Good Day ‘जब मेरी डेस्क पर कोई आइडिया पहुंचता है और सभी को लगता है कि यह बेहतरीन है, तो मैं आमतौर पर उसे कचरे के डिब्बे में फेंक देता हूं। वो अच्छा कैसे हो सकता है जब सभी उसे बढ़िया मान रहे हैं। किसी आइडिए के बारे में जब सब कहते हैं कि यह बेहद कठिन है, तो मैं उसे ही चुनता हूं और सोचता हूं कि कैसे इसे अलग तरह से किया जाए। मैं हमेशा खुद से कहता हूं कि आज मुश्किल दिन है, कल हालात ज्यादा खराब होंगे और सबसे कठिन दिन साबित होगा, लेकिन परसों बेहद खूबसूरत होगा। ज्यादातर लोग कल शाम तक ही हार मान लेते हैं।
आपको खूब मेहनत करने की जरूरत है, हर दिन आने वाली दिक्कतें ही दरअसल आपकी ट्रेनिंग है। जब आप ग्रैजुएट हो जाएंगे, जब आपके सीखने का कॅरिअर शुरू होगा, जो भी सर्टिफिकेट आपके पास होगा, वो केवल आपके पैरेंट्स द्वारा भरी गई फीस की वजह से आपके हाथ में होगा। असली चुनौती इसके बाद शुरू होगी, जब आप जीवन में प्रवेश करेंगे। तभी होगी आपकी असली परीक्षा। यही जिंदगी है। आपमें सिर्फ यह कॉन्फिडेंस होना चाहिए कि अगर मॉस्को यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स सफल नहीं होंगे, तो दुनिया के 99.5 फीसदी सफल नहीं हो सकते। 20 से 30 साल की उम्र वालों से मैं कहना चाहूंगा कि अच्छी कंपनी की तलाश में मत रहिए, अच्छे बॉस के साथ काम कीजिए।
उनसे खूब सीखिए। जब 30 से 40 की उम्र के बीच हों, तो खुद का कुछ करने की कोशिश कीजिए। जब उम्र 40 से 50 के बीच हो तो वो काम कीजिए जिसमें आप अच्छे हैं। बीस साल आपने किसी चीज को सीखने में गुजारे होंगे तो आप उसमें अच्छे होंगे ही। जब 50 से 60 की उम्र हासिल कर लें तो नौजवानों को सहयोग करने में वक्त गुजारिए। 60 के बाद तो अपने पोते-पोतियों के साथ वक्त गुजारिए। लोग कहते हैं कि आज के दौर में बाजार आसान नहीं रहा, कॉम्पिटीशन बढ़ गया है, व्यापार दिक्कतों से भरा है… तो मेरा जवाब होता है ऐसा हमेशा से ही था।
Good Day बाजार कभी आसान नहीं रहा। आप सिर्फ कॉन्फिडेंस के दम पर अच्छा नहीं कर सकते, एक अच्छी टीम बनाना भी जरूरी है। आप हर काम नहीं कर सकते, जैसे मैं टेक्निकल मामलों में कम जानकार हूं तो मैंने टेक्निकल टीम तैयार की और मैं उनकी सुनता हूं। अपनी सोच से मेल खाने वाले लोगों के साथ रहिए। याद रखिए, आपके लिए केवल दो समूहों की राय महत्वपूर्ण है। एक तो वो जो आपके ग्राहक हैं, दूसरे वो लोग जो आपके साथ काम कर रहे हैं। ग्राहक अगर आपके काम से खुश हैं तो चिंता की कोई बात नहीं। अगर आपके साथ काम करने वालों को यकीन है कि टारगेट हासिल होगा तो जरूर होगा। इनके अलावा किसी की राय मायने नहीं रखती, फिर वो एडवाइजर हों या लॉयर। भविष्य का कोई एक्सपर्ट नहीं होता, सब बीते कल के एक्सपर्ट होते हैं।
कस्टमर्स और टीम का आप पर कॉन्फिडेंस ही सर्वोपरि है। जहां तक कॉम्पिटिशन की बात है, अगर आपका प्रतियोगी आपको खत्म करने में पैसा बहा रहा है तो इसका मतलब है कि आप अच्छा कर रहे हैं। यहां पर भाषा की बात भी कर ही लेते हैं। भाषा वाकई बेहद अहम है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि आप अच्छी अंग्रेजी बोलते हैं तो आप ग्लोबल बिजनेस भी कर लेंगे। यकीन और नजरिया ही दुनिया बदलता है। लेकिन मैं आपको एक अलग बात बताता हूं, भाषा वाकई जरूरी है। इससे मुझे भी मदद मिली।
असल में बात भाषा की नहीं, संस्कृति की है। जब आप कोई भाषा सीखना शुरू करते हैं, तो नई संस्कृति को भी समझना शुरू करते हैं। आपमें उस संस्कृति के प्रति आदर पैदा होता है। जब आप दूसरी संस्कृतियों को सम्मान देंगे, तो जाहिर तौर वो भी ऐसा ही करेंगे। इस तरह आप साथ काम कर पाएंगे। ग्लोबल बिजनेस में आदर की खास जगह है।
जैक मा, अलीबाबा ग्रुप के सह-संस्थापक
दैनिक समाचार पत्र से साभार