सतगुरु जी के परोपकार गिनाए नहीं जा सकते। प्यारे सतगुरु परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज का पूरा जीवन परोपकारों की मिसाल है।
समाज व इन्सानियत की भलाई के लिए आप जी बचपन से लेकर पूरी जिन्दगी प्रयत्नशील रहे। नूरी बचपन पर गौर करें तो हर अंदाज आप जी का उदाहरण बना। कोई भी दर पर आया, सवाल किया भूखा हूँ कुछ खाने को मिल जाए, अपनी पूज्य माता जी के पवित्र संस्कारों के फलस्वरूप उस प्रार्थी को पेट भर भोजन कराया, कोई अपने पशुओं के लिए तूड़ी-चारा लेने आया तो आपजी ने उसकी इच्छा से बढ़कर मदद की, कोई अपनी बेटी की शादी के लिए कुछ रुपयों की जरूरत की इच्छा लेकर आया तो आप जी ने पूज्य माता जी से उनकी जरूरत को हल करने के लिए आग्रह किया कि माता जी ये समझ लेना कि मेरी अपनी बहन की शादी है, इन्हें निराश बिलकुल भी नहीं करना! कोई परमपिता परमात्मा का दूत, ईश्वरीय स्वरूप ही ऐसा सोचता और ऐसा कर सकता है। इशारा उस सच्चे फकीर ने पूज्य माता-पिता जी से आप जी के जन्म से पहले ही कर दिया था कि आपके घर खुद ईश्वरीय अवतार आएगा।
पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज अपने पूज्य माता-पिता जी की इकलौती संतान थे। आप जी का जन्म 25 जनवरी 1919 को श्री जलालआणा साहिब के आदरणीय जैलदार पिता सरदार वरियाम सिंह जी के घर पूज्य माता आस कौर जी की पवित्र कोख से हुआ। ये प्रभु-परमेश्वर की इच्छा कहें या सच्चे संत-फकीरों की दुआएं या पूजनीय माता-पिता जी की तड़प अथवा इन सभी का सुमेल कहें जो आप जी ने अवतार धारण कर पूज्य माता-पिता की 18 साल के लम्बे समय की तड़प को पूरा किया। ये अद्भुत ईश्वरीय गुण आप जी के अंदर बचपन से विद्यमान थे। इन्सान तो इन्सान, पशु-पक्षी भी आप जी के रहमो-करम के कायल थे। ‘जा भाई भगता हुण तुर-फिर के चर लेआ कर। हुण अपणी शिकायत हो गई है। और वह पशु भी इतना आज्ञाकारी देखा कि सिर हिला कर मानो कह रहा हो, ‘सत वचन जी’। और सचमुच ही उसी दिन से ही उसने अपने सच्चे रहबर की नसीहत को अपनी दिनचर्या ही बना लिया था।
दिनांक 28 फरवरी 1960 को डेरा सच्चा सौदा में बतौर दूसरे पातशाह गद्दीनशीन होने के बाद सच्चा सौदा को आपजी ने बुलंदियों पर पहुंचाया। मानवता व समाज भलाई का आप जी का यह कारवां पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, यू.पी के दूर-दराज इलाकों तक फैलता ही गया, फैलता ही गया! इस दौरान सन् 1991 तक करीब 31 वर्षाें में लाखों लोगों का राम-नाम के द्वारा नशे आदि बुराइयों से छुटकारा कराया और आज करोड़ों लोग हैं जो आपजी की पावन शिक्षाओं को धारण किए हुए हैं।
मानवता व समाज पर आपजी के अतुलनीय, अनगिनत परोपकार हैं जो कभी भुलाए नहीं जा सकते। आपजी के मानवता के प्रति उन्हीं परोपकारों में पूज्य मौजूदा गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां एक प्रत्यक्ष मिसाल हैं। आप जी ने पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को स्वयं डेरा सच्चा सौदा में बतौर तीसरे पातशाह विराजमान करके साध-संगत पर भारी उपकार किया है। पूज्य गुरु जी की प्रेरणा व पावन मार्ग-दर्शन में डेरा सच्चा सौदा आज भी साध-संगत मानवता व समाज भलाई कार्योें के प्रति हर समय प्रयत्नशील है।
खण्ड-ब्रहमाण्ड हैं जिनके सहारे, वो तू ही है शाह सतनाम, शाह सतनाम!!
खण्डों-ब्रह्मण्डों में गूंज रहा है, शाह सतनाम! शाह सतनाम!!