32वां पावन महापरोपकार दिवस 23 सितंबर विशेष
‘रूहानी दौलत किसी बाहरी दिखावे पर बख्शिश नहीं की जाती। इस रूहानी दौलत के लिए वो बर्तन पहले से ही तैयार होता है जिसको सतगुरु अपनी नजर-ए-मेहर से पूरा करता है और अपनी नजर-ए-मेहर से वो काम लेता है जिसके बारे दुनिया वाले सोच भी नहीं सकते।’
सतगुरु वो कुछ भी कर सकते हैं जो दुनिया की कोई ताकत ऐसा नहीं कर सकती। सतगुरु दो जहान की दौलत के स्वामी होते हैं। अपनी रूहानी दौलत वो उसी पात्र को सौंपते हैं जो इसका अधिकारी होता है। इस रूहानी दौलत के लिए सतगुरु उसी को चुनता है जो धुरधाम से इसे पाने का अधिकारी होता है। परम पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने पूजनीय मौजूदा गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को अपना उत्तराधिकारी (डेरा सच्चा सौदा गुरगद्दी का अधिकारी) बनाकर अपने उपरोक्त वचनों को साकार किया।
23 सितम्बर 1990 का वह महापवित्र दिन जिस दिन पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने जब पूजनीय हजूर पिता जी को डेरा सच्चा सौदा गुरगद्दी पर बतौर तीसरे पातशाह विराजमान किया तो इस तरह यह दिन डेरा सच्चा सौदा का सुनहरी इतिहास बन गया। इस दिन 23 सितम्बर की महानता को हर खुश-किस्मत जीव भली-भांति जानता है। पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने 32 वर्ष पहले आज के ही दिन यानि 23 सितम्बर 1990 को पूजनीय हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को अपना उत्तराधिकारी बना कर साध-संगत को बता दिया कि हम जवान होकर आ गए हैं और यह भी स्पष्ट किया कि मौज अब पूरी तूफान मेल काम करेगी। पूजनीय परम पिता जी ने अपने इस परोपकारी करम के द्वारा एक नए सुनहरी इतिहास की सृजना करके सभी भ्रम-भुलेखों को दूर कर दिया, क्योंकि सतगुरु खुद सर्व-सामर्थ सबकुछ स्वयं करन-करावनहार हैं। सतगुरु के हुक्म में रहकर ही हर खुशी को पाया जा सकता है, यह सच्चाई भी सतगुरु ने सरेआम संगत में बताई है।
गुरगद्दी सौंपने की अपनी मंशा पूजनीय परम पिता जी ने साध-संगत के जिम्मेवारों के साथ डेढ़-दो साल पहले मीटिंगों में स्पष्ट कर दी थी। जिम्मेवारों से गुरगद्दी को लेकर राय मश्विरा किया। सर्व-सामर्थ सतगुरु जी ने फरमाया, ‘हम चाहते हैं कि हमारे बाद गुरगद्दी को लेकर कोई झगड़ा न हो जैसा कि अक्सर होता आया है। हम स्वयं अपने हाथों से अपनी ही हजूरी में ऐसा काम करके दिखाएंगे जो आज तक न किसी ने किया हो और शायद ही कोई कर सके। बेपरवाह मस्ताना जी ने अपने समय में पुख्ता (पक्का) काम किया परन्तु एक छोटी सी भूल जो उस समय के प्रबंधकों, जिम्मेवारों से रह गई थी, क्योंकि बेपरवाह जी के उस मौके की सारी कार्यवाही को लिखित रूप में यानि पक्के सरकारी कागजों पर नहीं लिखा गया था, केवल इस कारण से दरबार में पहले जो हुआ वह सबको ही मालूम है, परन्तु हम नहीं चाहते कि दोबारा फिर वैसा हो।’
पूजनीय परम पिता जी ने जिम्मेवारों को हौसला देते हुए फरमाया, ‘असीं किते जांदे नहीं। असीं हमेशा तुहाडे नाल ही रहांगे।
जो कुछ वी असीं करांगे, तुहाडे फायदे लई, साध-संगत दे भले लई करांगे। तुसीं किसे इहो जिहे प्रेमी दा नाम-पता लिख के देयो जो पढ़ा-लिखा, सोहणा जवान, घरों-बाहरों तकड़ा, जमीन-जायदाद वाला, अपने नगर ’च उसदा प्रभाव होवे ते चार बंदे उसदे पिच्छे लगदे होण।’ अपने भावी उत्तराधिकारी की सभी निशानियां पूजनीय परम पिता जी ने पहले ही बता दी थी, परन्तु फिर भी किसी को पता तक न चला था। जीव तो अंधा है, अंधा जीव आंखों वाले को कैसे रास्ता दिखा सकता है। पूज्य सतगुरु जी, आप जो भी करेंगे हमें मंजूर है, सेवादारों ने हाथ जोड़ पूज्य परम पिता जी से अर्ज की।
