इस बार होली के रंग, अपनों के संग -होली: 18 मार्च
बच्चे जीवन के हर क्षण को उत्सव की तरह मनाते हैं और जब मौका हो होली का तो इनका उत्साह देखते ही बनता है। रंग, पिचकारी, पानी से भरे गुब्बारे और बच्चे, इन्हीं सबसे तो होली लगती है।
लेकिन बच्चों को होली का असल अर्थ बताना बहुत जरूरी है। होली क्यों मनाई जाती है, इसका क्या महत्व है, इससे जुड़े पौराणिक तथ्यों से हमें क्या सीखना चाहिए व सही रूप में इसे कैसे मनाया जाए,
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ये सभी बातें बच्चों को समझाना हमारी जिम्मेदारी है।
त्यौहार की अहमियत:
हर त्यौहार के पीछे परम्परा की कहानी होती है। त्यौहार केवल मौज-मस्ती, लोगों से मिलने-जुलने व अच्छे पकवान खाने के लिए ही नहीं होते बल्कि इनका संबंध हमारे शरीर, स्वास्थ्य, और ऋतुओं के हम पर पड़ने वाले प्रभावों से भी है। इसे खुद समझना और बच्चों को समझाना जरूरी है। बच्चे हर चीज का कारण जानना चाहते हैं। इसलिए त्यौहार के पीछे का वैज्ञानिक, ऋतु संबंधी कारण और इतिहास उन्हें बताएं।
होलिका दहन कैसे हो:
अब होली नाम-मात्र की है। न पहले-सी रौनक दिखती है, न लोगों के बीच वह अपनापन। हुल्लड़ के कारण लोग घरों के अंदर रहते हैं। आप बच्चों को सिखाएं कि होली को सही तरीके से कैसे मनाएं। सबसे पहले बात करें होलिका दहन की। पेड़ों को काटकर हम खुद तो होली मना लेते हैं पर प्रकृति को नुकसान पहुंचा देते हैं। बच्चों को बताएं कि गोबर के कंडों की होली जलाएं जिससे प्रकृति का संरक्षण होता है। कंडों की होली में कपूर, नीम की सूखी पत्तियां भी डालें, ताकि हवा भी शुद्ध हो सके।
प्रकृति मनाती है होली:
होली केवल हम नहीं मनाते बल्कि पूरी प्रकृति मनाती है। टहनियों पर खिलते टेसू के फूल होली का संकेत देते हैं, पतझड़ के बाद नए पत्ते भी ये उत्सव मनाते हैं। होली नए सृजन की भी प्रतीक है, क्योंकि पतझड़ के बाद होली से ही प्रकृति फिर हरी-भरी हो जाती है। होली मनाने का वैज्ञानिक कारण भी है। सर्दियों में हमारी त्वचा रूखी और बेजान हो जाती है और पतझड़ के मौसम में ये रूखापन और बढ़ जाता है। पहले के समय में प्राकृतिक रंगों से होली खेली जाती थी, उसके बाद जब नहाया जाता था तो त्वचा की मृत कोशिकाएं व रूखापन दूर हो जाता था।
होली की कथाएं:
बच्चों को ये बताना बहुत जरूरी है कि कोई भी त्यौहार क्यों मनाया जाता है। होली के पीछे कई कथाएं हैं। जैसे हिरण्यकशिपु व उसकी बहन होलिका की कथा। होलिका दहन का अर्थ बुराइयों को खत्म कर अच्छाई की जीत होना है। दूसरी कथा वृंदावन में कृष्ण और गोपियों की होली की है, जिससे होली प्रेम का प्रतीक बन जाती है। तीसरा कारण है फसल पक जाने पर किसान को होने वाली खुशी को त्यौहार के रूप में मनाना। इसलिए होली सफलता और समृद्धि की प्रतीक है। ये सभी कारण बच्चों को कहानियों के रूप में सुनाएं, ताकि वे इन्हें गहराई से आत्मसात कर सकें।
खुद बनाएं रंग:
अब बात आती है रंगों की। आजकल रसायनिक वाले रंगों की प्रधानता है, इस वजह से माता-पिता बच्चों को होली खेलने से मना करते हैं। लेकिन बच्चों को होली खेलने से रोकने के बजाय उनके साथ मिलकर प्राकृतिक रंग बनाएं। इस समय टेसू के फूल आसानी से मिल जाते हैं तो उनका रंग, हल्दी और मुलतानी मिट्टी मिलाएं, चंदन के पाउडर में चुकंदर का रस मिलाकर उसका रंग तैयार करें। इससे वे रंग भी खेल सकेंगे और त्वचा को नुकसान भी नहीं पहुंचेगा।
होली खेलें अपनों के संग:
इस बार कोई भी मेहमान घर नहीं आएंगे और न हम किसी के घर जाएंगे, इसलिए होली की पार्टी घर पर ही आयोजित करें। ये पार्टी बाहर वालों के लिए नहीं, परिजनों के लिए होगी। रंगों की थाली से मेज सजाएं, आंगन या छत को रंगीन कपड़ों और फूलों से सजाकर रंगीन बनाएं। साथ में जोड़ें उन्हें जो आपके अपने हैं। आपके दोस्त, दूर या करीब के रिश्तेदार, जो घर नहीं आ सकते, उन्हें आप वीडियो कॉल के जरिए अपनी पार्टी में शामिल जरूर कर सकते हैं।
