बच्चों को सिखाएं अपनी समस्याएं सुलझाना
किसी भी समस्या को हल करने का तरीका बच्चों को बचपन में ही सिखाना शुरू कर दें, इसका फायदा आपको बड़े होकर मिलेगा। बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए जरूरी है कि वे नन्ही सी उम्र से ही अपनी छोटी-छोटी समस्याओं को हल करने में दक्ष बनें। बच्चों में यह कौशल उन्हें जिम्मेदार भी बनाएगा और उनमें भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए आत्मविश्वास भी जगाएगा।
2010 में पब्लिश हुई एक बिहेवियर रिसर्च और थेरेपी में पाया गया था कि जिन बच्चों में समस्या समाधान स्किल्स की कमी होती है वो डिप्रेशन के ज्यादा रिस्क पर होते हैं। इतना ही नहीं विशेषज्ञों ने माना है कि यह स्किल्स सिखाकर बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को भी सुधारा जा सकता है। अब इतना तो समझ आ गया है कि समस्या को सुलझाना जीवन को आत्मविश्वास के साथ काटने के लिए बहुत जरूरी है। यही जरूरी काम यदि बच्चों को सिखा दिया जाए तो बड़े होते हुए वो जीवन की कठिनाइयों से लड़ने में घबराएंगे नहीं बल्कि डटकर सामना करेंगे।
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समस्या को समाधान करने की स्किल्स सिखाने के लिए आज ही शुरूआत कीजिए।
यह इसीलिए है जरूरी:
किसी समस्या को समाधान करने की स्किल्स क्यों जरूरी हैं? पहला सवाल तो यही उठता है। इस सवाल का जवाब जानना बेहद जरूरी है। तभी इस बात की अहमियत समझ आएगी। दरअसल हममें से ज्यादातर लोग हारते ही इसलिए हैं क्योंकि हम समस्या का समाधान नहीं ढूंढ पाते या डर जाते हैं। इसका सामना करने के लिए दिक्कतों का सामना व समाधान करने की स्किल्स बचपन से ही सिखा देना जीवन की सफलता के लिए जरूरी और लाभदायक हो जाता है।
बच्चों की परेशानियां:
बच्चों को समस्या समाधान की स्किल्स सिखाने के लिए परेशानियां होनी भी तो चाहिए। परेशानियों से मतलब यहां जीवन की बड़ी दिक्कतों से बिल्कुल नहीं है, बल्कि बच्चों के जीवन में आने वाली छोटी परेशानियों से ही उन्हें सिखाना होगा। छोटी-छोटी परेशानियां जैसे-किसी विषय की कॉपी न मिलना, होम वर्क ज्यादा हो जाना या स्कूल से मिली किसी एक्टिविटी को करने का तरीका न समझ आना। इसके साथ खुद खाना खाने से बचना, अपने काम जैसे- नहाने, कपड़े निकालने के लिए भी माता-पिता पर निर्भरता, ये सभी बच्चों के लिए परेशानी का कारण हैं, जिनको परेशानी मानना और खुद इसको हल करने की कोशिश करना ही प्रॉब्लम सॉलविंग स्किल है।
परेशानी है ये बताइए:
कई बार बच्चों को परेशानियों से बचाते हुए माता-पिता उन्हें उनके स्तर की दिक्कतों से भी सामना नहीं करने देते हैं। लेकिन समस्या को सुलझाने की स्किल्स सिखाने के लिए सबसे पहले बच्चों को उनके स्तर की परेशानियों से रू-ब-रू करावाएं, उन्हें बताइए कि कॉपी न मिलना एक परेशानी है और मां हर बार इसको ढूंढ़कर नहीं देगी। ये एक दिक्कत है, जिसे तुम्हें खुद ही समाधान करना है। ऐसा नहीं करोगे तो मां मदद बिल्कुल नहीं करेगी और हो सकता है इस वजह से तुम्हें अध्यापक से डांट भी पड़े। या फिर एक उम्र के बाद भी बच्चा खाना खाने के लिए आप पर निर्भर है तो भी ये परेशानी है। इसलिए सबसे पहले उन्हें उनके जीवन की परेशानियों को दिखाएं कि ‘देखो ये परेशानी है।’
समस्या के पांच हल:
हर समस्या के पांच हल बच्चे से ढूंढने के लिए कहें। इस तरह से वो समस्या से पहले हल की चिंता करेगा। जब बच्चा पांच हल ढूंढेगा तो यकीन मानिए कि बच्चा किसी परेशानी में घबराएगा नहीं। लेकिन हां, इस दौरान आपको उसके चुने गए विकल्पों में से सबसे अच्छा विकल्प चुनने में भी उसकी मदद करनी होगी। बताना होगा कि उसने जो हल ढूंढे हैं वो सही हैं भी या नहीं। या कोई गलत है तो क्यों या सही है तो क्यों? इस तरह से बच्चे में समझ विकसित होगी।
बच्चे खुद बताएं फायदे और नुकसान:
बच्चे से समस्या के समाधान पर बात करते हुए उसके फायदे और नुकसान को बच्चों से भी जरूर पूछें। जब वो खुद ही फायदे और नुकसान की पहचान करेंगे तो फिर उन्हें समझ आ जाएगा कि क्या सही है और क्या गलत। फिर इस तरह का अनुभव उनके लिए अगले काम में मददगार बनेगा। जीवन में आगे भी ये सीख उनके काम आएगी। वो सही गलत का निर्णय लेकर समस्या का हल जरूर निकाल पाएंगे।