डेढ़-दो साल मीटिंगों के दौरान ही पूजनीय परम पिता जी ने अपने उत्तराधिकारी को पहले ही पक्की लिखित के द्वारा नामित कर लिया था और पूजनीय परम पिता जी ने गुरगद्दी रस्म का दिन, समय, तारीख भी पहले ही निश्चित कर ली थी। पूजनीय परम पिता जी ने अपने उत्तराधिकारी के बारे में फरमाया, ‘जैसा हम चाहते थे, बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी ने उससे भी कई गुणा अधिक गुणवान (सर्वगुण सम्पन्न) नौजवान हमें ढूंढ कर दिया है।
हम इन्हें ऐसा बब्बर शेर बनाएंगे जो मुंह तोड़ जवाब देगा। पहाड़ भी अगर इनसे टकराएगा तो वो भी चूर-चूर हो जाएगा। हमने इन्हें अपना स्वरुप बनाया है। इस बॉडी में हम खुद काम करेंगे। किसी ने घबराना नहीं। साध-संगत की सेवा व संभाल पहले से कई गुणा बढ़कर होगी। डेरा व साध-संगत और नाम वाले जीव दिन-दौगुनी, रात-चौगुनी, कई गुणा बढ़ेंगे। किसी ने चिंता, फिक्र नहीं करना। हम कहीं जाते नहीं, हर समय तथा हमेशा साध-संगत के साथ हैं।’
बेशक वह महान हस्ती आम इन्सान की तरह संसार-समाज में विचरती है, परन्तु जब उचित समय आता है तो वह दुनिया पर प्रकट हो जाती है। इसी तरह पूजनीय गुरु संत डॉॅ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां एक महान हस्ती होते हुए भी 23 साल तक आम लोगों की तरह उनमें, समाज में विचरते रहे परन्तु अपनी उच्च रूहानी हस्ती के बारे किसी को भी भेद नहीं लगने दिया। ‘नम्बरदारां दा काका’ ही लोग पूजनीय गुरु जी को समझते रहे।
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सतगुरु को प्रकट किया 23 सितम्बर 1990:-
पूजनीय परम पिता जी ने गुरगद्दी का दिन, समय, तारीख 23 सितम्बर निश्चित की, पर गुरगद्दी के बारे पक्की कार्यवाही, सभी सरकारी कार्यवाही कई दिन पहले ही अपनी वसीयत पूरी करवा ली थी। गुरगद्दी की वसीयत में यह शब्द विशेष तौर पर लिखवाए कि ‘आज से ही सब कुछ’, डेरे का धन, जमीन जायदाद और साध-संगत की संभाल की जिम्मेवारी ‘आज से ही इनकी (पूज्य गुरु जी के नाम) है।’ 23 सितम्बर के भाग्यशाली दिन की सुबह डेरा सच्चा सौदा (शाह मस्ताना जी धाम) में अनोखा उत्साह, उमंग और आनंद लेकर आई।
जैसे ही सुबह 9 बजे रूहानी मजलिस का कार्यक्रम शुरू हुआ तो पहले पूजनीय परम पिता जी शाही स्टेज पर विराजमान हुए। फिर पूजनीय परम पिता जी के हुक्मानुसार पूजनीय बापू नम्बरदार सरदार मग्घर सिंह जी व पूजनीय माता नसीब कौर जी इन्सां के इकलौते लाडले पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को पूर्ण आदर सहित स्टेज पर पूजनीय परम पिता जी के साथ सुशोभित किया, पूजनीय परम पिता जी ने स्टेज पर अपने पास बिठाया। वह दृष्य बहुत ही आनन्दायक, रूह को आकर्षित करने वाला साध-संगत को मद-मस्त कर रहा था।
पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने अपने पवित्र कर-कमलों से एक सुंदर चमकीले फूलों का हार पूज्य गुरु जी के गले में पहनाया और ईलाही प्रसाद खिलाकर गुरगद्दी की रस्म को मर्यादा पूर्वक पूरा किया। पूजनीय परम पिता जी ने इस मौके गुरगद्दी को लेकर अनमोल वचन फरमाए व इस सम्बंधी अपना हुक्मनामा भी पढ़कर साध-संगत में सुनाया गया। सारी साध-संगत को हलवे का प्रसाद बांटा गया।
