हॉस्पिटल मैनेजमेंट सेहत, सेवा व पैसा कमाने का अवसर Hospital management health, service and opportunity to earn money
वर्तमान स्थितियों को देखते हुए स्वास्थ्य के क्षेत्र में करियर विकल्पों को तलाशना ना केवल भविष्य के लिए लाभदायक है, बल्कि सार्थकता का अनुभव देने वाला करियर विकल्प भी है। हॉस्पिटल मैनेजमेंट अवसरों से भरपूर क्षेत्र है। सेहत को लेकर लोग अब काफी सजग रहने लगे हैं और जिस तरह से इस क्षेत्र में तकनीकी बदलाव आया है, उससे अस्पतालों का स्वरूप भी अब तेजी से बदलता हुआ फाइव स्टार हॉस्पिटल बनने लगा है।
स्पष्ट है कि ऐसे में बेहतर हॉस्पिटल मैनेजमेंट के लिए संबंधित प्रोफेशनल की जरूरत तो पड़ेगी ही। हॉस्पिटल मैनेजमेंट का करियर हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन, हेल्थकेयर एडमिनिस्ट्रेशन या हेल्थकेयर मैनेजमेंट के नाम से भी जाना जाता है। मैनेजमेंट के कोर्सेज में यह तुलनात्मक रूप से नया क्षेत्र है। इन दिनों महामारी के संदर्भ में वर्तमान हेल्थकेयर सेक्टर की जरूरतें इस करियर विकल्प के महत्व को समझाने के लिए काफी हैं।
हेल्थ केयर से संबंधित अध्ययन और शोधों का मानना है कि आने वाले समय में ऐसी समस्याओं के लिए हमें बेहतर तरीके से तैयार होना होगा। स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना एक अहम काम है और उन्हें वक्त के साथ सुनियोजित ढंग से उन्नत और आधुनिक बनाते जाना भी जरूरी है। इन सभी कामों के लिए हेल्थकेयर मैनेजर्स की आवश्यकता पड़ती है।
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आंकड़ों पर एक नजर:
वर्ष 2020 की शुरूआत में पंद्रहवें फाइनेंस कमीशन द्वारा गठित एक उच्चस्तरीय कमेटी ने भी हेल्थकेयर सेक्टर में आने वाले पांच सालों में 3000 से 5000 के लगभग छोटे स्तर के निजी अस्पतालों के खोले जाने का सुझाव दिया था। प्राइसवाटर हाउस कूपर की महामारी से पहले आई रिपोर्ट कहती है कि 2034 तक भारत को 3.5 मिलियन हॉस्पिटल बेड्स की आवश्यकता होगी। यह सामान्य दिनों को देखते हुए बनाई गई रिपोर्ट थी। आज महामारी की आकस्मिक स्थिति में बढ़ी हुई जरूरत का अंदाजा आप खुद ही लगा सकते हैं। भारत सरकार की आयुष्मान भारत स्कीम के अनुसार, आने वाले 2025 तक भारत को साढ़े तीन लाख से भी ज्यादा बेड्स की आवश्यकता होगी। जाहिर है कि ऐसी जरूरतों के लिए सही प्रबंधन करने वाले कुशल युवाओं की उसी अनुपात में जरूरत पैदा होगी।
क्या होगा काम:
हेल्थ केयर एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट हॉस्पिटल मैनेजमेंट के अंतर्गत ही आता है। अस्पताल प्रबंधक अस्पताल से संबंधित सभी व्यवस्थाओं पर पैनी नजर बनाए रखता है, ताकि संसाधनों का समुचित और बेहतर इस्तेमाल हो व इलाज के लिए आने वालों को सेवा प्रदान करने का कुशल तंत्र विकसित हो। इनके अंतर्गत अस्पताल से अच्छे से अच्छे डॉक्टरों को जोड़ना, नए-नए उपकरणों और तकनीक की व्यवस्था करना आदि सब आता है। यहां तक कि हॉस्पिटल में कोई हादसा होता है तो उसकी जवाबदेही का जिम्मा भी इन्हीं प्रोफेशनल्स का होता है। अस्पताल की वित्तीय व्यवस्था, कर्मचारियों की सुविधा आदि कार्य भी उन्हें करने होते हैं।
एमबीए कोर्स को दें वरीयता:
इस क्षेत्र में एमबीए की डिग्री आपको एक शानदार भविष्य देगी। कैट, मैट, जीमैट, सीमैट जैसी प्रवेश परीक्षाओं के बाद आप अच्छे संस्थान से कोर्स चुनें। इसके बाद आपको एंट्री लेवल या मिड लेयर पदों पर नियुक्ति मिलेगी।
कोर्स में प्रवेश की शर्तें:
बैचलर्स इन हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन की डिग्री में प्रवेश पाने के लिए 12वीं में साइंस स्ट्रीम से बायोलॉजी के साथ कम से कम 50 प्रतिशत अंक अनिवार्य हैं। कई यूनिवर्सिटी में ग्रुप डिस्कशन तथा इंटरव्यू के आधार पर भी चयन किया जाता है। जो लोग गैर मेडिकल फील्ड से हैं, वो भी इस कोर्स से जुड़ सकते हैं। मास्टर इन हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन (एमएचए) में किसी भी संकाय की बैचलर डिग्री के बाद एडमिशन मिल सकता है। इसके लिए प्रवेश परीक्षा देनी होगी।
क्या हैं कोर्स:
