plum apple-like sweetness, production uncountable

बेर सेब-सी मिठास, उत्पादन बेशुमार
देश में कई ऐसे युवा किसान है जिन्होंने बड़ी-बड़ी डिग्रियां लेने के बावजूद कृषि को अपनाया है।

इसमें एक नाम अब हरियाणा के भिवानी जिले के निमड़ीवाली गांव के डॉ. अजय बोहरा का भी जुड़ गया है। वे न सिर्फ खुद कृषि कर रहे हैं बल्कि अपने क्षेत्र के अन्य किसानों को भी आॅर्गनिक कृषि करने के लिए प्रेरित और प्रशिक्षित कर रहे हैं।

तो आइये जानते हैं डॉ अजय बोहरा की कहानी-

5 एकड़ में लगाएं एप्पल बेर

डॉ अजय ने बताया कि उन्होंने अपनी 5 एकड़ जमीन में थाई एप्पल बेर की किस्म लगा रखी हैं। इसके पौधों को 12 बाई 12 फीट की दूरी पर लगाया जाता है। इस तरह प्रति एकड़ में 225 पौधे आसानी से लगाए जा सकते हैं। एप्पल बेर की इस किस्म में डेढ़ साल बाद ही फ्रूट आने लगते हैं। पहली तुड़ाई में प्रति पौधे से 20 से 25 किलो फल मिलता है। वहीं 4 से 5 साल बाद परिपक्व अवस्था में प्रति पौधे से 80 किलो से 1 क्विंटल तक का उत्पादन लिया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस किस्म का एप्पल बेर सौ से सवा सौ ग्राम का होता है। वे बाग में टपका सिंचाई का इस्तेमाल करते हैं।

डॉ. बोहरा की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वह मुख्य फसल के साथ-साथ अलग प्रकार की खेती भी उगाते हैं। जैसे एप्पल बेर के खेत में ही बीच में उन्होंने मूंग की बिजाई कर रहे हैं। एक बार उन्होंने आलू की बिजाई की थी, जिसका गुरुग्राम की फेयरलैब में टेस्ट किया गया था जो सौ प्रतिशत आर्गेनिक साबित हुआ है। उस लैब में 54 प्रकार के केमिकल का टेस्ट किया गया था, जिनकी आलू में कोई मात्रा नहीं मिली। उसी आलू को उन्होंने गुरुग्राम में बेचा तो मंडी में आलू तीन रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहा था, ऐसे में उनके आलू की 50 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक्री हुई। उनका आर्गेनिक गेहूँ भी तीन हजार रुपये क्विंटल के हिसाब से बिका, जिसकी आसपास के क्षेत्र में खूब डिमांड है।

5 से 7 लाख की कमाई

2009 लॉ डिग्री लेने बाद डॉ अजय बोहरा ने वकालत की बजाय अपना खुद का टाइल्स का बिजनेस शुरू किया। लेकिन इस बिजनेस को उन्होंने साल 2018 में बंद कर दिया। आज वे एप्पल बेर समेत अन्य फसलों की जैविक कृषि कर रहे हैं। यही वजह हैं कि उनकी फसल खेत से ही बिक जाती है। डॉ. अजय बताते हैं कि पहले साल उन्हें 2.5 लाख रुपए की कमाई हुई थी। वहीं इस साल 5 से 7 लाख रुपए की कमाई होने की संभावना है।

तरल खाद भी की जाती है तैयार

डॉ. अजय कुमार बोहरा 20 ड्रम में अलग-अलग प्रकार की तरल खाद भी तैयार करते हैं। इसमें माक्रोब्स की मात्रा अधिक होती है। जैविक खेती में मुख्य तौर पर सूक्ष्म जीवों से खेती होती है। सुक्ष्म जीव तरल खादों में अधिक पाए जाते हैं। इन खादों के लिए हमें खाली ड्रम, गुड़, देसी गाय का गोबर व गोमूत्र, चूना, लोहा, तांबा, जिंक, निंबोली, बेसन बड़ के नीचे की मिट्टी आदि वस्तुओं की जरूरत होती है।

आॅर्गेनिक फार्मर व ट्रेनर अवॉर्ड से सम्मानित

बैंकाक में 23 फरवरी को ग्लोबल ट्रम्प फाऊंडेशन द्वारा जीटीएफ व वर्ल्ड समिट 2019 का आयोजन में भारत देश का नेतृत्व करते हुए जैविक किसान व ट्रेनर अजय कुमार बोहरा ने भाग लिया था, जिसे बेस्ट आॅर्गेनिक फार्मर व ट्रेनर अवॉर्ड से नवाजा गया। अजय कुमार बोहरा ने बताया कि समारोह में विभिन्न क्षेत्रों से श्रेष्ठ कार्य करने वालों को आमंत्रित किया गया था। उन्होंने बताया कि वे 2009 से खेती का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने पांच एकड़ में एप्पल बेर का बाग लगा रखा है। जो संपूर्ण रूप से आॅर्गेनिक है। उन्होंने दावा किया कि हमारे बेर का मिठास व जूस मार्केट में उपलब्ध ऐप्पल बेर में नहीं मिलेगा। इसके अलावा 6 अप्रैल 2019 को कोलकाता में ग्लोबल पीस फाउंडेशन डाक्टरेट की मानद उपाधी से नवाजा। 23 अप्रैल 2019 को खांडाखेड़ी में समृद्ध किसान ग्रामीण विकास संस्था ने जहर मुक्त खेती को बढ़ावा देने के लिए एक लाख रुपये देकर सम्मानित किया।

संपर्क करें: 94165-24495

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