naam japo kirat karo vand chhako -sachi shiksha hindi

नाम जपो, किरत करो, वंड छको श्री गुरु नानक देव जी के जन्मदिन Guru Nanak Jayanti (कार्तिक पूर्णिमा) पर विशेष

हिंदुस्तान की पावन धरा पर कई संत-महात्मा अवतरित हुए हैं, जिन्होंने धर्म से विमुख सामान्य मनुष्य में अध्यात्म की चेतना जागृत कर उसका नाता ईश्वरीय मार्ग से जोड़ा है। ऐसे ही श्री गुरु नानक देव जी का आगमन हुआ, जिन्होंने पाखंडवाद में पड़े लोगों को प्रभु-परमात्मा की सच्ची भक्ति से जोड़ा। श्री गुरु नानक देव जी ने अपने पारिवारिक जीवन का सुख त्यागकर लोकहित में कई यात्राएं की थीं। इन यात्राओं के दौरान श्री गुरु नानक देव जी ने मन की बुराइयों को मिटाने और कुरीतियों को दूर करने का काम किया।

श्री गुरु नानक देव जी का जन्म संवत 1526 ( सन् 1469) में कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था, उनके पिता मेहता कालू जी ‘सादा जीवन उच्च विचार’ के पक्षधर थे। श्री गुरु नानक देव जी की पूजनीय माता तृप्ता जी बहुत ही धार्मिक विचारों की धनी थी। श्री गुरु नानक देव जी का जन्म रावी नदी के किनारे बसे गांव लोखंडी में हुआ था, जो वर्तमान में शेखुपुरा (पाकिस्तान) ननकाना साहिब के नाम से प्रसिद्ध है।

बचपन से ही धार्मिक प्रवृत्ति के धनी श्री गुरु नानक देव जी ने समाज में फैली कुरीतियों और लोगों के मन से घृणा के भाव को मिटाने व आपस में प्रेम की भावना जागृत करने का काम किया। आप जी ने बाल्यावस्था में ही गुरमुखी (पंजाबी), हिन्दी व संस्कृत भाषा सीख ली थी। आप जी फारसी एवं संस्कृत भाषा के भी ज्ञाता हो गए थे। आपजी का विवाह माता सुलखणी जी से हुआ, जिनसे दो पुत्र- श्रीचन्द एवं लखमी चन्द हुए। शादी के बाद भी जब श्री गुरु नानक देव जी का मन घर-गृहस्थी में नहीं रमा तो आपजी भारत सहित अन्य देशों की यात्रा पर निकल गए और वहां धार्मिक उपदेश देकर लोगों को सही रास्ते पर लाने का कार्य किया। आप जी ने मुस्लिम धार्मिक स्थलों का भी भ्रमण किया।

मक्का, मदीना, बगदाद, मुल्तान, पेशावर, हिंगलाज आदि गये। श्री गुरु नानक देव जी ने मुगल शासक बाबर के घृणित कृत्यों का विरोध बड़े ही कड़े शब्दों में किया। इस विरोध के चलते श्री गुरु नानक देव जी को गिरफ्तार किया गया। मुगल शासकों के विरुद्ध विरोध का बिगुल फूंकने वाले श्री गुरु नानक देव जी ने एक नए स्वतंत्रता आन्दोलन का सूत्रपात किया। आपजी ने एक नये तरीके से सर्वव्यापी, सर्वशक्तिमान और सच्चे ईश्वर को प्राप्त करने का संदेश दिया। श्री गुरु नानक देव जी अपनी जीवन यात्रा के अंतिम समय में करतारपुर शहर (वर्तमान में पाकिस्तान का एक भाग), में रहे और अपना शेष जीवन वहीं पर बिताया।

वहां प्रतिदिन कीर्तन एवं लंगर की प्रथा का शुभारम्भ किया। श्री गुरु नानक देव जी ने भाई लहणा जी (श्री गुरु अंगद साहिब) को द्वितीय नानक के रूप में 1539 को स्थापित किया और ज्योति जोत समा गये। आप जी ने हक-हलाल, मेहनत, दस नहुआं दी किरत कमाई करने का उपदेश दिया। आप जी ने स्वयं दुकानदारी व खेती की। आधुनिक खेती आपजी की ही देन है। आप जी ने अपने रहमो-करम से पाखंडवाद का डटकर विरोध कर परमपिता परमात्मा के सच्चे नाम का प्रचार किया।

जब श्री गुरु नानक देव जी ने अपने चाहने वालों को कहा ‘उजड़ जाओ’!

एक बार श्री गुरु नानक देव जी अपने शिष्य मरदाना के साथ कंगनवाल पहुंचे तो उन्होंने देखा कि कुछ लोग आमजन को बड़ा परेशान कर रहे हैं। गुरु जी ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए कहा -‘बसते रहो।’ जब दूसरे गांव पहुंचे, तो अच्छे लोग दिखे।

गांव वालों को आशीर्वाद देते हुए श्री गुरु नानक देव जी ने कहा- ‘उजड़ जाओ।’ यह वाक्या देखकर मरदाने को बड़ा आश्चर्य हुआ। उसने पूछा-गुरु जी, जिन्होंने आपको अपशब्द कहे, उन्हें बसने का और जिन्होंने सत्कार किया, उन्हें आपने उजड़ने का आशीर्वाद दिया, ऐसा क्यों? श्री गुरु नानक देव जी बोले-बुरे लोग एक जगह रहें, ताकि बुराई न फैले और अच्छे लोग फैलें, ताकि अच्छाई का प्रसार हो।

मलक भागो को नेक कमाई करने का दिया उपदेश

बताते हैं कि एक बार मलक भागो ने ब्रह्मभोज के लिए समाज में खत्रियों, ब्राह्मणों और साधुओं, फकीरों व नगर वासियों को बुलाया। उसने यह निमंत्रण श्री गुरु नानक देव जी को भी दिया, किंतु पूजनीय गुरु जी ने इस भोज में आने से मना कर दिया। बार-बार अनुरोध करने पर श्री गुरु नानक देव जी वहां पहुंचे। यह देखकर मलक भागो ने गुरु जी से भोज पर न आने का कारण पूछा? तब श्री गुरु नानक देव जी ने कहा, भाई लालो की कमाई का भोजन दूध के समान है, पर तेरी कमाई का भोजन लहू के समान है।

सभा में उपस्थित सभी लोगों ने भोजन ग्रहण कर लिया, लेकिन पूजनीय गुरु जी ने अन्न का एक दाना भी ग्रहण नहीं किया। मलक भागो के पूछने पर श्री गुरु नानक देव जी ने कहा कि कोई सूझ-बुझ वाला व्यक्ति दूध को छोड़कर लहू नहीं पीता। मलक भागो द्वारा इस बात का सबूत मांगने पर श्री गुरु नानक देव जी ने दाहिने हाथ में भाई लालो की सूखी रोटी ली और भागो के भोज से एक पूरी मंगवाकर दूसरे हाथ में ले ली।

गुरु जी ने दोनों हाथों की मुठियों को जोर से दबाया तो लालो की सूखी रोटी में से दूध और मलक भागो के भोजन से लहू के टपके गिरे। यह देखकर सारी सभा हैरान हो गई। मलक भागो को अपनी गलती का अहसास हुआ और गुरु जी से क्षमा मांगी। मलक भागो ने श्री गुरु नानक देव जी से नेक कमाई करने का सबक हासिल किया।

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