भरें बच्चों में हिंदी के प्रति उत्सुकता – हिंदी दिवस ‘किसी विदेशी भाषा से कोई राष्ट्र महान नहीं हो सकता। कोई भी विदेशी भाषा आम लोगों की भाषा नहीं हो सकती। भारत के हित में, भारत को एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाने के हित में, ऐसा राष्ट्र बनाने के हित में जो अपनी आत्मा को पहचाने, जिसे आत्मविश्वास हो, जो संसार के साथ सहयोग कर सके, हमें हिंदी को अपनाना चाहिए।
’ यह बात पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 13 सितंबर,1949 को संविधान सभा की बहस में भाग लेते हुए कही थी। स्वतंत्रता प्रप्ति के बाद 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी।
राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर 1953 से संपूर्ण भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिंदी दिवस के रूप में मनाने का निर्णय हुआ। आजादी के 75 वर्ष बाद भी आज भारतीय संस्कृति में हिन्दी सिर्फ कहने को ही हमारी मातृभाषा है। हिंदी की उपेक्षा के पीछे लार्ड मैकाले का बहुत बड़ा हाथ था। मैकाले ने 2 फरवरी 1835 को ब्रिटेन की संसद में भारत के प्रति अपने विचार प्रकट करते हुए कहा था कि ‘मैं भारत में काफी घूमा हूँ। दाएँ- बाएँ, इधर उधर मैंने यह देश छान मारा और मुझे एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं दिखाई दिया, जो भिखारी हो, जो चोर हो।
इस देश में मैंने इतनी धन दौलत देखी है, इतने ऊँचे चारित्रिक आदर्श और इतने गुणवान मनुष्य देखे हैं कि मैं नहीं समझता की हम कभी भी इस देश को जीत पाएँगे। जब तक इसकी रीढ़ की हड्डी को नहीं तोड़ देते जो इसकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत है और इसलिए मैं ये प्रस्ताव रखता हूँ कि हम इसकी पुराणी और पुरातन शिक्षा व्यवस्था, उसकी संस्कृति को बदल डालें, क्यूंकि अगर भारतीय सोचने लग गए कि
जो भी विदेशी और अंग्रेजी है वह अच्छा है और उनकी अपनी चीजों से बेहतर हैं, तो वे अपने आत्मगौरव, आत्म सम्मान और अपनी ही संस्कृति को भुलाने लगेंगे और वैसे बन जाएंगे जैसा हम चाहते हैं।’ अपने इस सपने को साकार करने के लिए लार्ड मैकोले द्वारा 1858 में इंडियन एजुकेशन एक्ट बनाया गया, जिसके चलते भारत में मौजूद सारे गुरुकुलों को खत्म कर दिया गया और अंग्रेजी शिक्षा को कानूनी घोषित कर दिया। तभी से हिंदी अपने वजूद को जिंदा रखने के लिए संघर्ष कर रही है। आजादी के 75 वर्ष के बाद भी हिंदी को वह सम्मान नहीं मिल पाया है, जिसकी यह हकदार है।
हिंदी, हिंदुस्तानी भाषा का एक मानकीकृत रूप है जिसमें संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव शब्दों का प्रयोग अधिक है और अरबी-फारसी शब्द कम हैं। यह विश्व की चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है, भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है और संवैधानिक रूप से भारत की राजभाषा भी है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को अंग्रेजी के साथ राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया।
तदोपरान्त जवाहरलाल नेहरू सरकार ने इस ऐतिहासिक दिन के महत्व को देखते हुए हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। हिंदी दिवस के दौरान देशभर में कई कार्यक्रम आयोजित होते हैं। इस दिन छात्र-छात्राओं को हिंदी के प्रति सम्मान और दैनिक व्यवहार में हिंदी को उपयोग करने आदि की शिक्षा दी जाती है। हिंदी दिवस के दिन स्कूलों में हिंदी निबंध लेखन प्रतियोगिता, हिंदी वाद-विवाद प्रतियोगिता, इत्यादि का आयोजन होता है।
