Second mother is daughter

‘दूसरी मां’ होती है ‘बेटी’ ( Second mother is daughter )
एक गर्भवती स्त्री ने अपने पति से कहा, ‘‘आप क्या आशा करते हैं, लड़का होगा या लड़की?’’
पति: अगर हमारा लड़का होता है, तो मैं उसे गणित पढ़ाउंगा। हम खेलने जाएंगे। मैं उसे हर अच्छा काम करना सिखाउंगा।

पत्नी: अगर लड़की हुई तो…?
पति: अगर हमारी लड़की होगी, तो मुझे उसे कुछ सिखाने की जरूरत ही नहीं होगी।

क्योंकि, वो उन सभी में से एक होगी, जो सब कुछ मुझे दोबारा सिखाएगी। जैसे कि कैसे पहनना, कैसे खाना, क्या कहना या नहीं कहना। एक तरह से वो, मेरी ‘दूसरी मां’ होगी। वो मुझे अपना हीरो समझेगी, चाहे मैं उसके लिए कुछ खास करूं या न करूं।

यह मायने नहीं रखता कि वह कितने भी साल की होगी, पर वो हमेशा चाहेगी कि मैं उसे अपनी लाडली की तरह प्यार करूं। वो मेरे लिए संसार से लड़ेगी। जब कोई मुझे दु:ख देगा, वो उसे कभी माफ नहीं करेगी।

पत्नी: कहने का मतलब है कि आपकी बेटी जो सब करेगी, वो आपका बेटा नहीं कर पाएगा?
पति: नहीं-नहीं, क्या पता मेरा बेटा भी ऐसा ही करेगा, …पर वो सीखेगा। परंतु बेटी, इन गुणों के साथ पैदा होगी। किसी बेटी का पिता होना हर व्यक्ति के लिए गर्व की बात है।

पत्नी: परन्तु वो हमेशा हमारे साथ नहीं रहेगी?
पति: हां, पर हम हमेशा उसके दिल में रहेंगे।

इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि वो कहां है, क्योंकि बेटियाँ परी होती हैं, जो सदा बिना शर्त के प्यार और देखभाल के लिए जन्म लेती हैं। बेटियां सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं, जो घर ईश्वर को पसंद हो, वहां ही बेटी होती है।

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