संगीत के साथ जमाएं रंग:
संगीत के बिना होली अधूरी है। और संगीत है तो नाचना और धूम मचाना होगा ही। होली के हिंदी गीतों की फेहरिस्त तैयार कीजिए। इसमें पुराने और नए, सभी तरह के गीत शामिल कीजिए। फिर एक-दूसरे को रंग या गुलाल लगाकर गीत और डांस की शुरूआत कीजिए। छोटों से लेकर बड़ों तक सबको संगीत पर थिरकना है। वहीं जो परिजन या दोस्त वीडियो कॉल पर आप से जुड़ रहे हैं, उनके साथ अंताक्षरी खेलिए और जोर-शोर से गीत गाइए। इस बात का ध्यान रखें कि वीडियो कॉल मौज-मस्ती से भरा हो और किसी को बोरियत ना महसूस हो।
होली मिलन के साथ मनोरंजन:
होली की शुभकामनाएं लेने और देने के बाद समय आता है मनोरंजन का। हंसी-मजाक का सिलसिला यूं ही जारी रहे, इसके लिए खेल का भी आयोजन करें। खेल आप अपनी पसंद के मुताबिक चुन सकते हैं। पर खेल के साथ-साथ हर सदस्य को टाइटल भी दें। घर पर मौजूद परिजनों और वीडियो कॉल पर जुड़े दोस्तों या परिजनों का स्वभाव पहेली के जरिए बताना है और अन्य सदस्यों को पहचानना है कि वह किसके लिए कहा जा रहा है। जो सदस्य सबसे ज्यादा सही अनुमान लगाएगा, वह विजेता होगा। वहीं जिनका अनुमान जितनी बार गलत होगा उन्हें उतनी बार रंग से भरा गिलास या गुलाल अपने ऊपर डालना होगा। पहेली के अनुरूप सदस्य को टाइटल भी दे सकते हैं।
कैमरे में कैद करें यादें:
तस्वीरें यादों का दस्तावेज होती हैं। होली का ये त्योहार यादगार बनाने के लिए रचनात्मक और रंगीन तस्वीरें कैमरे में कैद करें। फोटो के अलावा स्लो या फास्ट मोशन में वीडियो, बूमरैंग वीडियो आदि भी बना सकते हैं। बिना बताए सबकी तस्वीरें खींचेंगे या वीडियो बनाएंगे (कैंडिड) और जब बाद में उन्हें देखेंगे, तो हंसी रोक नहीं पाएंगे। सही मायनों में यही तो यादें कहलाती हैं। इन्हें डीएसएलआर कैमरा या एंड्रॉयड फोन दोनों से ले सकते हैं। एंड्रॉयड मोबाइल के कैमरे से भी प्रोफेशनल कैमरे जितनी ही साफ और सुंदर तस्वीरें ली जा सकती हैं। ध्यान केवल एंगल और रंगों का रखना है।
परिवार संग तस्वीर:
परिवार के साथ यादगार तस्वीरें लेनी हैं तो योजना के साथ नहीं बल्कि कैंडिड तस्वीर लें। बच्चों के साथ मां की रंग खेलते हुए तस्वीर लें। पिता और बच्चों या पति-पत्नी की रंग खेलते हुए तस्वीर ले सकते हैं। ये तस्वीरें जितनी वास्तविक होंगी उतनी ही सुंदर आएंगी। इसके अलावा, तस्वीरों के लिए एक फोटो बूथ तैयार कर सकते हैं और उसे कई रंग के पर्दों, फूलों या सजावट के सामान से सजा सकते हैं। इससे तस्वीरों में रंग और उभरकर आएगा।
माथे पर तिलक या पैरों में गुलाल लगाकर लें आशीर्वाद
होली शुरू हो जाए, तो फिर रुकना कहां संभव होता है। रंग-धमाल के चक्कर में पूरा आंगन भीग जाता है। पर जब घर में बड़े-बुजुर्ग हों, तो कुछ बातें जान लेनी चाहिएं। वे त्यौहार का आनंद लें, लेकिन कोई परेशानी और असहजता महसूस न करें इसका भी ध्यान रखिए।
संभलकर खेलें रंग:
कुछ बुजुर्ग खूब होली खेलना पसंद करते हैं, तो कुछ सिर्फ तिलक तक सीमित रहते हैं। बुजुर्गों से पहले पूछें कि वो खेलना चाहते हैं या नहीं, उसके बाद ही उन्हें रंग लगाएं। रंग लगा भी रहे हैं, तो हल्के रंगों का चुनाव करें। बुजुर्गों की त्वचा नाजुक होती है इसलिए कैमिकल युक्त रंग ना लगाएं। साथ ही रंग उनकी त्वचा पर घिसें नहीं। सबसे अच्छा है, वृद्धों को तिलक लगाकर या उनके पैरों में गुलाल डालकर उनसे आशीर्वाद लेना।
सुरक्षा का ध्यान रखें:
एक-दूसरे पर रंग का पानी फेंकना हमारे लिए मजेदार हो सकता है, लेकिन बुजुर्गों के लिए नहीं। अगर उनके साथ रंग खेल रहे हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि उन्हें रंग शालीनता से लगाना है और पानी बिल्कुल नहीं डालना है। सूखा रंग उनकी आंखों और मुंह-नाक में न जाए, इसका भी ध्यान रखें। वहीं अगर आंगन गीला है, तो बुजुर्गों को उस स्थान पर नहीं जाने दें या उनकी मौजूदगी में पानी फेंकने से बचें।