रूहानियत में गुरगद्दी की बहुत ही महत्ता होती है। पूर्ण संत-सतगुरु मालिक के हुक्मानुसार दुनिया के उद्धार के लिए अपने रूहानी वारिस के बारे साध-संगत को अवगत करवाते हैं। इतिहास में बहुत बार ऐसा ही हुआ जब किसी गुरु-महापुरुष ने बताया कि उसके बाद कौन होगा। परन्तु पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने रूहानियत के इतिहास में नई मिसाल कायम की। आप जी ने स्वयं अपने पावन कर कमलों से गुरगद्दी की रस्म पूरी की और सवा साल तक पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के साथ स्टेज पर विराजमान रहे। आप जी ने उसी दिन से ही डेरा सच्चा सौदा की सभी जिम्मेवारियां पूज्य हजूर पिता जी को सौंप दी। आप जी ने फरमाया, ‘हम थे, हम हैं, और हम ही रहेंगे। ये (पूज्य गुरु जी) हमारा ही स्वरूप हैं। हम खुद इस नौजवान बॉडी में सब काम करेंगे।’
ये है वो पवित्र हुक्मनामा:-
संत श्री गुरमीत सिंह जी (पूजनीय हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां) को शहनशाह मस्ताना जी महाराज के हुक्म द्वारा जो बख्शिश की गई है, सतपुरुष को मंजूर थी।
- जो भी जीव इन से (पूज्य हजूर पिता जी से) पे्रम करेगा, वह मानो हमारे से (पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज से) प्रेम करता है।
- जो भी जीव इनका हुक्म मानेगा मानो हमारा हुक्म मानता है।
- जो इनसे भेदभाव करेगा, मानो वह हम से भेदभाव करता है।
- ये रूहानी दौलत किसी बाहरी दिखावे पर बख्शिश नहीं की जाती। इस रूहानी दौलत के लिए वह बर्तन पहले से ही तैयार होता है जिसको सतगुरु अपनी नजर-मेहर से पूरा करता है और अपनी ही नजर मेहर से उनसे वह काम लेता है, जिसके बारे दुनिया वाले सोच भी नहीं सकते।
जैसे कि एक मुस्लमान फकीर के वचन हैं:-
विच शराबे रंग मुसल्ला, जे मुर्शिद फरमावे।
वाकिफकार कदीमी हुंदा, गलती कदी न खावे।
यह सब पहले भी तुम्हारे सब के सामने हुआ शहनशाह मस्ताना जी महाराज ने जो खेल खेला उस वक्त किसी के समझ में नहीं आया। जो बख्शिश शहनशाह मस्ताना जी ने अपनी दया-मेहर से की, उसको दुनिया की कोई भी ताकत हिला-डुला न सकी। जो जीव सतगुरु के वचनों पर भरोसा करेगा, वह सुख पाएगा। मन तुम्हारा मित्र बन कर तुम्हें धोखा देगा। इसलिए जो प्रेमी सतगुरु का वचन सामने रखेगा मन से वह ही बच सकेगा और सतगुरु सदा उसके अंग-संग रहेगा।
पवित्र जीवन झलक:-
पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां राजस्थान राज्य के एक छोटे से गांव श्री गुरुसर मोडिया तहसील सूरतगढ़ जिला श्री गंगानगर के रहने वाले हैं। आप जी ने पूजनीय पिता नम्बरदार सरदार मग्घर सिंह जी के घर पूजनीय माता नसीब कौर जी इन्सां की पवित्र कोख से 15 अगस्त 1967 को जगत उद्धार के लिए अवतार धारण किया। आप सिद्धू वंश से संबंध रखते हैं। गांव के अति पूजनीय संत बाबा त्रिवैणी दास जी ने आप जी के अवतार धारण करने से पहले और अवतार धारण कर लेने के बाद पूजनीय बापू जी को स्पष्ट तौर बता दिया था
कि ये कोई आम बच्चा नहीं है। खुद, मालिक, परम पिता परमेश्वर ने अपना अवतार तुम्हारे घर तुम्हारे बेटे के रूप में भेजा है। और साथ में यह भी बताया कि ये तुम्हारे पास 23वर्ष की आयु तक ही रहेंगे, उसके उपरान्त अपने उद्देश्य, मानवता व सृष्टि के उद्धार के लिए उनके पास चले जाएंगे जिन्होंने 18 साल के लम्बे इंतजार के बाद इन्हें तुम्हारे घर तुम्हारी इकलौती संतान के रूप में भेजा है। आप जी बहुत बड़ी जमीन-जायदाद के मालिक हैं। आप जी जब मात्र 23 वर्ष की आयु में थे, तब पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने 23 सितम्बर 1990 को अपना उत्तराधिकारी बना कर डेरा सच्चा सौदा में बतौर तीसरे पातशाह गुरगद्दी पर विराजमान किया।