यदि आपकी मेडिकल फील्ड में रुचि है, तो आपके लिए यह कोर्स बहुत अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। इस क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए मुख्यत: प्रोफेशनल कोर्स, बैचलर आॅफ हॉस्पिटल मैनेजमेंट होता है, जिसकी समयावधि तीन वर्ष होती है। मास्टर आॅफ हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन और एमबीए इन हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन करने के लिए दो साल की अवधि निर्धारित है। इसके चार सेमेस्टर होते हैं।
- डॉक्टोरल डिग्री एमडी/एमफिल भी कर सकते हैं, जिसके लिए मास्टर आॅफ हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन डिग्री होना अनिवार्य है। ईएमबीए, पीजीडीएचएम तथा एडीएचएम जैसे कोर्सेज की समय अवधि एक साल सुनिश्चित है। शॉर्ट टर्म से संबंधित सर्टिफिकेट कोर्स और डिप्लोमा कोर्स भी इसमें उपलब्ध हैं। लेकिन डिग्री कोर्स को वरीयता दें।
- कुछ संस्थानों, जैसे एम्स और एएफएमसी जैसे चर्चित संस्थानों में पीजी कोर्स में केवल उन छात्रों को ही मौका मिल पाता है, जिन्होंने एमबीबीएस की डिग्री पूरी कर ली होती है। इसके अलावा यदि आप डिस्टेंस लर्निग के इच्छुक हैं तो भी इसमें कोर्स उपलब्ध हैं।
जॉब प्रोफाइल:
- अनुभवी लोगों के लिए मेडिकल कॉलेजों के डीन और निदेशक तक की संभावनाएं खुली होती हैं।
- शुरूआत में ब्लड बैंक एडमिनिस्ट्रेटर, मेडिकल एंड हेल्थ सर्विस मैनेजर आदि के पदों पर नियुक्तियां मिलती हैं।
- हेल्थकेयर फाइनेंस मैनेजर्स मेडिकल संस्थान की वित्तीय योजना, प्रबंधन आदि देखते हैं।
- हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेटर, हॉस्पिटल के सेवा संचालन को देखते हैं। एचआर रिक्रूटमेंट का काम भी मिल सकता है।
जरूरी स्किल्स व चुनौतियां:
जरूरी है कि उम्मीदवार त्वरित निर्णय लेने में कुशल हो। यह प्रबंधन का क्षेत्र है, इसलिए आपकी बॉडी लैंग्वेज और बातचीत का कौशल अच्छा होना चाहिए। तनाव में अच्छा काम करके दिखाना भी आना चाहिए। मेडिकल फील्ड में हो रहे बदलावों से अपडेट रहना भी जरूरी होगा। किसी आपातकाल स्थिति के लिए भी सदैव तैयार रहना होगा। और बिना विश्राम लिए कई दिनों तक भी काम करना पड़ सकता है। कार्य की गंभीरता का दबाव भी होता है।
नौकरी के अवसर:
इस कोर्स को करने के बाद आप सरकारी या निजी, किसी भी तरह के संस्थान में काम कर सकते हैं। चाहे तो हॉस्पिटल सेक्टर, इंटरनेशनल और डोमेस्टिक हेल्थ केयर इंस्टीट्यूट, हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी, नर्सिंग होम आदि में नियुक्ति हो सकती है। अपोलो, वॉकहार्ट, मैक्स, फोर्टिस, टाटा, डंकन, विप्रो, इंफोसिस, आईसीआईसीआई बैंक, फोर्टिस हेल्थ केयर लिमिटेड, अपोलो हेल्थ केयर जैसी कंपनियों से भी जुड़ सकते हैं। फ्रैशर बतौर असिस्टेंट हॉस्पिटल मैनेजर करियर शुरू कर सकते हैं।
वेतन:
इस क्षेत्र में आकर्षक सैलरी के साथ-साथ आपको लोगों की सेवा करने का अवसर भी मिलता है। सरकारी संस्थानों में वेतन मानकों के अनुसार मिलता है लेकिन निजी संस्थानों में आप शुरूआती समय में 30 हजार से 40 हजार रुपए महीना तक कमा सकते हैं। लेकिन यह कंपनी के कद और आपकी योग्यता से तय किया जाता है। आपके अनुभव के साथ-साथ वेतन में भी बढ़ोतरी होती है।
प्रमुख संस्थान:
- एम्स, नई दिल्ली
- अपोलो इंस्टीट्यूट आॅफ हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन, हैदराबाद
- आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज, पुणे
- देवी अहिल्या विश्वविद्यालया, इंदौर
- इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ सोशल वेलफेयर और मैनेजमेंट, कोलकाता
- टाटा इंस्टीट्यूट आॅफ सोशल साइंसेज, मुंबई
एक्सपर्ट की राय:
अस्पताल प्रबंधन में करियर उन लोगों के लिए बेहतरीन विकल्प साबित होता है, जो मेडिकल फील्ड से होते हैं और उपयुक्त योग्यता के साथ प्रशासनिक योग्यता रखते हैं। इस इंडस्ट्री में खुद को सफल तरीके से स्थापित करने के लिए डिप्लोमा या क्रैश कोर्स पर्याप्त नहीं हंै। देश में अभी बहुत से हॉस्पिटल्स की जरूरत बनी हुई है, जिस वजह से आने वाले कई सालों तक इस क्षेत्र में नौकरी की अपार संभावनाएं हैं। आने वाले वर्षों में सरकारी व निजी सेक्टर में इस प्रोफेशन के जानकारों की काफी डिमांड होगी।
-तेजेंदर पाल सिंह गुलाटी, करियर काउंसलर