Keep moving on the path of humanity - Editorial

इन्सानियत के पथ पर बढ़ते रहें कदम -सम्पादकीय
सौहादर््य, एकता व भाईचारे की मिसाल पेश कर रही है डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत। साध-सगत का समाज सेवा में बढ़ता हर कदम काबिले तारीफ है। डेरा सच्चा सौदा की पावन शिक्षाओं पर चलते हुए समाज को नई दिशा देने में प्रयासरत डेरा अनुयायियों का योगदान हर जुबां पर है।

यह सर्वविदित है कि डेरा सच्चा सौदा की ओर से मानवता भलाई के लिए किए जाने वाले कार्याें की एक लम्बी फेहरिस्त है और हर कार्य के लिए डेरा अनुयायी पूरे जोश-ओ-खरोश से लगे रहते हैं। कहीं भी कोई जरूरतमंद, असहाय दिखे तुरंत उसकी सेवा-संभाल के लिए पहुंच जाते हैं। क्योंकि पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने उनमें मानवता का ऐसा जज्बा भरा है कि वे दिन-रात, गर्मी-सर्दी की परवाह किए बगैर सेवा में जुट जाते हैं। सेवा कार्याें की लम्बी फेहरिस्त अनूठी है।

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इसी कड़ी में 138वां सेवा कार्य पूज्य गुरु जी की ओर से 25 जनवरी के शुभ भण्डारे पर जोड़ा गया। पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज का इस बार 103वां पावन अवतार दिवस धूम धाम से मनाया गया। इस पावन भण्डारे के शुभ अवसर पर पूज्य गुरु जी की ओर से समाज सेवा कार्याें को 137 से बढ़ाकर 138 कर दिया गया जो साध-संगत के लिए अति हर्ष की बात है। पूज्य गुरु जी की ओर से 138वां समाज भलाई का कार्य, ‘गरीब व अनाथ बच्चे, जो बीमार हैं, उनका ईलाज करवाना व उनको खाना देना शुरू किया गया है, साध-संगत ने हाथ खड़े करके इस कार्य को तन-मन धन से पूरा करने की सहमति देकर खुशी का इजहार किया।

साध-संगत का अपने सतगुरु के प्रति ऐसा प्यार अकथनीय है। ये प्यार की मिसाल है कि साध-संगत हर रोज समाज हित में नए-नए उदाहरण पेश कर रही है। इस बार सर्दी के शुरू होते ही गरीबों, असहायों को गर्म कपड़े वितरित करने के साथ उनको खाने-पीने का समान देकर उनकी संभाल करने के बेमिसाल दृश्य लोगों ने देखे। पूरे भारत ही नहीं, विदेशों में भी ऐसे नजारे देखने को मिले। हजारों की तादाद में ऐसे गरीब-जरूरतमंद परिवारों को साध-संगत ने ठिठुरती सर्दी से बचाया। बिना किसी भेदभाव के, क्या बच्चे, क्या बुजुर्ग अर्थात जो भी दुखिया मिला, संगत ने जरूरत अनुसार उनकी संभाल की। यह कारवां जनवरी महीने में ओर भी तेज रफ्तार से किया गया।

क्योंकि जनवरी के खुशी के महीने में साध-संगत ने परहित सेवा कार्याें की पूरी लहर चला दी, जिसे देख लोग भी हैरान रह गए। अपने सतगुरु के प्यार में चलते हुए अलौकिक खुशियां बटोरने का ऐसा अवसर पाकर हर कोई धन्य-धन्य हो गया। साध-संगत का प्यार, जज्बा, सेवा भावना का ऐसा उदाहरण लोगों को भी हैरानी में डाल देता है। लोगों ने इस बार देखा कि जनवरी में मनाए गए पावन भण्डारे, जैसे उत्तर प्रदेश में बरनावा आश्रम, पंजाब के सलाबतपुरा व हरियाणा में 25 जनवरी को शाह सतनाम जी धाम सरसा में जिस प्रकार साध-संगत का सैलाब उमड़ कर आया लोगों के लिए किसी कौतुहल से कम न था। अपने मुर्शिद के प्रति साध-संगत का ये अनमोल प्यार है, अकथनीय सर्म्पण है।

अपने सतगुर के प्यार की डोर में खींचे चले आने वाले डेरा अनुयायियों के इस सैलाब को फरिश्तों का सैलाब कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं है। क्योंकि आने वाले हर शख्स को समाज सेवा की एक नई प्रेरणा मिलती है। उनमें एक नई ऊर्जा का संचार होता है जिसके दम पर वो समाज में एक नया बदलाव लाने में दृढ संकल्प है।

उनमें सेवा भावना का जोश, जज्बा जो उनको डेरा सच्चा सौदा से मिल रहा है, इससे वो जहां स्वंयं भी जागरूक हो रहे हैं और समाज को भी जागृत करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। सतगुर जी के चरणों में यही अरदास है कि नेकी भलाई का ये कारवां यूं ही बढ़ता रहे। साध-संगत में एकता, प्यार, सर्म्पण की भावना को बल मिलता रहे।

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