65 प्रतिशत लीवर दान कर बोली, मुझे खुशी हुई कि मैं इन्सानियत के काम आई
गुरू पापा की प्रेरणा का अनूठा उदाहरण बनी नेहा इन्सां Neha Insan became a unique example of Guru Papa’s inspiration
स्वार्थ एवं मिथ्या आडंबरों का पर्याय बने इस समाज में ऐसे इन्सान भी हैं जो अपने गुरु की प्रेरणाओं पर चलते हुए इन्सानियत के लिए अपना सर्वस्व कुर्बान करने को तत्पर रहते हैं। ऐसा ही अनूठा उदाहरण पेश किया है नेहा इन्सां ने, जिन्होंने अपना 65 प्रतिशत लीवर दान कर मौत व जिंदगी के बीच जंग लड़ रहे अपने पिता को नया जीवनदान दिया है। नेहा इन्सां पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के दिखाए इन्सानियत के मार्ग पर चलने को अपना सौभाग्य मानती है। उसका मानना है कि यह सब पूज्य गुरु जी की दया-मेहर, रहमत की बदौलत से ही संभव हो पाया है, उन्होंने ही मुझे हिम्मत और हौसला दिया।
दरअसल दिल्ली के ग्रेटर कैलाश निवासी मनमोहन इन्सां को करीब छह माह (अगस्त 2019) पूर्व अचानक दोनों पैरों और पेट में भारी सूजन हुई, जिस कारण उनको सांस लेने में तकलीफ होने लगी तो उनके एक मित्र द्वारा दुबई के एस्टर अस्पताल में दिखाया गया, जहां से उन्हें दुबई हॉस्पिटल रैफर किया गया। उनके टेस्ट करवाने पर पता चला कि उनके दोनों पैरों में और पेट में पानी भरा हुआ है। 15 दिन तक उन्हें वहां भर्ती रखा और उन्हें लीवर सिरोयसिस बताया गया। डाक्टरों ने उनके शरीर से 18 लीटर पानी निकाला, जिसे देखकर खुद डाक्टर भी हैरान थे।
बाद में भारत लौटने पर मनमोहन इन्सां की दिल्ली के कई प्रसिद्ध अस्पताल जैसे मैक्स सुपरस्पेशलिटी अस्पताल साकेत, श्री गंगाराम होस्पिटल, राजीव गांधी सुपर स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल व आईएलबीएस अस्पताल से जांच करवाई। बकौल नेहा इन्सां, डाक्टरों ने पिता के लीवर में ट्यूमर की आशंका जताते हुए मात्र दो महीने का समय दिया। उनका लीवर डेमेज हो चुका था। डाक्टरों ने कहा, अगर आप इनकी जिंदगी बचाना चाहते हो तो सिर्फ दो महीने का समय है।सभी चिकित्सकों ने लीवर ट्रांसप्लेंट ही एकमात्र समाधान बताया। जैसे ही यह बात घर के सदस्यों को पता चली तो सब टेंशन में आ गए।
सभी सदस्यों ने एक साथ बैठकर सुमिरन करते हुए पूज्य पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के चरणों में अरदास की कि आप ही इस समस्या का कोई हल निकालो। नेहा ने बताया, पूज्य गुरू जी ने ही स्वयं मुझे ख्याल दिया कि क्यों ना मैं खुद ही अपना लीवर अपने पिता को दान कर दूं। मैंने जब परिवार के सामने यह बात रखी तो सबने मुझे सपोर्ट किया।
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हर लीगल प्रोसेस किया पूरा
नेहा इन्सां ने लीवर दान करने से पूर्व हर कानूनी प्रक्रिया को पूरा किया। मैक्स सुपरस्पेशलिटी अस्पताल साकेत में इसके लिए बकायदा डाक्टरों का पैनल बिठाया गया था। पहले नेहा के स्वास्थ्य से जुडे सभी टेस्ट किए गए। बकायदा डीएनए टेस्ट भी करवाया गया। यहां तक कि लीगल टीम द्वारा माता-पिता व नेहा की अलग-अलग काउंसलिंग भी करवाई गई। आखिरकार 27 दिसंबर 2019 को चिकित्सकों की टीम ने करीब 12 घंटे तक चले आप्रेशन में नेहा इन्सां का 65 प्रतिशत लीवर उसके पिता मनमोहन इन्सां को सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित कर दिया। इस दौरान नेहा इन्सां लगातार डेरा सच्चा सौदा के संपर्क में रही व यहां तक कि जरूरत पड़ने पर डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों द्वारा खूनदान भी किया गया।
सात दिनों में में 50 प्रतिशत की रिकवरी
नेहा इन्सां इस समय पूरी तरह से स्वस्थ हैं और उसके पिता भी काफी हद तक स्वस्थ हो चुके हैं। डाक्टरों के अनुसार, एक सप्ताह में नेहा का लीवर 35 प्रतिशत से ज्यादा रिकवर करता हुआ 70 प्रतिशत तक पहुंच गया।
