निरंतर प्रयासरत रहना अनिवार्य है success
ब्राजील निवासी पुर्तगाली भाषा के मशहूर लेखक पाओलो कोएलो अपने चर्चित उपन्यास द अल्केमिस्ट में कहते हैं कि जब आप दिल से कुछ चाहते हैं तो सारी कायनात उसे आपसे मिलाने के लिए साजिश रचती है।
सामान्य जन विध्नों के आने के डर से कार्य प्रारंभ ही नहीं करते। मध्यम प्रकृति के लोग कार्य तो प्रारंभ करते हैं किंतु विघ्नों के आने पर उसे छोड़ देते हैं लेकिन उत्तम प्रकृति के लोग कार्य प्रारंभ करने के बाद बार-बार विघ्नों के आने पर भी उसे नहीं छोड़ते अपितु पूरा करके ही दम लेते हैं। यही बात किसी प्रतियोगिता तथा जीवन के अन्य क्षेत्रों में सफलता के संबंध में भी उतनी ही ठीक बैठती है।
सामान्य जन हार के डर से किसी प्रतियोगिता में भाग नहीं लेते, मध्यम प्रकृति के लोग भाग तो लेते हैं किंतु पहली ही बार हार जाने पर उसे छोड़ देते हैं लेकिन उत्तम प्रकृति के लोग बार-बार हारने पर भी भाग लेना नहीं छोड़ते अपितु जीतकर ही दम लेते हैं।
एक प्रश्न और मन में उठता है कि जीवन में हम कितनी बार असफलता का मुँह देखें? कितनी बार प्रयास करें? इसका अत्यंत सरल-सा उत्तर है कि जब तक सफलता नहीं मिलती, तब तक प्रयास करें।
चींटी जैसी मंदगामिनी भी धीरे-धीरे चलकर हजारों योजन दूर अपने लक्ष्य तक पहुँच जाती है किंतु गरुड़ जैसा शीघ्रगामी भी निर्णय-अनिर्णय की स्थिति में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ता।
कछुए जैसा मंद गति से चलने वाला प्राणी भी निरंतर धीरे-धीरे चलकर खरगोश जैसे तीव्र गति से चलने वाले प्राणी से बाजी मार लेता है।
जरूरी नहीं कि सफलता एक ही झटके में मिल जाए। यह भी जरूरी नहीं कि सफलता मात्र बहुत तेज-तर्रार व्यक्ति को ही मिलती है। जीवन में अपेक्षित क्षेत्र में पूर्ण सफलता पाने के लिए धीरे-धीरे ही सही, अंत तक निरंतर प्रयासरत रहना अनिवार्य है। -सीताराम गुप्ता
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