पीठ पर अधिक बोझ न पड़ने दें

वृद्धावस्था में पीठ दर्द से आम तौर पर बहुत से लोग परेशान रहते हैं। पीठ दर्द के कई कारण हो सकते हैं जैसे मांसपेशियों पर अधिक बोझ, आॅस्टियोपोरोसिस, रयूमेटाइड आर्थराइटिस, स्पांडिलाइटिस, मोटापा आदि।

पीठ के दर्द का एक मुख्य कारण रीढ़ पर अधिक दबाव भी है। पीठ दर्द के अन्य कारणों में है तनाव, गलत तरीके से बैठना, सोना आदि। इस पीड़ादायक तकलीफ से बचा जा सकता है। इसके लिए कुछ सावधानियां बरतें।

अपने पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाएं क्योंकि अगर पेट की मांसपेशियां कमजोर हैं तो सारा वजन पीठ पर पड़ता है जिससे पीठ की मांसपेशियों पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए सबसे अच्छा तरीका है व्यायाम।

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पीठ की बीमारियों का भी सबसे अच्छा इलाज व्यायाम है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, मांसपेशियां कमजोर बनती हैं और कमर व जांघों में मोटापा आने लगता है इसलिए नियमित व्यायाम करके शरीर की बनावट को बिगड़ने से रोका जा सकता है। प्रतिदिन 15-30 मिनट व्यायाम करें। व्यायाम के लिए कोई भी समय तय कर लें और तैराकी, टहलना, स्किपिंग, साइकिल चलाना, दौड़ना कोई भी आसान व्यायाम कर सकते हैं परन्तु अगर आप पहले से ही पीठ संबंधी किसी रोग का शिकार हैं तो व्यायाम करने से पूर्व डॉक्टर से राय अवश्य लें।

आजकल ऊंची एड़ी के जूते चप्पलों का प्रचलन है। उन्हें पहनकर आप आकर्षक तो दिखती हैं पर आपकी पीठ को इससे क्षति पहुंचती है। इसे पहनकर मेरूदंड पर दबाव पड़ता है व मांसपेशियों व नसों पर भी प्रभाव पड़ता है। इसलिए उन्हें नियमित न पहनें। कभी-कभी इनका प्रयोग करें। नियमित पहनने वाले जूते व चप्पल आरामदेह होने चाहिए।

चलने की मुद्रा भी सही रखें। कई लोग पीठ, कंधे झुकाकर चलते हैं। इससे उनका व्यक्तित्व तो प्रभािवत होता ही है, साथ ही आपकी पीठ भी प्रभावित होती है। चलते समय आपका पेट भीतर की तरफ और सिर एकदम सीधा होना चाहिए। आपके चलते समय शरीर के किन हिस्सों पर कितना वजन पड़ता है यह बात महत्त्वपूर्ण है। इसलिए आपका शरीर चलते समय बिलकुल सीधा होना चाहिए।

कई व्यक्तियों को अपने काम के दौरान बैठे रहना पड़ता है। इससे भी उन्हें पीठ दर्द की समस्या हो जाती है। इसलिए लगातार काफी समय तक बैठे न रहें बल्कि बीच में उठकर चहलकदमी कर लें। इससे आपकी पीठ को आराम मिलेगा। इसी तरह अगर आपको अपने कार्य के दौरान खड़ा रहना पड़ता है तो भी आपकी पीठ प्रभावित होती है। इसलिए अपनी पीठ को कुछ देर लेट कर या बैठ कर आराम अवश्य दें।

जब भी दूर पड़ी चीज को उठाने जा रहे हों तो दूर से ही कमर मोड़ कर न उठाएं बल्कि वस्तु के पास जाकर उसे उठाने के लिए पहले बैठें। जो भी वजन आप उठाने जा रहे हैं उसका वजन आपकी रीढ़ की हड़डी पर नहीं बल्कि पांवों की मांसपेशियों पर पड़ना चाहिए। जब भी कोई चीज उठाएं, अपने घुटनों को मोड़िए, पीठ को नहीं। पीठ सीधी रहनी चाहिए।
आजकल सोने के लिए कई तरह के पलंगों व गद्दों का प्रचलन है पर उनके प्रयोग से आपकी पीठ को नुकसान न पहुंचे इसलिए उन्हें खरीदते समय जरूर सावधानी बरतें। बिस्तर ठोस होना चाहिए और पलंग की सतह भी बिलकुल समतल होनी चाहिए।

सोते समय भी आपके शरीर की मुद्रा महत्वपूर्ण है। कई लोग हमेशा पेट के बल सोते हैं। अगर आप भी इस आदत का शिकार हैं तो इसे बदल दें, क्योंकि यह मुद्रा आपकी रीढ़ के जोड़ों के लिए सबसे नुकसानदायक है। हमेशा करवट सोएं या पीठ के बल सोएं।

कभी भी झटके से न उठें। इससे भी पीठ पर जोर पड़ता है। काम करते वक्त कभी भी आगे की ओर झुक कर न बैठें। अखबार पढ़ते समय, टी. वी. देखते समय हमारी पीठ अक्सर मुड़ी रहती है। उस समय बेशक आपको कोई तकलीफ न हो रही हो पर आगे जाकर यही छोटी-छोटी बातें पीड़ादायक हो सकती हैं। इसलिए शुरू से ही इन छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखें व पीठ की तकलीफ से बचें।
सोनी मल्होत्रा

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