल आई कि तुम्हारे आधार कार्ड व सिम का फर्जी तरीके से इस्तेमाल हो रहा है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। साइबर ठगों ने इंजीनियर को आरबीआई के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि उसके बैंक अकाउंट के लेन-देन को सत्यापित करना होगा। उन्होंने वैरिफिकेशन के नाम पर इंजीनियर को पैसे ट्रांसफर करने को कहा। ऐसी बातों से सकपकाए इंजीनियर ने बिना-सोच विचार किए उनके बैंक अकाउंट में 75 लाख रुपए डलवा दिए।

कुछ दिन बाद दूसरे नंबरों से पुलिस अधिकारी के तौर पर कॉल आई कि आपके आधार का इस्तेमाल मनी लांड्रिग के लिए बैंक खाता खुलवाने में किया गया है। साथ ही चेतावनी भी दी कि यदि किसी को भी इस कॉल के बारे में बताया तो इस मामले में शामिल प्रभावशाली लोग तुम्हारे परिवार को नुकसान पहुँचा सकते हैं। साइबर ठगों ने इंजीनियर को वर्चुअल जांच में सहयोग न करने पर फिजिकल अरेस्ट करने की धमकी भी दी। इंजीनियर ने गिरफ्तारी से बचने के लिए दूसरे खाते में 3.41 करोड़ रुपए ट्रांसफर कर दिए। कुछ इसी तरह एक महीने के अंतराल में ठगों ने उससे लगभग 11 करोड़ रुपए पेमेंट अपने खाते में डलवा ली। इंजीनियर को जब अहसास हुआ कि यह बड़ा स्कैम था, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

Digital Arrest दूसरा मामला:

पटियाला (पंजाब) में रिटायर्ड बैंक अधिकारी सतीश सूद के साथ साइबर सिस्टम से धोखाधड़ी हुई और लगभग 51 लाख रुपए की ठगी का शिकार हो गए।

ऐसे हुई ठगी:

पीड़ित के अनुसार, उसके पास दिल्ली के गौतम नगर एरिया से एक व्यक्ति का फोन आया, उसने खुद को ट्राई का फर्जी अधिकारी बताते हुए कहा कि दिल्ली में मनी लांड्रिंग से जुड़े अपराधियों के साथ तुम्हारा नाम शामिल है। जब सतीश ने कहा कि मेरा दिल्ली में कोई बैंक अकाउंट ही नहीं है तो साइबर ठगों ने उसके नाम का फर्जी अकाउंट नंबर बनाकर उसके आधार और पैन नंबर के साथ भेज दिया, जिसके बाद सतीश घबरा गया और ठगों के चंगुल में फंस गया। यही नहीं, साइबर ठगों ने रिटायर्ड बैंक अधिकारी को पहले दिन 5 घंटे और बाद में लगातार 9 दिनों तक दो-दो घंटे तक डिजिटल अरेस्ट करते हुए 3 अलग-अलग बैंक अकाउंट में लगभग 51.20 लाख रुपए ट्रांसफर करवा लिए।

ऐसे मामलों में साइबर पुलिस जांच में जुटी रहती है, लेकिन एक बार ठगी हो जाने पर रुपए वापिस आने के चांस लगभग न के बारे होते हैं। इसलिए यदि आपको डराने-धमकाने, मनी लांड्रिंग या ऐसी कोई भी कॉल यदि आपके पास आती है, जिसमें रुपयों की डिमांड की जाती है तो सचेत हो जाइए, क्योंकि यह साइबर अपराधियों द्वारा बुना हुआ जाल है, जिससे बचने का एकमात्र उपाय आपकी जागरूकता ही है।

Digital Arrest खुद ही करें बचाव

  • अनचाही कॉल आने पर अपनी समझ का इस्तेमाल करें, तुरंत फोन कट कर दें। यानि जितना समय आप बात करेंगे, उतने ज्यादा ठगी होने के चांस बढ़ जाएंगे।
  • अनचाही कॉल आने पर डरें नहीं, अपने घरवालों से बात करें और नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाएं।
  • कॉल पर बताई गई ऐप डाउनलोड न करें।
  • फोन फॉरमैट कर दें और जानकारी हो तो तुरंत एंटीवायरस डालें।
  • जितना ज्यादा समय बीतेगा, पैसा वापिस आने का अवसर उतना कम होता जाएगा।
  • कई बार आपके खाते से ट्रांसफर करवाए पैसे को साइबर ठग विदेशों में भेज देते हैं, ऐसे में जितनी जल्दी पुलिस रिपोर्ट करेंगे, उतना ही फायदा है।

रिजर्व बैंक का प्रयास

अब देश के सभी बैंकों में अगले एक अप्रैल से आरटीजीएस-एनईएफटी पेमेंट के जरिए रकम प्राप्त करने वाले का नाम भी उजागर होगा। आरबीआई ने नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन आॅफ इंडिया से ग्राहकों को गलती से बचाने और धोखाधड़ी की रोकथाम के लिए लेन-देन की प्रक्रिया शुरु होने से पहले बैंक खाते का नाम सत्यापित करने की सुविधा तैयार करने को कहा है। हालांकि अभी तक लुकअप सुविधा में यूपीआई और आईएमपीएस में पेमेंट भेजने से पहले प्राप्त कर्ता के नाम को सत्यापित करने की सुविधा उपलब्ध है। इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग और बैंक में यह सुविधा मुहैया होगी।

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here
Captcha verification failed!
CAPTCHA user score failed. Please contact us!