मार्च के दूसरे सप्ताह से देश भर में स्कूल और कॉलेज बंद हैं। mobile screen effect हालांकि अभी तक कोई निश्चितता नहीं है कि स्कूल फिर से कब खुलेंगे। स्पष्ट है कि वर्तमान शैक्षणिक सत्र पारंपरिक रूप से स्थापित मानदंडों के आधार पर पूरा नहीं किया जा सकता है तब नीति नियंताओं ने इसके दूरगामी असर का अनुमान लगा लिया था और वैकल्पिक मॉडल पर काफी पहले कार्य करना प्रारंभ कर दिया था। डिजिटल स्वरूप को मान्यता प्रदान की गई है।

कक्षा में आमने-सामने के संप्रेषण का स्थान इंटरनेट, मोबाइल, लैपटॉप आदि पर आभासी कक्षाओं ने ले ली है। जूम, सिसको वेब एक्स, गूगल क्लासरूम, टीसीएस आयन डिजिटल क्लासरूम आदि ने लोकप्रियता के आधार पर शिक्षा जगत में अपना-अपना स्थान बनाना प्रारंभ कर दिया है। वहीं घंटों मोबाइल पर आॅनलाइन पढ़ाई करने से बच्चों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। इससे उनकी आंखें कमजोर हो सकती हैं और स्पाइन में दिक्कत भी आ सकती है। इसलिए आॅनलाइन होमवर्क पूरा करवाने के लिए माता-पिता को भी अलर्ट रहने की जरुरत है।

स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव mobile screen effect

सूख सकता है आंखों का पानी

नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. शरद कुशवाहा के मुताबिक, मोबाइल पर लगातार पढ़ाई करवाना गलत है। इससे बच्चों की आंखों का पानी भी सूख सकता है। उन्होंने बताया कि जिन बच्चों की आंखें कमजोर हैं उन्हें सिरदर्द की समस्या भी हो सकती है। उन्होंने बताया कि ऐसे में बच्चों की आंखों से हर 5 मिनट बाद मोबाइल दूर कर दें और डॉक्टर की सलाह से उनकी आंखों में आई ड्रॉप डालें।

लंबाई पर पड़ सकता है असर

अभिभावक आॅनलाइन पढ़ाई करवाते समय बच्चों के बैठने पर ध्यान दें। ज्यादा देर झुककर बैठने से सबसे बड़ा असर उनकी लंबाई पर पड़ सकता है। साथ ही गर्दन, कमर में दर्द हो सकता है और उनकी स्पाइन में भी दिक्कत आ सकती है। इसलिए पढ़ते समय थोड़ी-थोड़ी देर में मोबाइल अलग रख दें और थोड़ी देर वॉक करें।

थकान और कमजोरी से बच्चे होंगे चिड़चिड़े

बच्चों की फिटनेस को ध्यान में रखते हुए मोबाइल का इस्तेमाल ज्यादा करने से बच्चों में थकान और कमजोरी आएगी। इससे उनमें दिनभर चिड़चिड़ापन बना रहेगा और आलस भी रहेगा। उन्होंने बताया कि मोबाइल से बेहतर होगा कि अभिभावक डेस्कटॉप पर पढ़ाई करवाएं।

एक्स्ट्रा एक्टिविटी में शामिल हों बच्चे

आॅनलाइन स्टडी का विकल्प पूरी तरह सही नहीं है। जितना यह लाभदायक है उतना ही घातक भी है। उन्होंने बताया कि आॅनलाइन पढ़ाई से अच्छा है बच्चे टीवी पर रामायण सहित अन्य धार्मिक कार्यक्रमों से अच्छी बातें सीखें और एक्स्ट्रा एक्टिविटी करें।

पौष्टिक आहार लेते रहें

बच्चों के आहार में पौष्टिक चीजें जिसमें विटामिन ए और सी हो उन्हें खिलाएं। जैसे आंवला, गाजर, पालक और हरी पत्तेदार सब्जियां खिलाएं। साथ ही उन्हें बादाम, पिस्ता जैसे कुछ सूखे मेवे भी जरूर खिलाएं। कुछ जरूरी घरेलू नुस्खे जैसे ग्रीन टी या साधारण टी बैग को कुछ देर के लिए फ्रिज में रखकर ठंडा कर लें और फिर इसे पानी में डुबोकर निचोड़कर बच्चे की आंखों पर रखें। ऐसा करने से उसे ठंडक मिलेगी और थकी हुई आंखों को आराम भी मिलेगा।