गुरगद्दी के बारे पूजनीय परम पिता जी के वचन
यह कोई पारिवारिक जायदाद नहीं है:-
पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने अपने भावी वारिस, डेरा सच्चा सौदा में अपने उत्तराधिकारी की तलाश में सन् 1989 से निरंतर हर महीने सेवादारों से मीटिंगें की। इसी दौरान एक मीटिंग में सेवादारों द्वारा पूजनीय परम पिता जी के शाही परिवार के एक आदरणीय मैंबर का नाम लिखित में दिया तो पूजनीय परम पिता जी ने फरमाया कि नहीं भाई, यह कोई हमारी निजी पारिवारिक जमीन-जायदाद नहीं है। यह रूहानी दौलत किसी काबिल हस्ती को ही दी जाएगी और पूजनीय परम पिता जी ने समय आने पर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को 23 सितम्बर 1990 को डेरा सच्चा सौदा गुरगद्दी पर बतौर तीसरे पातशाह विराजमान करके रूहानियत की एक बेमिसाल मिसाल कायम की।
नौजवान बॉडी में बैठकर काम करेंगे:-
पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने पूजनीय गुरु जी को 23 सितम्बर को गुरगद्दी सौंपते हुए साध-संगत में वचन फरमाए कि ‘साध-संगत जी, कुदरत के कानून को तो बदला नहीं जा सकता, अगर हमें बुजुर्ग बॉडी में देखना है तो हम तुम्हारे सामने बैठे हैं, हमें देख लो, अगर हमें नौजवान बॉडी में देखना है तो इन्हें (पूजनीय गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की तरफ इशारा करके) देख लो, ये हमारा ही रूप हैं। साध-संगत ने जो कुछ पूछना है, अब इनसे ही पूछना है। हमारा अब इसमें कोई काम नहीं है। संत जी हमारा अपना ही रूप हैं। हम खुद इस नौजवान बॉडी में बैठकर काम करेंगे। साध-संगत व डेरा की संभाल पहले से दौगुनी-चौगुनी कई गुणा बढ़कर होगी। जो सत्संगी वचनों पर विश्वास करेगा, वह सुख पाएगा।’
पहाड़ भी टकराएगा तो चूर-चूर हो जाएगा:-
पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने 23 सितम्बर 1990 को पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को डेरा सच्चा सौदा गुरगद्दी पर बतौर तीसरे पातशाह विराजमान किया। पूजनीय परम पिता जी पूज्य गुरु जी को अपना उत्तराधिकारी बनाकर बहुत खुश हुए। गुरगद्दी बख्शिश करने से दो दिन पहले पूजनीय परम पिता जी ने आश्रम के सत्ब्रह्मचारी सेवादारों से मीटिंग के दौरान स्पष्ट तौर पर फरमाया कि जैसा हम चाहते थे, बेपरवाह मस्ताना जी महाराज ने उससे कई गुणा बढ़कर गुणवान नौजवान हमें ढूंढ कर दिया है। पहाड़ भी अगर टकराएगा तो वह चूर-चूर हो जाएगा। पूजनीय परम पिता जी लगभग 15 महीने पूजनीय गुरु जी के साथ साध-संगत में मौजूद रहे।
‘राम-नाम’ और ‘मानवता सेवा’ का बढ़ता गया कारवां:-
पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज द्वारा गुरगद्दी बख्शिश के बाद पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने पूरे विश्व में राम-नाम व मानवता की सेवा का डंका बजा दिया है। आप जी द्वारा दुनिया-भर में चलाए जा रहे इन्सानियत, मानवता भलाई व समाज सुधार कार्याें को आज देश भारत ही नहीं अपितु, दुनिया के विभिन्न देशों की सरकारों और अंतर्राष्टÑीय संस्थाओं ने सर-माथे लेते हुए सलाम किया है।
