ओलंपिक के बाद बढ़ा स्पोर्ट्स का क्रेज -करियर
खेलकूद में दिनभर व्यस्त रहने वाले छात्रों को यही कहा जाता है कि इसकी जगह पढ़ाई पर ध्यान दो अच्छा करियर बना सकते हो। लेकिन अब स्कूल भी छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ खेलों के लिए प्रमोट करते हैं।
खेलों की दुनिया में अब करियर के नए आयाम विकसित हो रहे हैं। करियर सलाहकार और डिजाइन सर्किल के निदेशक सुमित सौरभ से जानिए स्पोर्ट्स के क्षेत्र में करियर बनाने की क्या संभावनाएं हैं। हाल ही के ओलंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने खूब नाम कमाया है।
इसी के साथ करियर विकल्प के तौर पर खेल जगत में करियर की संभावनाओं पर भी खूब बात हो रही है। स्पोर्ट्स की दुनिया में बतौर खिलाड़ी ही नहीं, कई अन्य तरीकों से भी जुड़ सकते हैं। बचपन से बड़े होने तक और उसके बाद भी हर किसी को किसी न किसी खेल में रुचि रही है।
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स्पोर्ट्स में करियर कैसे बनाएं?
सबसे पहले तो आप निर्णय करें कि वो कौनसा खेल या स्पोर्ट्स है जिसमें आप बचपन से ही अच्छे खिलाड़ी रहे है। वो कौनसा खेल है जो आपने बचपन से देखना और खेलना पसंद किया है और अगर आपका करियर उसी स्पोर्ट्स में बन जाये तो आपकी एक बहुत बड़ी ख्वाइश पूरी हो जाएगी। जैसे ही आप यह तय कर लेंगे कि आपकी रूचि किस खेल में है। आप उस स्पोर्ट्स में करियर बनाने का पहला स्टेप क्लीयर कर लेंगे।
स्पोर्ट्स कोच:
यह तो सभी जानते हैं कि एक अच्छे खिलाड़ी के पीछे उसके कोच की मेहनत छिपी होती है। एक स्पोर्ट्स कोच खिलाड़ी को निर्देश ही नहीं देता, वह उसके लिए सपोर्ट भी बनता है, खिलाड़ी की जरूरत के अनुसार ट्रेनिंग प्रोग्राम बनाता है। आप स्पोर्ट्स कोचिंग, स्पोर्ट्स मैनेजमेंट या स्पोर्ट्स साइंस की डिग्री ले सकते हैं।
इसके लिए कुछ सॉफ्ट स्किल भी आपकी शख्सियत में होने चाहिए।
- आपको रणनीति बनाना और उसको अमल करवाने के तरीके आने चाहिए।
- इस काम में धैर्य की खास आवश्यकता होती है।
- सामने वाले को कैसे प्रेरित कर सकें, इसका भी कौशल होना चाहिए।
- टीम को बनाने में भी हुनरमंद होना चाहिए।
स्पोर्ट्स लॉयर/अटॉर्नी फॉर स्पोर्ट्स:
ये पेशेवर राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने क्लाइंट का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनकी कार्य जिम्मेदारियों में एंप्लॉयमेंट के कॉन्ट्रैक्ट को समझना और बनाना, खिलाड़ी के कार्य के कानूनी पक्षों को ध्यान में लाना, समझौते पर काम करना, स्कॉलरशिप डील का प्रबंध करना आदि आते हैं।
इसके लिए आपके पास कानून की डिग्री होनी चाहिए।
- कानून की जानकारी और शिक्षा जरूर लें।
- क्लाइंट के बारे में पूरी जानकारी रखें।
मार्केटिंग और प्रोमोशन के लिए को-आॅर्डिनेटर:
आपके काम का एक बड़ा हिस्सा होगा बाजार को समझना, रिपोर्ट तैयार करना और उसके अनुसार मार्केटिंग की योजना तैयार करना। मार्केटिंग में बैचलर डिग्री या समक्ष डिग्री के साथ इसके लिए डिजिटल और आॅनग्राउंड मार्केटिंग में निपुण होना जरूरी है।
- मार्केटिंग एनालिसिस का हुनर चाहिए।
- रिसर्च स्किल खास काम आएंगे।
- मार्केट प्लानिंग और उत्पाद को लेकर विशेषज्ञता आपको आगे जाने में मदद करेगी।
स्पोर्ट्स मैनेजमेंट एवं सम्बंधित क्षेत्रों के कुछ प्रमुख संस्थान:
- नेताजी सुभाष नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ स्पोर्ट्स, पटियाला
- इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट आॅफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स साइंसेज, नई दिल्ली
- लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ फिजिकल एजुकेशन, ग्वालियर एंड तिरुवनंतपुरम
- तमिलनाडु फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी, चेन्नई
- स्पोर्ट्स अथॉरिटी आॅफ इंडिया
- सिम्बायोसिस स्कूल आॅफ स्पोर्ट्स साइंसेज
- के जी सोमैया इंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेंट (एमबीए इन स्पोर्ट्स मैनेजमेंट)
फिजिकल एजुकेशन के जरिये भी खुलेंगी राहें:
फिजिकल एजुकेशन के रास्ते से आपको खेल से जुड़े हेल्थ क्लब, स्पोर्ट्स गुड निर्माता, मार्केटिंग, स्पोर्ट्स जर्नलिज्म, ट्रेनर के तौर पर कई तरह के करियर विकल्प मिलेंगे। हालांकि शुरूआत में ट्रेनर या प्रशिक्षक के रूप में नौकरी मिलने की अधिक संभावना होगी, लेकिन सालों के अपने अनुभव के साथ ही आप अपनी शिक्षा और अनुभव को जर्नलिज्म, मार्केटिंग या कमेंटेटर के करियर में बदलने में सक्षम भी हो सकते हैं।
इस क्षेत्र में फिजिकल एजुकेशन के स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर के कोर्स व कॉलेज उपलब्ध हैं। फिजिकल एजुकेशन के ग्रेजुएट स्तर के कोर्स में प्रवेश के लिए न्यूनतम योग्यता 10+2 या समकक्ष उत्तीर्ण होना है। वहीं मॉस्टर्स स्तर के एम.पी.एड. कोर्स में प्रवेश लेना चाहते हैं, तो न्यूनतम योग्यता के तौर पर फिजिकल एजुकेशन में ग्रेजुएशन डिग्री होनी चाहिए।
स्पोर्ट्स जर्नलिज्म:
क्या ‘बोरिआ मजूमदार’ नाम से आपको कुछ याद आता है? दरअसल क्रिकेट की दुनिया से खेल के दौरान और खेल के बाहर की कहानियों को हम तक पहुंचाने के लिए उनका नाम कुछेक प्रभावी स्पोर्ट्स जर्नलिस्टों में गिना जाता है। यदि आपको स्पोर्ट्स प्रतियोगिताओं के लिए लिखना या कमेंटरी करना पसंद है, तो निश्चित रूप से खेल जगत का यह फील्ड आपके लिए ही बना है।
इसके लिए आपमें कुछ खास स्किल भी होने चाहिए:
- इंटरव्यू करने में खास हुनरमंद हों।
- लेखन क्षमता पैनी हो।
- खेलों की अच्छी जानकारी रखनी होगी।
- इस बारे में सम्बंधित डिग्री और अपना भी शोध और विश्लेषण क्षमता हो
स्पोर्ट्स जर्नलिज्म के लिए कुछ प्रमुख संस्थान:
- इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ मास कम्यूनिकेशन, दिल्ली
- बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी
- जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली
- साउथ कैंपस, दिल्ली यूनिवर्सिटी
- माखनलाल चतुवेर्दी पत्रकारिता यूनिवर्सिटी
- देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर
- सेंट जेवियर्स, मुम्बई
- सिम्बायोसिस, पुणे
- एशियन स्कूल आॅफ जर्नलिज्म, चेन्नई
स्पोर्ट्स फोटोग्राफर:
एक स्पोर्ट्स फोटोग्राफर खेलों के आयोजन, टीम या किसी एथलीट के प्रदर्शन के दौरान के या बाद के क्षणों को कैमरे में कैद करता है। आप इस फील्ड में फ्रीलांसर के रूप में भी काम कर सकते हैं और किसी टीम के साथ भी काम पा सकते हैं। इस तरह आप अपनी फोटो को विभिन्न प्रकाशनों या समाचारपत्रों को उपलब्ध करा सकते हैं। फोटोग्राफी एक ‘आॅनफील्ड’ करियर है।
इसके लिए आपमें खासकर कुछ गुण होने चाहिए:
- फोटोग्राफी के लिए प्रशिक्षण के साथ जुनून जरूरी है।
- तुरंत निर्णय और महत्त्वपूर्ण पल को भांपकर उसे कैमरे में कैद करने की मानसिक और शारीरिक तेजी आपमें होनी चाहिए।
- खेलों के प्रति रुझान होना आधारभूत जरूरत है।
स्पोर्ट्स डाइटीशियन:
प्रत्येक खिलाड़ी पर उसके खान-पान का विशेष प्रभाव पड़ता है, खिलाड़ी का प्रदर्शन खानपान पर ही निर्भर करता है, किसी भी चीज की कमी या अधिकता उनके स्टेमिना को प्रभावित कर सकती है, अत: स्पोर्ट्स डाइटीशियन के रूप में कार्य करके आप अपना करियर बना सकते है।