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तो आइये जानते हैं हिंदी दिवस मनाने के तरीके:-
हिंदी दिवस का पोस्टर बनायें:-
हिंदी दिवस के महत्व को बच्चों के मन में बैठाने के लिए आप उन्हें एक चार्ट पेपर पर हिंदी दिवस पर आधारित पोस्टर बनाने के लिये प्रेरित कर सकते हैं। आप एक फुल साइज चार्ट पेपर और स्केच पेन बच्चों को उपलब्ध कराएं। अब उन्हें इंटरनेट पर हिंदी दिवस के इतिहास और महत्व पर शोध करने के लिए कहे और इससे वो जो भी सीखे उसे सरल शब्दों में चार्ट पेपर पर लिखने को बोलें। साथ में चार्ट पेपर पर कुछ रंग-बिरंगे चित्र भी बनाने को बोलें, जो उनकी लेखनी से मेल खाते हों।
इस पोस्टर में आप बच्चों को हिंदी दिवस के अलग-अलग आयाम सम्मिलित करने को बोल सकते हैं जैसे कि:
- हिंदी दिवस का इतिहास।
- हिंदी भारत के कौन-कौन से राज्यों में ज्यादा बोली और समझी जाती है।
- हिंदी साहित्य के जाने-माने लेखक एवं कवियों के नामद्ध
आप बाकी अभिभावकों को भी यह करने को प्रेरित कर सकते हैं और अगर कई अभिभावक आपके साथ जुड़ते हैं, तो आप एक छोटी-सी प्रतियोगिता का आयोजन भी कर सकते हैं। इस छोटे से कार्य को प्रतियोगिता में परिवर्तित करने से बच्चे और भी प्रेरित होंगे।
हिंदी मुहावरों से वाक्य बनाने को बोलें:
बच्चे स्कूलों में हिंदी परीक्षा में नंबर लाने के लिए मुहावरे रटते जरूर हैं, लेकिन ज्यादातर बच्चे अपने दैनिक जीवन में मुहावरों का प्रयोग नहीं करते। बच्चों को मुहावरों के साथ सहज बनाने के लिए हिंदी दिवस एक बेहतरीन अवसर है। आप अपने बच्चों के सहपाठियों का एक समूह बना सकते हैं और उन सबको एक साथ ‘मुहावरा प्रतियोगिता’ में सम्मिलित कर सकते हैं। इस प्रतियोगिता में आप संचालक की भूमिका निभा सकते हैं।
हर बच्चे को आप एक मुहावरा दें और उसे उस मुहावरे का प्रयोग करके एक संपूर्ण वाक्य बनाने को कहें। इसके लिए आप हर बच्चे को 5 मिनट तक का समय दे सकते हैं। इस प्रतियोगिता में आप कई पड़ाव भी रख सकते हैं। सही जवाब पर 10 अंक और अच्छी कोशिश करने पर 5 अंक का नियम भी बना सकते हैं। विजेता बच्चे को कोई छोटा-सा पुरस्कार दें और भाग लेने वाले सारे बच्चों को भी कुछ न कुछ इनाम दें। इस खेल से बच्चे आगे चलकर अपने दैनिक जीवन में मुहावरों का प्रयोग ज्यादा करने के लिए उत्सुक बन सकते हैं।
हिंदी भाषण प्रतियोगिता:
मुहावरे वाले खेल की तरह ही आप अपने बच्चों के सहपाठियों का एक समूह बनाएं और पहले से ही उन्हें भाषण के लिए 2-3 विषय दे दें। बच्चों को इन विषयों में से किसी भी एक विषय को चुनकर उस पर भाषण तैयार करने को बोलें। हिंदी दिवस के दिन पूर्व निर्धारित समय पर सारे बच्चों को एक साथ जोड़ें और एक-एक कर बच्चों को उनका तैयार किया गया भाषण देने के लिए बोलें। इन बच्चों के अभिभावकों में से ही कुछ लोग इसके निर्णायक बन सकते हैं।
भाषणों को नंबर देने के लिए आप कुछ सरल मापदंड रख सकते हैं जैसे, स्पष्ट उच्चारण के 10 अंक, भाषण की लिखाई के 5 अंक इत्यादि। एक-एक कर बच्चों से उनके भाषण बुलवाएं और उस पर निर्णय करें। सारे बच्चों के भाषण समाप्त होने पर सारे बच्चों के लिए ताली बजाएं और उनकी सराहना में कुछ शब्द भी बोलें। प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए हर बच्चे को कुछ इनाम भी दें। जिस बच्चे के सर्वाधिक अंक आएं, उसे विजेता घोषित करें और उसे पुरस्कृत भी करें।
इन सरल तरीकों से आप अपने बच्चों को हिंदी भाषा के बारे में उत्सुक बना सकते हैं, जिससे वे आगे चल कर हिंदी को बेहतर सराह पाएंगे। यही हिंदी दिवस की सच्ची भावना और उद्देश्य है।