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मुझे गर्व है अपनी इस स्टूडेंट पर, जिसने पूज्य गुरु जी की प्रेरणा पर चलते हुए इतनी बड़ी हिम्मत जुटाई। शाह सतनाम जी शिक्षण संस्थानों में बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ इन्सानियत का पाठ भी पढ़ाया जाता है।
– डॉ. शीला पूनियां इन्सां, प्रधानाचार्या शाह सतनाम जी गर्ल्ज स्कूल।
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इस बहादुरी भरे कार्य को सलाम, एक ओर जहां बच्चे अपने माता-पिता को ठुकरा रहे हैं, वहीं नेहा इन्सां ने लड़की होकर भी लीवर डोनेट करने का यह साहस भरा कार्य किया है। अकसर दुनियादारी में अभिभावकों को ही अपने बच्चों की चिंता रहती है, लेकिन पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं का ही कमाल देखिये, डेरा श्रद्धालुओं की संतानें भी अपने माता-पिता की उचित सार-संभाल करने के साथ-साथ जरूरत पड़ने पर अपने अंग दान करने से भी पीछे नहीं हटते। हमें ऐसे बच्चों पर गर्व है। नेहा इन्सां के इस साहसिक कार्य से अन्य बच्चों को भी सीख लेनी चाहिए।
-प्रो. गुरदास सिंह इन्सां।
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कुछ साल पूर्व तक सिर्फ ब्रेन डेड का ही लीवर डोनेट किया जाता था। लेकिन अब लाइव डॉनर का भी लीवर डोनेट होता है। उन्होंने कहा कि पूज्य गुरु जी की पावन प्रेरणाओं से प्रभावित होकर आज 60 हजार से अधिक डेरा श्रद्धालु गुदार्दान करने के लिए तैयार बैठे हैं, जोकि समाज के सामने एक उदाहरण है। भारत जैसे देश में अंग डोनेट करने से लोग कतराते हैं। वहीं नेहा इन्सां ने अपने पिता के लिए 65 प्रतिशत लीवर दान कर एक बहादुर बच्ची होने का परिचय दिया है।
– डा. गौरव इन्सां, ज्वाइंट सीएमओ शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल सरसा।
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नेहा इन्सां ने अपने पिता के लिए लीवर डोनेट कर बहादुरी का कार्य किया है। ऐसे बच्चे दुनिया के लिए मिसाल बनते है। लीवर डोनेशन से शरीर में किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं आती। इसका जीता जागता उदारण आपके सामने बैठी नेहा इन्सां है। जिन्होंने अपने पिता को अपना लीवर डोनेट किया है।
– डॉ. भंवर सिंह, गेस्ट्रोइन्टेरोलॉजिस्ट, सिरसा।
शाह सतनाम जी शिक्षण संस्थान ने अपनी छात्रा पर जताया गर्व
आधुनिकता के इस दौर में जहां रिश्ते-नाते खत्म होने की कगार पर हैं, ऐसे में नेहा इन्सां द्वारा उठाये गए सराहनीय कदम पर शाह सतनाम जी शिक्षण संस्थान फूले नहीं समा रहा। नेहा इन्सां के सम्मान में शाह सतनाम जी गर्ल्ज स्कूल की ओर से सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान मुख्यातिथि के रूप में पहुंचे प्रो. गुरदास इन्सां, गेस्ट्रोइन्टेरोलोजिस्ट डॉ. भंवर सिंह, शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल के ज्वाइंट सीएमओ डॉ. गौरव इन्सां ने नेहा इन्सां के इस कार्य की भरपूर प्रशंसा की।
वहीं शाह सतनाम जी गर्ल्ज स्कूल की प्रधानाचार्या डॉ. शीला पूनिया इन्सां ने कहा कि नेहा ने बहादुरीभरा कार्य करके बेटियों का मान-सम्मान बढ़ाने का कार्य किया है। इस दौरान नेहा इन्सां को शॉल पहनाकर, गोल्ड बैच लगाकर व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। गौरतलब है कि नेहा इन्सां शाह सतनाम जी शिक्षण संस्थान की छात्रा रह चुकी हैं। नेहा इन्सां ने वर्ष 2007 से 2012 के मध्य शाह सतनाम जी गर्ल्ज कालेज से बी.सी.ए. व एम.सी.ए. की शिक्षा ग्रहण की है।
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