Took him to Sachkhand.. experiences of satsangis - Sachi Shiksha

पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपार दया-मेहर
प्रेमी भरपूर सिंह इन्सां सुपुत्र श्री गुरबचन सिंह गांव जण्डवाला सिखान ब्लाक संगरिया जिला हनुमानगढ़ (राज.) आंखों देखे एक अद्भुत करिश्मे का वर्णन करते हैं।

सन् 1990 की बात है। उस समय पूजनीय हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां गुरुगद्दी पर अभी विराजमान नहीं हुए थे। उस समय तक हजूर पिता जी अपनी सभी रिश्तेदारियों में जाया करते थे। यहां पर स्पष्ट किया जाता है कि हमारे घर पूज्य हजूर पिता जी के सुसराल हैं। छोटे माता जी(पूज्य हजूर पिता जी की धर्म पत्नी) की यहां जन्म स्थली है। छोटे माता जी मेरे बुआ जी लगते हैं।

गुरगद्दी की रस्म से कुछ समय पहले की बात है, हजूर पिता जी हमारे घर पधारे। मेरे मामा श्री मल सिंह गांव मैहता वाले भी आए हुए थे। मेरे मामा जी का हजूर पिता जी से बहुत ज्यादा प्रेम था। वह हजूर पिता जी से मिल कर बहुत खुश होते। वह हजूर पिता जी को अपनी पलकों पर बिठा लेते और उनका बहुत सम्मान करते। वह हजूर पिता जी को कहने लगे कि तुम्हारा गांव देखने को बहुत दिल करता है। हजूर पिता जी कहने लगे कि आओ ले चलते हैं। वह कहने लगे कि फिर आऊंगा, तीन-चार दिन लंघा कर(बाद) आऊंगा।

सत्संगियों के अनुभव: तू मरता नहीं, तेरे से सेवा लेनी है

उसके बाद मेरे मामा मल सिंह जी अपने गांव मैहता जाकर बीमार हो गए। उनको हस्पताल में दाखिल करवा दिया गया। बाद में हस्पताल से छुट्टी मिल गई और कहा कि अब यह जितने दिन हैं घर पर ही सेवा कर लो। उधर हजूर पिता जी अपने ससुराल में दो-तीन दिन लगा कर अपने घर श्री गुरुसर मोडिया चले गए थे। तीन-चार दिन बाद फिर से हजूर पिता जी अपने ससुराल जाने के लिए तैयार हो गए और साथ में बच्चे भी तैयार कर लिए।

बड़े माता जी(पूजनीय माता नसीब कौर जी इन्सां, पूज्य गुरु जी के आदरणीय माता जी) कहने लगे कि अभी तो जाकर आए हो तो हजूर पिता जी बोले कि कोई जरूरी काम है। हजूर पिता जी छोटे माता जी व बच्चों के साथ जीप में शाम को हमारे गांव जण्डवाला सिखान पहुंच गए। चाय-पानी लेने के बाद हजूर पिता जी मेरे को साथ लेकर जीप में खेत की तरफ घूमने निकल गए। जब हम वापिस आए तो हजूर पिता जी हमारे परिवार को कहने लगे कि जल्दी खाना खा लो उसके बाद सारे बैठकर बातें करेंगे। तो मेरे मम्मी जी पिता जी को बोले कि फिर कोई काम हो जाता है।

इस लिए पहले खाना खा लो। हम अभी खाना खा रहे थे कि मैहता गांव से एक आदमी ने आकर बताया कि मल सिंह जी (मेरे मामा जी) बहुत तकलीफ में हैं। हजूर पिता जी यह सुनते ही जाने के लिए तैयार हो गए। और मेरे मम्मी, पापा, छोटे माता जी व मुझे बिठाकर चल पड़े। गांव मैहता जिला बठिंडा में घर पर जाकर पता चला कि कुछ देर पहले मल सिंह बुरी तरह से तड़फ रहे थे परन्तु अब जब आप 3-4 किलोमीटर पीछे होंगे तो तब से इनको शान्ति मिलनी शुरू हुई और अब आपके आने से बिल्कुल शान्त हो गए हैं। अब पानी पी रहे हैं, जबकि पहले कुछ भी अन्दर नहीं जाता था। रात को मेरे पापा जी मुझे व हजूर पिता जी को सोने के लिए मेरे छोटे मामा जी के घर छोड़ आए।

उसी रात जब मेरे मामा जी का अंत समय आया तो हजूर पिता जी हमें वहां सोया छोड़ कर मेरे मामा जी के पास आकर उनके सामने कुर्सी पर बैठ गए। इस तरह मेरे मामा जी ने हजूर पिता जी की पवित्र हजूरी में अपना चोला छोड़ा। बाद में पता चला कि हजूर पिता जी मेरे मामा जी का उद्धार करने के लिए ही श्री गुरुसर मोडिया से वहां गए थे। वहां से वापिस आते वक्त हजूर पिता जी ने छोटे माता जी (पूजनीय माता हरजीत कौर जी इन्सां) को बोला कि बहन(मेरी माता बलजिन्द्र कौर) को कह देना कि कोई फिक्र न करे। उसको तो मालिक सचखण्ड ले गए।

उन दिनों में मैंने अपनी मम्मी (बलजिन्द्र कौर) से कहा कि मेरे मामा जी ने नाम नहीं लिया था, और कभी-कभार शराब भी पी लेता था, फिर ऐसे कैसे सचखण्ड गया? तो मेरी मम्मी बोली कि बेटा, सुनते हैं कि जो सच्चे सौदे जाते हैं और बहुत सेवा भी करते हैं, हो सकता है इनका दसवां द्वार खुला हो। उन्हीं दिनों में हजूर पिता जी डेरा सच्चा सौदा में गुरुगद्दी पर विराजमान हो गए और हमें भी संत मत का कुछ ज्ञान हो गया।

अब हमें पता चल गया है कि ये (परम पूजनीय हजूर पिता जी) तो दसवां द्वार खोलने वाले हैं। पूर्ण सतगुरु हैं। जो चाहें कर सकते हैं। अगर चाहें तो बिना नाम के भी जीव का उद्धार कर सकते हैं। जैसा कि उक्त करिश्मे में स्पष्ट है।

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here
Captcha verification failed!
CAPTCHA user score failed. Please contact us!