दूसरी पारी की करें जोरदार तैयारी

जब तक आप नौकरी में होते हैं, सब कुछ यथावत चल रहा होता है। सब कुछ व्यवस्थित रहता है। लगता है हम कुछ नहीं कर रहे। यह वह समय होता है, जब आप अपने सिवा बाकी सबके लिए जी रहे होते हैं। इसका एक फायदा यह भी होता है कि लोग आपको महत्ता देते हैं। आपके निर्णय सब मानते हैं, जिससे आपमें एक उत्साह भी रहता है। लेकिन रिटायरमेंट के अगले दिन से सब कुछ उल्टा होने लगता है।

आप यदि घर में रहने लगते हैं, तो आप कतार में सबसे पीछे हो जाते हैं। बच्चों को स्कूल-कॉलेज जाना होता है, जाहिर है कि आपको तो कहीं जाना नहीं। नहाने को आप सबसे पहले पहुँचते थे, पर अब आप इंतजार करते हैं कि सब नहा धोकर चले जाएं। आपको तो घर पर ही रहना है। अभी तक आप दूसरों के लिए जिए थे, अब समय है अपने लिए जीने का। तो आइये इस सेकंड इनिंग की तैयारी करते हैं।

रिटायर होना एक नए पड़ाव से जीवन शुरू करने का नाम है। यह नव उत्साह का समय है। नयी तरह से जीवन की व्यवस्था जमाने का सुनहरा अवसर है। बच्चों की पढ़ाई और उनके करियर बनाने की जिम्मेदारी जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाता है। बच्चे बड़े हो जाते हैं और अपनी-अपनी गृहस्थी में रमने लगते हैं। इसके बाद रिटायरमेंट आ जाता है। सेवानिवृति वह वक्त है, जब आपको खुद के लिए समय निकालने की जरूरत है। इसके लिए योजना बनाना भी जरूरी है। योजना हर पहलू पर सोचने का मौका देती है।

पूर्वाभ्यास जरूरी है:

  • रिटायरमेंट के एक साल पहले से अपने तिमाही स्वास्थ्य चेकअप का नियम बना लें। आपको इसके खर्च का अंदाजा हो जाएगा और जरूरी दवाएं व फंड अलग रखने में भी सुविधा होगी।
  • रिटायरमेंट के छ: महीने पहले से अपने लिए कोई नया शौक शुरू कर लें, जिसे रिटायरमेंट के बाद पूरी तरह से अपनाकर समय का सदुपयोग कर सकें।
  • रिटायरमेंट के 3-4 महीने पहले से ही अपनी पेंशन जितनी राशि से अपनी जरूरतें पूरी करने की कोशिश करें। रिटायरमेंट की तारीख आते-आते आप अपने गैर-जरूरी खर्चों को पहचानना सीख जाएंगे।
  • एक महीने पहले से रोज उन लोगों के साथ समय बिताएं, जो रिटायरमेंट के बाद खुशनुमा जिंदगी बिता रहे हैं। इनकी मदद से आप रिटायर्ड जिंदगी में आत्मविश्वास भरा कदम रख सकेंगे।
  • बच्चों को आप अपनी सलाह जरूर दें, पर फिजूल के रायचंद न बनें। यह भी देखें कि आपकी राय को सम्मान मिल भी रहा है या नहीं।

खुद को व्यस्त रखें:

कार्यस्थल पर सम्पूर्ण समर्पण, शारीरिक व्याधियों और थकान को भुला देता है। खाली दिमाग शरीर को बीमारियों का घर बना देता है। जिन घंटों में दफ्तर जाते थे, उन घंटों में कोई छोटा-मोटा काम करें। आप उस समय में अपने शौक को समय दें। अगर आप इस समय चक्र से निकलकर कुछ करना चाहें, तो और अच्छा।

जितना व्यस्त रहें उतना अच्छा। उतना स्वस्थ रहेंगे। जो करें प्रसन्न रहने के लिए करें। पर याद रखें मस्त रहें, व्यस्त रहें, पर अस्त-व्यस्त न रहें। जो करें प्रसन्न रहने के लिए करें। आप काम को कभी भी बोझ न समझें। आप व्यस्त रहेंगे तो आपका कभी भी ध्यान नहीं भटकेगा। व्यस्त व्यक्ति का दिमाग बहुत सुलझा रहता है। उसे कभी भी उल्टा सोचने का समय नहीं मिलता।

मिलते-जुलते खुश रहें:

यह समय दोस्ती और मेल-जोल बढ़ाने का है। नौकरी से निवृति के कारण खुद को घर में कैद न करें। समय की बंदिश हट गई है। सो खुलकर घूमें फिरें। अपने व्यक्तित्व पर ध्यान दें। नौकरी पर जिस सुरुचि पूर्ण तरीके से तैयार होते हैं, उसी तरह अब भी रहें। व्यवस्था से मन आश्वस्त रहता है और यहीं से सुकून का रास्ता निकलता है। मिलने-जुलने से आपका सर्कल बढ़ता है, इससे आप में कभी भी सेन्स आॅफ इनसिक्युरिटी नहीं बढ़ती।

पहले की तरह रहें व्यवस्थित:

इस्त्री करे हुए कपड़े, पॉलिश व चमकदार जूते और काढ़े हुए बाल, इसी तरह तो काम पर जाते थे आप। इसे रिटायरमेंट के बाद भी इसी तरह बरकरार रखें। रोजाना खुद को इसी तरह व्यवस्थित रखें। अच्छे कपड़े व व्यवस्थित रहन-सहन सब को खुशी देता है। यदि आप पहले की तरह व्यवस्थित रहते हैं, तो आपमें गजब का उत्साह रहेगा। आप अपने को जवान व आकर्षण का केंद्र बना पाएंगे।

समझदारी से रिश्ता निभाएं:

रिश्ते बनाना अपने-आपमें एक कला है। पर रिश्ते निभाना एक साधना है। रिश्ते बनाएं और उन्हें सूझ-बूझ से निभाएं। रिश्ते कभी एक तरफा नहीं निभते हैं। दोनों तरफ से निभाया जाए तो रिश्तों की डोर मजबूत होती है और जीवन आसान होता है। यदि आपके बच्चे नौकरी के सिलसिले में शहर से बाहर हैं या अपनी-अपनी गृहस्थी में व्यस्त हैं, तो उनके फोन का इंतजार करने की बजाय स्वयं उनके हाल चाल जानें।

समय के साथ चलना सीखें:

अपनी निराशा दूर करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा भी ले सकते हैं। यदि आपको इसका इस्तेमाल करना नहीं आता है तो सीखें। नयी चीजें सीखेंगे तो नयी जानकारी मिलेगी और मन में उत्साह बढ़ेगा। सोशल मीडिया पर सीमित ही सही लेकिन एक्टिव रहें। समय के साथ चलने में आप अपनी गति को बना कर रख सकते हैं। आपको हड़बड़ी नहीं करनी पड़ेगी। याद रखें कि आपके बालों की सफेदी आपकी पूँजी है। इसका अनादर न करें। अपने आप में कुछ बदलाव लाकर आप सब के लिए सम्माननीय बन सकते हैं। – मधु सिधवानी

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