Sports good health -sachi shiksha hindi

उत्तम स्वास्थ्य हेतु जरूरी हैं खेल

मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी खेल का उतना ही महत्व है जितना प्राकृतिक दृष्टिकोण से क्योंकि खेल के द्वारा ही अनेक प्राकृतिक इच्छाएं जैसे दौड़ना, कूदना, फैंकना, विरोधी को पराजित करना आदि पूरी की जा सकती हैं।

एक कहावत है ’जितने ज्यादा खेल के मैदान, उतने कम अस्पताल।‘ इस कहावत में खेल के मैदान एवं अस्पताल में जो संबंध दर्शाया गया है, वह संबंध सरल एवं स्वाभाविक है। जरा गहराई से सोचा जाये तो यह बात बिल्कुल स्पष्ट हो जाती है कि खेल के मैदानों की संख्या एवं अस्पतालों की संख्या में सीधा संबंध है। जिस देश में खेल के मैदानों की संख्या अधिक है वहां के नागरिकों का स्वास्थ्य बेहतर है और यदि स्वास्थ्य बेहतर है तो वे अस्पतालों से दूर हैं।

स्वास्थ्य को बेहतर बनाये रखने के लिये संतुलित आहार, स्वच्छ वातावरण एवं व्यायाम अत्यन्त आवश्यक हैं परन्तु आज के युग में शहरों एवं महानगरों में खेल के मैदान की बात तो अलग है, खुले मैदानों का होना भी दुर्लभ होता जा रहा है। शहरों में जनसंख्या का जमाव इतना घना हो गया है कि वातावरण दिन-प्रतिदिन विषाक्त ही होता जा रहा है। इस वातावरण का सीधा प्रभाव स्वास्थ्य पर पड़ता है। स्वास्थ्य को बेहतर बनाये रखने और वातावरण को स्वच्छ रखने हेतु मैदानों के महत्व को नकारा नहीं जा सकता।

मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी खेल का उतना ही महत्व है जितना प्राकृतिक दृष्टिकोण से क्योंकि खेल के द्वारा ही अनेक प्राकृतिक इच्छाएं जैसे दौड़ना, कूदना, फैंकना, विरोधी को पराजित करना आदि पूरी की जा सकती हैं। खेल से खेलने वालों का जहां मनोरंजन होता है वहां उसे देखने वाले का भी मनोरंजन होता है। खेल का आनंद तो सभी उठाते हैं, इसीलिये स्टेडियमों एवं टेलीविजन प्रसारणों की व्यावस्था की जाती है।

खेलों की उपेक्षा

हमारे जीवन में खेलों का इतना अधिक महत्त्व होने के बावजूद हमारी शिक्षा प्रणाली में आज तक खेलों के प्रति उपेक्षा ही देखने को मिलती है। देश के 40 प्रतिशत शिक्षण संस्थानों में खेल के मैदानों का अभाव है। 60 प्रतिशत में अगर खेल के मैदान हैं भी तो उसकी उचित देखभाल नहीं की जाती। खेल सुविधाओं का सीधा असर विद्यार्थियों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसके लिये जरूरी है कि उपेक्षा छोड़ विकास के अवसर उपलब्ध कराये जाने चाहिए।

पहला सुख निरोगी काया

इस बात से तो इन्कार नहीं किया जा सकता कि स्वस्थ शरीर के निर्माण में खेलों का काफी योगदान होता है। स्वस्थ शरीर के महत्त्व को सदियों पूर्व हमारे पूर्वजों ने भी समझा था। हजारों वर्ष पूर्व यूनानी भी ‘स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क होता है’, में विश्वास रखते थे। इसी को आधार मानकर उन्होंने अपनी शिक्षा प्रणाली का निर्माण किया। इस महत्त्व को हमें भी समझ कर इस दिशा में कुछ करना होगा। यदि शरीर स्वस्थ होगा तो प्रत्येक क्षेत्र में प्रगति होगी।

खेलों के विकास में योगदान

खेल के ये मैदान नागरिकों के बेहतर स्वास्थ्य की कामना तो करते ही हैं, साथ ही खेलों के विकास में अपना काफी महत्वपूर्ण योगदान भी निभाते हैं। आज के युग में अंतर्राष्टÑीय स्तर पर जो भी देश खेलों में अपना वर्चस्व बनाये हुए हैं, उस देश में खेलों के पर्याप्त मैदान हैं। साथ-साथ वहां खेलों की अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। कोरिया जैसा छोटा देश आज अगर रूस और अमेरिका का मुकाबला कर रहा है तो उसके मूल में यही कारण है।

यदि खेल के मैदान अधिक मात्रा में हों तो जनसाधारण के लिये उनका उपयोग करना आसान हो जाता है। कबड्डी, दौड़, खो-खो, फुटबाल आदि भारतीय खेल व्यायाम की दृष्टि में भी पूर्ण हैं जिनके लिये मैदानों का होना अनिवार्य है।

जितना पैसा दवाइयों आदि पर खर्च किया जा रहा है अगर उसका दो प्रतिशत भी खेल के मैदानों पर खर्च किया जाये तो हम भावी पीढ़ी को काफी हद तक अस्पतालों और दवाइयों से दूर रखने में कामयाब हो सकते हैं। खेल मैदान स्वास्थ्य सुधार में महत्त्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।
-उदय चन्द्र सिंह

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here
Captcha verification failed!
CAPTCHA user score failed. Please contact us!