पहला स्वर्ण पदक -ओलंपिक: एथलेटिक्स में 121 साल का इंतजार खत्म /उपलब्धि
भारत के लिए टोक्यो ओलंपिक अब तक का सबसे सफल ओलंपिक रहा। भारत ने ओलंपिक के पहले दिन ही मेडल जीता था। वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने इस अभियान की शुरूआत सिल्वर मेडल जीतकर की थी। इसके बाद भारत के 6 और एथलीट्स ने अलग-अलग ईवेंट्स में मेडल जीते। 7 अगस्त को नीरज चोपड़ा ने जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीतकर ओलंपिक अभियान का गोल्डन फिनिश किया। हम आपको भारत के उन 7 चैंपियंस के बारे में बता रहे हैं, जिसने टोक्यो ओलंपिक को भारतीय इतिहास का सबसे सफल ओलंपिक बना दिया।
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नीरज चोपड़ा:
नीरज चोपड़ा टोक्यो ओलंपिक में एथलेटिक्स में देश के लिए मेडल जीतने वाले पहले एथलीट बन गए। उन्होंने फाइनल में 87.58 मीटर जेवलिन थ्रो कर गोल्ड मेडल जीता। यह उनका पहला ही ओलंपिक है। इससे पहले वे पूल अ के क्वालिफिकेशन में 86.65 मीटर थ्रो कर पहले नंबर पर रहे थे। उनका अब तक का बेस्ट थ्रो 88.07 मीटर है। नीरज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 6 बड़े टूनार्मेंट्स में मेडल जीत चुके हैं। वे 2018 में जकार्ता एशियन गेम्स, गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स, 2017 में एशियन चैंपियनशिप, 2016 में साउथ एशियन गेम्स और 2016 में जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। 2016 में जूनियर एशियन चैंपियनशिप में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता था।
मीराबाई चानू:
वेटलिफ्टिंग में मीराबाई ने भारत को ओलंपिक 2020 का पहला मेडल दिलाया। उन्होंने 49 किलोग्राम वेट कैटेगरी में टोटल 202 किलो वजन उठाकर सिल्वर जीता। इस तरह देश को वेटलिफ्टिंग में 21 साल बाद ओलंपिक मेडल मिला। 2017 में मीरा ने 194 किलोग्राम वजन उठाकर वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में गोल्ड जीता था। मीराबाई वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय वेटलिफ्टर हैं। यह उपलब्धि उन्होंने 2017 में (49 किलो वेट कैटेगरी) हासिल की। उन्होंने 2014 के ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में 49 किलो वेट कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीता था। मीराबाई ने 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता। इस साल (2021) अप्रैल में हुए ताशकंद एशियन वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में मीराबाई चानू ने स्नैच में 86 किग्रा का भार उठाने के बाद क्लीन एंड जर्क में वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम करते हुए 119 किलोग्राम का भार उठाया था। इससे पहले क्लीन एंड जर्क में वर्ल्ड रिकॉर्ड 118 किग्रा का था।
पीवी सिंधु:
भारत की स्टार बैडमिंटन प्लेयर पीवी सिंधु ने इतिहास रच दिया। वे ओलंपिक में लगातार 2 मेडल जीतने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी बन गईं। ओवरआॅल सुशील कुमार के बाद वे भारत की दूसरी एथलीट रहीं। सिंधु ने ब्रॉन्ज मेडल मैच में चीन की जियाओ बिंग हे को केवल 52 मिनट में 21-13, 21-15 से हराया। सिंधु ने इससे पहले 2016 रियो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीता था। सिंधु ने वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में एक गोल्ड सहित पांच मेडल जीते हैं। 2013 और 2014 में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीते। 2017 और 2018 में सिल्वर और 2019 में गोल्ड मेडल अपने नाम किया। सिंधु 2014 इंचियोन एशियन गेम्स में विमेंस टीम इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रही हैं। वहीं जकार्ता एशियन गेम्स में महिलाओं के सिंगल्स में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता। वे कॉमनवेल्थ गेम्स में भी एक गोल्ड सहित 3 मेडल जीत चुकी हैं।