समाज में व्याप्त कुरीतियों का खात्मा करने हेतू पूज्य गुरु जी ने मानवता भलाई के 142 कार्य डेरा सच्चा सौदा में शुरू किए हैं जिसमें रक्तदान, पौधारोपण, गरीबों को मकान बनाकर देना, मरणो परान्त आंखेंदान, शरीरदान, जीते जी गुर्दादान, राशन व वस्त्र वितरण (फूड बैंक, क्लॉथ बैंक), मंदबुद्धियों की संभाल, बेटियों को शिक्षित करना, कन्या भ्रूण हत्या रोकना, नशों आदि बुराइयों की रोकथाम सहित अन्य समाज भलाई के कार्य शामिल हैं।
पूज्य गुरु जी द्वारा चलाए इन मानवता भलाई कार्याें में 20 से ज्यादा कार्य महिला उत्थान से संबंधित हैं, जिसमें कुल का क्राउन, शुभदेवी, नई सुबह, आशीर्वाद, आत्म सम्मान, लज्जारक्षा, ज्ञानकली, जीवन आशा सहित कई और भी मुहिम शामिल हैं। आज देश-विदेश में 6 करोड़ से भी ज्यादा डेरा श्रद्धालु पूज्य गुरु जी की प्रेरणाओं से मानवता भलाई कार्याें में लगे हुए हैं। आप जी ने धर्म, जात व मजहब के फेर में उलझी संपूर्ण मानव जाति को न केवल एकता व भाईचारे का संदेश दिया, अपितु नि:स्वार्थ भाव से अपना हर पल मानवता के कल्याणार्थ समर्पित कर दिया।
मानवता भलाई के 79 के करीब रिकार्ड डेरा सच्चा सौदा के नाम पर दर्ज हैं जिनमें रक्तदान, पौधारोपण जैसे कार्य गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकार्डस में भी दर्ज हैं। पूज्य गुरु जी ने धरा को स्वच्छ बनाने के लिए 21 सितम्बर 2011 को देश की राजधानी दिल्ली से ‘हो पृथ्वी साफ, मिटे रोग अभिशाप’ सफाई अभियान का आगाज किया। जिसके तहत देश के 33 नगरों-महानगरों को सफाई महाअभियानों के द्वारा स्वच्छता की सौगात दी गई।
मानवता भलाई के कार्य जो हैं विश्व रिकार्ड
रक्तदान में तीन विश्व रिकार्ड:-
7 दिसम्बर 2003 को केवल 8 घंटे में 15432 यूनिट रक्तदान करने पर, 10 अक्तूबर 2004 को 17921 यूनिट रक्तदान तथा 8 अगस्त 2010 को आठ घंटें में 43732 यूनिट रक्तदान करने पर विश्व रिकार्ड बना
पौधारोपण में विश्व रिकार्ड:-
15 अगस्त 2009 को एक घंटे में 9 लाख 38 हजार 7 पौधे लगाने पर और इसी दिन 8 घंटों में (यानि एक दिन में) 68 लाख 73 हजार 451 पौधे लगाने पर डेरा सच्चा सौदा के नाम एक ही दिन में दो विश्व रिकार्ड बने हैं। इसके अलावा 15 अगस्त 2011 को एक घंटे में 19 लाख 45 हजार 435 पौधे लगाने पर एक और विश्व रिकार्ड डेरा सच्चा सौदा के नाम से गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकार्डस में दर्ज हुआ है।
केवल यही नहीं, समाज व मानवता भलाई कार्याें के अन्य भी कई रिकार्ड डेरा सच्चा सौदा व पूज्य गुरु जी के नाम एशिया बुक आॅफ रिकार्डस व इंडिया बुक आॅफ रिकार्डस में दर्ज हैं और मानवता भलाई के ये सब कार्य साध-संगत देश-विदेश में आज भी निरंतर कर रही है। स्वस्थ समाज की स्थापना के लिए पूज्य गुरु जी का यह परोपकारी करम बहुत ही सराहनीय है और देश को वह बल मिल रहा है जो आज के समय में देशहित के लिए बहुत जरूरी है।
डेरा सच्चा सौदा के दूसरे पातशाह पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को 23 सितम्बर 1990को अपना उत्तराधिकारी बना कर डेरा सच्चा सौदा में बतौर तीसरे पातशाह विराजमान करके साध-संगत पर महान परोपकार किया। पूजनीय परम पिता जी के महान परोपकारों की बदौलत डेरा सच्चा सौदा में इस महा पवित्र दिहाड़े को ‘महा परोपकार दिवस’ के रूप में धूमधाम से भण्डारे की तरह मनाया जाता है।
इस महा पवित्र दिहाड़े 32वें ‘महा परोपकार दिवस’ की समूह साध-संगत को हार्दिक बधाई हो जी।