Rakshabandhan

Rakshabandhan छोटा होकर भी बहन के सपनों को दिए नए पंख

रक्षा बंधन को भाई-बहन का पवित्र बंधन ऐसे ही नहीं कहा जाता, उनमें एक-दूसरे के लिए समर्पण की भावना भरी होती है। एक-दूसरे को हर कदम पर सहारा देने का हौंसला निहित रहता है। एक-दूसरे को आगे बढ़ाने के लिए गहरी सोच समाई रहती है। इस रक्षाबंधन पर हम आपको एक ऐसे भाई के अनूठे जीवन से अवगत करवाएंगे, जिसने उम्र में छोटा होकर भी अपनी बड़ी बहन के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभाई।

दुष्यंत…!  इस नाम का अर्थ भी यही है कि मजबूत व्यक्तित्व का धनी होना। अपने नाम के अर्थ को सार्थक करते हुए ही दुष्यंत ने अपने जीवन में ऐसे काम भी किए हैं। पटौदी रियासत के गांव हेलीमंडी में जन्में बहन-भाई हर्षू व दुष्यंत गांव की रज में पले-बढ़े और अच्छी शिक्षा लेकर वे जीवन पथ पर कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ चुके हैं, लेकिन उनकी जड़ें अभी भी गांव से ही जुड़ी हैं।

हर्षू शर्मा अपने भाई दुष्यंत शर्मा से उम्र में बेशक बड़ी हों, लेकिन दुष्यंत ने उनके जीवन में बड़े भाई की भूमिका निभाई है। हर्षू ने खेल के क्षेत्र में कदम रखा तो भाई इस सफर में उनके साथ खड़ा रहा। उन्हें खेल का प्रशिक्षण दिलाने व खेल में किसी भी तरह की बाधा को दुष्यंत दूर करता गया। हर्षू कहती हैं कि खेल में उनकी रुचि गहरी थी, लेकिन कुछ खास नहीं कर पा रहीं थी। इसकी चिंता भी थी। इस चिंता पर उनके भाई दुष्यंत ने उन्हें हिम्मत और हौंसला दिया। हर्षू के मुताबिक, वे 10 मीटर एयर पिस्टल में नेशनल प्लेयर रही हैं। प्वायंट-22 में उन्होंने स्टेट क्वालिफाई किया। वर्ष 2021 में आॅल इंडिया सिविल सर्विसेज में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता। ‘अंतर्मन’ शीर्षक से उन्होंने एक पुस्तक भी लिखी है।

शिक्षिका के साथ सच्ची मार्गदर्शिका भी

वर्तमान में हर्षू शर्मा एक होनहार खिलाड़ी होने के साथ-साथ अध्यापिका भी हैं। उनकी प्राथमिक शिक्षा जाटौली गर्ल्ज स्कूल से हुई। जाटौली कॉलेज में उच्च शिक्षा ली। अब दिल्ली के एक सरकारी स्कूल में वे पढ़ाती हैं। गांव के स्कूल से शिक्षा लेकर देश की राजधानी में शिक्षिका बनने तक के सफर में उनके भाई दुष्यंत की भूमिका अनुकरणीय रही है। स्कूल में वे विद्यार्थियों को केवल पढ़ाई ही नहीं करातीं, बल्कि उन्हें खेलों, अनुशासन और आत्मनिर्भरता की राह पर भी चलाती हैं।

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जीवन का हर बड़ा फैसला लिया

हर्षू कहती हैं कि एक भाई ही हमेशा अपनी बहन की मदद करता है। उनका भाई भले ही छोटा हो, लेकिन उसने मेरे जीवन के लिए बड़े फैसले भी लिए हैं। उनका भाई अच्छा क्रिकेटर रहा है। उच्च शिक्षा में उन्होंने एमबीए किया। हरियाणा पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के लिए उन्होंने तैयारी की। लिखित परीक्षा तो पास कर ली, लेकिन फिजिकल टैस्ट के समय उन्हें डेंगू हो गया और पुलिस का सपना टूट गया।

इस असफलता को ताकत बनाकर उनके भाई दुष्यंत ने कदम आगे बढ़ाए और फिर लॉ की पढ़ाई शुरू की। अब वह वकालत कर रहे हैं। दुष्यंत के लिए वह दिन बेहद खास था, जब उसे अपने पहले ही केस में कोर्ट में विजयश्री हासिल हुई। इस दिन ने उनमें कई गुणा उत्साह पैदा किया।
हर्षू शर्मा आज शिक्षा और खेल के माध्यम से बच्चों का भविष्य संवार रही है और वहीं दुष्यंत शर्मा न्याय के क्षेत्र में आमजन की आवाज बनकर काम कर रहा है। -संजय कुमार मेहरा