लवलिना बोरगोहेन:
भारत की बॉक्सर लवलिना बोरगोहेन 69 किग्रा वेट कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। लवलिना ओलंपिक में बॉक्सिंग में भारत को मेडल दिलाने वाली भारत की ओवरआॅल तीसरी और महिलाओं में दूसरी बॉक्सर हैं। इससे पहले विजेंदर सिंह (2008) और मेरीकॉम (2012) मेडल जीत चुके हैं। लवलिना 2018 और 2019 में हुए वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी हैं। इसके अलावा वे दिल्ली में आयोजित पहले इंडियन ओपन इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूनार्मेंट में सिल्वर और गुवाहाटी में आयोजित दूसरे इंडियन ओपन इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूनार्मेंट में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। साथ ही वे 2017 में एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भी ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी हैं।
रवि दहिया:
रवि दहिया ने कुश्ती के 57 किलोग्राम वेट कैटेगरी में भारत को सिल्वर मेडल दिलाया। वे फाइनल में रूसी पहलवान युगुऐव के हाथों हार गए। रवि 2019 में नूर सुल्तान में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप के ब्रॉन्ज मेडलिस्ट रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने एशियन चैंपियनशिप में दो गोल्ड मेडल भी अपने नाम किए हैं। उन्होंने 2015 में वर्ल्ड जूनियर रेसिलिंग चैंपियनशिप में सिल्वर जीता था।
बजरंग पूनिया:
7 साल की उम्र में अखाड़े में कदम रखने वाले बजरंग पूनिया ने टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता। उन्होंने तीसरे स्थान के लिए हुए मुकाबले में कजाकिस्तान के दौलत नियाजबेकोव को 8-0 से हराया। बजरंग वर्ल्ड अंडर-23 चैंपियनशिप, कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स, एशियन चैंपियनशिप और वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी मेडल जीत चुके हैं। उन्हें पद्मश्री, अर्जुन पुरस्कार और खेल रत्न से सम्मानित किया जा चुका है। बजरंग ने सीनियर लेवल पर अपना पहला वर्ल्ड चैंपियनशिप मेडल 2013 में 60 किलोग्राम वेट कैटेगरी में जीता था।
2018 में उन्होंने बुडापेस्ट में हुई वर्ल्ड कुश्ती चैंपियनिशप में सिल्वर जीता। 2019 में भी नूर सुल्तान में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में बजरंग ने सिल्वर मेडल जीता। बजरंग एशियन कुश्ती चैंपियनशिप में 7 मेडल जीत चुके हैं। 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड कोस्ट में उन्होंने 65 किलो वेट कैटेगरी में गोल्ड जीता। 2014 ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने सिल्वर मेडल अपने नाम किया। बजरंग दो बार एशियन गेम्स में मेडल हासिल कर चुके हैं।
पुरुष हॉकी टीम:
भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने इतिहास रच दिया। टीम ने 41 साल के सूखे को खत्म करते हुए भारत को हॉकी में ब्रॉन्ज मेडल दिलाया। टीम इंडिया ने ब्रॉन्ज मेडल मैच में जर्मनी को 5-4 से हरा दिया। ओलंपिक में भारत की हॉकी टीम को आखिरी पदक 1980 में मॉस्को में मिला था। तब वासुदेवन भास्करन की कप्तानी में टीम ने गोल्ड जीता था। भारत ने ओलंपिक में सबसे ज्यादा मेडल पुरुष हॉकी में जीते हैं। टीम ने 1928, 1932, 1936, 1948, 1952, 1956, 1964 और 1980 ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता था। इसके अलावा 1960 में सिल्वर और 1968,1972 और 2021 (टोक्यो ओलंपिक 2020) में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया है।