मिलकर करें प्रकृति का संरक्षण -विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस (28 जुलाई)
पर्यावरण को लेकर पूरी दुनिया में लोगों को प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के लिए जागरूक किया जाता है। जिससे कि इंसान के साथ ही पृथ्वी पर सभी जीव-जन्तु और पेड़-पौधे भी जिंदा रह सकें। विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस हर साल 28 जुलाई को मनाया जाता है।
इस दिवस को मनाने का अहम मकसद जानवरों और पेड़ों को बचाना है जो पृथ्वी के प्राकृतिक वातावरण से विलुप्त होने की कगार पर हैं। इसलिए, प्रकृति को संरक्षित करने की हर शख्स की जिम्मेदारी है। आनेवाली नस्लों के साथ-साथ वर्तमान में सेहत को सुनिश्चित करने के लिए टिकाऊ दुनिया की तरफ काम करने की जरूरत है।
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महत्व:
इस दिवस के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा को लेकर दुनियाभर के लोगों के बीच जागरूकता पैदा की जाती है। एक स्वस्थ माहौल ही स्थिर और उत्पादक समाज की बुनियाद होता है और विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस भी ऐसे ही विचारों पर आधारित है। इस दिवस की महत्ता इसलिए भी है कि प्रकृति संरक्षण के जरिए ही मौजूदा और आने वाली पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित और कल्याण सुनिश्चित किया जा सकता है।
उद्देश्य:
विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस का उद्देश्य प्रकृति के संरक्षण के लिए जरूरी कदम उठाना है। प्रकृति में असंतुलन होने के कारण ही हमें आपदाओं का सामना करना पड़ता है। ग्लोबल वॉर्मिंग, महामारियां, प्राकृतिक आपदा, तापमान का अनियंत्रित तौर पर बढ़ता जाना आदि समस्याएं प्रकृति में असंतुलन के कारण ही पैदा होती हैं। देश पहले से ही कोरोना महामारी से जूझ रहा है और कई राज्य बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा झेल रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से लगातार कई भूकंप भी आ चुका है और आगे भी आने की संभावना जताई गई है। हम छोटे-छोटे प्रयासों से प्रकृति का संरक्षण कर सकते हैं।
पृथ्वी और प्रकृति को नजरअंदाज करना:
महात्मा गांधी ने एक बार कहा था कि पृथ्वी के पास हर इंसान की जरूरत पूरी करने के लिए काफी कुछ है, लेकिन उसके लालच को पूरा करने के लिए नहीं हैं। पृथ्वी पर पानी, हवा, मिट्टी, खनिज, पेड़, जानवर, पौधे आदि हर किस्म की जरूरत के लिए संसाधन है। लेकिन औद्योगिक विकास की होड़ में हम पृथ्वी को सफाई और उसके ही स्वास्थ्य को नजरअंदाज करने लगे हैं। हम कुछ भी करने से पहले यह बिलकुल नहीं सोचते कि हमारी उस गतिविधि से प्रकृति को कितना नकुसान होगा।
इन तरीके से धरती को बचाएं:
- पहला कदम है पुनर्चक्रण। यानी ऐसे चीजों को खरीदों जिसका दोबारा इस्तेमाल संबंध है और वे प्रकृति में खुद से सड़-गल जाते हैं।
- जल की बचत करें। देखने में आया है कि पानी का दुरुपयोग बड़े पैमाने पर हो रहा है। इंसान मुंह धोते समय नल को खोले रहता है, जिससे पानी बर्बाद होता रहता है। इसी तरह नहाने के समय में इंसान फालतू पानी बहाता है। इन सबसे बचने की जरूरत है। इसके अलावा जमीन के पानी को फिर से स्तर पर लाने के लिए वर्षा के पानी को सहेजने की व्यवस्था करें।
- बिजली की बचत करें। जब आपका काम हो जाए तो बिजली से चलने वाले उपकरणों को बंद कर दें। इस तरह से बिजली की भी बचत होगी और पैसे की भी। इसके अलावा सारे बिलों का भुगतान आॅनलाइन करें तो इससे ना सिर्फ हमारा समय बचेगा बल्कि कागज के साथ पेट्रोल-डीजल भी बचेगा।
- पौधे कई तरह से हमें फायदा पहुंचाते हैं। इसलिए ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाएं और इस धरती को हरा-भरा बनाएं। साथ ही जंगलों को न काटे।
- खुद सब्जियां उगाएं। दरअसल बाजार में जो सब्जियां बिकती हैं, उनको उगाने में रसायन और कीड़ानाशकों का इस्तेमाल होता है। इस तरह की सब्जियां आपके स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाती हैं। डिब्बा-बंद पदार्थो का कम इस्तेमाल।
- इधर-उधर कूड़ा फेंकने की बजाय कम्पोस्टिंग करे। इससे दो फायदा होगा। एक तो माहौल में गंदगी नहीं होगी और जब गंदगी नहीं होगी तो बीमारियां कम पैदा होंगी। दूसरा फायदा यह होगा कि कम्पोस्ट खाद मिलेगी जिसका इस्तेमाल फसल या सब्जियों की पैदावार बढ़ाने के लिए किया जा सकता है। प्लास्टिक, पॉलीथिन इस्तेमाल करना बंद करें और कागज, जूट या कपड़े की थैली इस्तेमाल करें।
- बैटरियां पर्यावरण के लिए काफी खतरनाक हैं। इसलिए बेहतर यह होगा कि ऐसी बैटरियों का इस्तेमाल करें जो दोबारा रिचार्ज हो सकें।
- धूम्रपान न केवल आपके और आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है बल्कि यह पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाता है। इसीलिए धूम्रपान नहीं करना चाहिए।
- अपने वाहन का जितना हो सके, कम इस्तेमाल करें। वाहनों के कारण भी प्रदूषण और तापमान में बढ़ोतरी हो रही है। कोशिश करें ज्यादा पैदल चलें और अधिक साइकिल चलाएं।
- लोगों को प्रकृति, पर्यावरण और ऊर्जा संरक्षण के फायदे के बारे में बताएं। उनको ऐसा करने के लिए प्रेरित करें।
- प्रकृति से धनात्मक संबंध रखने वाली तकनीकों, सामानों का उपयोग करें। जैसे- खेत में उर्वरक की जगह जैविक खाद का प्रयोग करें।
ऐसे ही प्रयासों को हम अपनी आदत बना लें तो ये तमाम प्रयास प्रकृति संरक्षण की दिशा में बहुत मददगार साबित होंगे।