इन बातों का रखें विशेष ध्यान

  • मोबाइल को लैपटॉप, डेस्कटॉप या एलईडी से कनेक्ट करके पढ़ाई करवाएं।
  • बीच-बीच में बच्चों को ब्रेक जरूर दिलाएं।
  • माता-पिता बच्चों के बैठने के तरीके पर नजर रखें।
  • चेक करते रहें कि बच्चे कहीं गेम या चैट पर समय तो नहीं बिता रहे।
  • आॅनलाइन प्रश्न उत्तर को कॉपी पर लिखवाकर करवाएं काम।

बच्चों को घर पर पढ़ाएं अभिभावक

बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. सुचिता चतुर्वेदी ने बताया कि मोबाइल पर आॅनलाइन पढ़ाई को लेकर कई समस्याएं हैं। जरूरी नहीं कि हर घर में कई एंड्राइड फोन हों। नेटवर्क और डेटा की समस्या भी होती है। इसलिए बच्चों और अभिभावकों को भी काफी परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। स्कूल प्रशासन को आॅनलाइन क्लास की इस व्यवस्था को बंद कर देना चाहिए। अभिभावकों को खुद अपने बच्चों को घर पर पढ़ाना चाहिए।

स्कूलों ने बताए फायदे

  • लॉकडाउन के दौरान पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिए आॅनलाइन कक्षाएं जरिया बनीं।
  • स्कूलों ने दावा किया कि आॅनलाइन कक्षाओं की वजह से बच्चों में पढ़ाई करने की आदत नहीं छूटी।
  • आॅनलाइन कक्षाओं से बच्चों ने तकनीक के इस्तेमाल का नया तरीका सीखा।
  • भविष्य को देखते हुए ‘वर्क फ्रॉम होम’ की भी बच्चों में आदत पड़ी है।
  • शिक्षा प्रणाली की नई व्यवस्था पर बच्चे आॅनलाइन कक्षाओं के जरिए खुद को ढाल रहे हैं।
  • आॅनलाइन कक्षाओं से शिक्षकों ने भी पढ़ाई कराने का नया तरीका सीखा।
  • भविष्य में आॅनलाइन पढ़ाई से संबंधित कई और प्रयोग करने की तैयारी।
  • अभिभावकों के सामने ही चल रहीं कक्षाओं से वह भी बच्चों का आसानी से आंकलन कर पा रहे हैं।

अभिभावकों ने गिनाए नुकसान

  • अभिभावकों ने आॅनलाइन कक्षाओं को स्कूल की ओर से फीस लेने का जरिया बताया।
  • कक्षाओं के बीच में ही नेटवर्क संबंधी समस्याओं से बच्चों को परेशानी होती है।
  • अभिभावक के बच्चे के साथ होने की अनिवार्यता से अभिभावकों का समय बर्बाद होता है।
  • अभिभावकों का आरोप कि स्कूल अपनी जिम्मेदारी इन कक्षाओं के जरिए अभिभावकों पर डाल रहे हैं।
  • आॅनलाइन कक्षाओं में स्कूल का माहौल न होने से बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लग पाता है।
  • अचानक शुरू हुई आॅनलाइन कक्षाओं से अभिभावक नहीं जुटा पाए संसाधन।
  • प्रयोगात्मक पढ़ाई के लिए आॅनलाइन कक्षाएं सफल साबित नहीं हो रही हैं।
  • आर्थिक रूप से भी लोगों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ा है।

पांच समस्याएं

  • आॅनलाइन कक्षा में प्रैक्टिकल नहीं करा सकते। खासकर साइंस और सोशल साइंस के।
  • शिक्षकों व छात्रों के बीच समन्वय की कमी।
  • विभिन्न एप पर एक निर्धारित संख्या से ज्यादा छात्र-छात्राएं नहीं जुड़ सकते।
  • ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों के पास यह सुविधा नहीं है।
  • 40 मिनट की क्लास में शिक्षक अध्याय को संक्षेप में बता देते हैं।

पांच समाधान

  • शिक्षकों को आॅनलाइन ट्रेनिंग की जरूरत।
  • पढ़ाने और पढ़ने से पहले शिक्षक व छात्र दोनों तैयार होकर आॅनलाइन हों।
  • जिन छात्रों के पास आॅनलाइन पढ़ने के साधन नहीं हैं, उन्हें सुविधा दी जाए।
  • आॅनलाइन क्लास को विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में एक सिस्टम बनाकर अनिवार्य किया जाए।
  • आॅनलाइन कक्षा की पहुंच बढ़ाने के लिए प्लेटफॉर्म विकसित किए जाएं।

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