क्या आप ट्रैवलिंग के शौकिन है तो आराम से घूमिए। लेकिन कुछ ऐसी जानकारियां भी रखिए जिससे आप बिना टेंशन के ट्रैवल कर सकते हैं। यानी कई तरह के इंश्योरेंस बगैरह। हां, हम बात कर रहे हैं ट्रैवल इंश्योरेंस की। तो आइये देखते हैं क्या है
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ट्रैवल इंश्योरेंस
ट्रैवलिंग से आप सहनशीलता सीखते हैं। लेकिन इस सहनशीलता की सीमा का अंत तब हो जाता है जब आप समस्याओं से घिर जाते हैं। जैसे यात्रा के दौरान सामानों की चोरी या रास्ते में बीमारी अपनी चपेट में ले लेती हंै। इसलिए निश्चित तौर पर ट्रैवलिंग अगर फन है तो कई बार इस दौरान समस्याएं भी आती हैं। इस दौरान आपकी सेहत नरम हो सकती है। सामान गुम हो सकता है, पासपोर्ट चोरी हो सकता है तो फिर आपकी सहनशीलता जवाब देने लगती है। आप टेंशन में आ जाते हैं। आपकी इस टेंशन को दूर करता है, ट्रैवलिंग-इंश्योरेंस।
ट्रैवल इंश्योरेंस मेडिकल इमरजेंसी, एक्सीडेंट के दौरान होने वाली मृत्यु, फ्लाइट या ट्रेन के लेट होने आदि जैसे मुद्दों को कवर करता है। यहां तक कि किराये पर ली गई कार के खराब होने पर भी मदद मिलती है।
अगर यात्रा से संबंधित पासपोर्ट, जैसे जरूरी दस्तावेज गुम जाते हैं और आपकी डुप्लिकेट पासपोर्ट के लिए निकट के भारतीय दूतावास जाना पड़ता है तो ट्रैवल इंश्योरेंस में इस खर्च की भरपाई का भी प्रावधान है। बीमा कंपनी दूतावास को अदा की गई फीस, फोटो खिंचवाने का खर्च और आने-जाने में हुए खर्च का भी भुगतान देती है।
इसके अलावा आप बैगेज खाने, अपहरण, संपर्क फ्लाइट छूटने, दुर्घटना, इमरजेंसी मेडिकल खर्च, वित्तीय आपात स्थिति जैसी समस्याओं के लिए भी हर्जाना ले सकते हैं। बहुत-सी बीमा कंपनियां यात्रा के दौरान कैशलेस उपचार की सुविधा देती है, जबकि कुछ बाद में इन खर्चों का भुगतान करती हैं। इसके लिए आपको बिलों के साथ ही सभी रिपोर्टस भी जमा करनी होती हैं। इसके अलावा यात्रा विलंब और कैंसिलेशन का भी कवर मिलता है। इसमें थर्ड पार्टी कवर की भी सुविधा उपलब्ध होती है। यह कवर एक माह से एक साल की अवधि के होते हैं। इसमें सिंगल ट्रिप या सालाना मल्टी ट्रिप का विकल्प होता है।
पॉलिसी लेने से पहले
पॉलिसी चुनने के लिए सबसे पहले यह ध्यान रखना चाहिए कि यह यात्रा की पूरी अवधि और सभी स्थानों के लिए सुविधा प्रदान कर रही है या नहीं। इसके साथ बीमा राशि और पॉलिसी के लाभ पर भी निगाह रखने की जरूरत है। आपका इंश्योरेंस प्रीमियम बीमा राशि, आयु, यात्रा का स्थान, यात्रा की अवधि जैसे मानकों पर निर्भर करता है। यह पॉलिसी आम तौर पर 85 साल की उम्र तक के लोगों के लिए उपलब्ध होती है लेकिन 70 साल से अधिक उम्र के लोगों की स्वास्थ्य जांच के बाद ही उन्हें पॉलिसी दी जाती है।
समय सीमा
ट्रैवल इंश्योरेंस में अवधि का खासा महत्व है। यह पॉलिसी एक सौ अस्सी दिन की अधिकतम अवधि के लिए होती है। इसके बाद इसे 180 दिन के लिए दोबारा रिन्यू कराया जा सकता है। इसमें खास बात यह है कि यह पॉलिसी सत्तर साल से कम उम्र के लोगों के लिए ही रिन्यू की जाती है। जबकि यह पॉलिसी स्टूडेंट के लिए अलग मानक तय करती है। यानी स्टूडेंट पॉलिसी 365 दिन के लिए जारी की जाती है और इसे बाद में दो साल के लिए और बढ़ाया जा सकता है।
क्या शामिल नहीं
आत्महत्या, आत्महत्या का प्रयास, युद्ध की वजह से मृत्यु या विकलांगता, एचआईवी या एड्स और पहले से मौजूद बीमारियों को यह पॉलिसी कवर नहीं करती। इसके साथ धन, शेयर, प्रतिभूति, स्टैंप, गहने और कीमती पत्थरों के खोने पर भी पॉलिसी का लाभ नहीं मिलता। इसमें खास बात यह है कि अगर आप प्रीमियम के अलावा अतिरिक्त राशि चुकाते हैं तो कंपनियां सुरक्षा का दायरा बढ़ा देती हैं। जैसे स्टूडेंट पॉलिसी में अतिरिक्त प्रीमियम देने पर कुछ बीमारियों और खेलों के दौरान लगने वाली चोटों के लिए भी सुरक्षा उपलब्ध कराती हैं। घरेलू इंश्योरेंस में भी कई कवर समाहित होते हैं। पर इनकी अवधि कम होती है। यानी एक दिन से तीन महीने तक। जानकारों का कहना है कि अगर किसी के पास हेल्थ इंश्योरेंस और पर्सनल एक्सीडेंट पॉलिसी है तो ट्रैवल इंश्योरेंस ज्यादा फायदेमंद नहीं है।
आसान तरीका
यह पॉलिसी आपको मोबाइल व आॅनलाइन सुविधा भी देती है। कई कंपनियों की योजना को आप अपने मोबाइल के जरिए एसएमएस कर भी चुन सकते हैं। देश विदेश के अधिकांश हवाई अड्डों पर भी ट्रैवल इंश्योरेंस के लिए बीमा कंपनियों के खास काउंटर हैं या फिर उनका एयरलाइंस से करार रहता है। जहां आप टिकट के साथ-साथ इंश्योरेंस भी ले सकते हैं। तो आप इंश्योरेंस लीजिए और ट्रैवल का पूरा मजा लीजिए यानी फुल मस्ती, नो टेंशन।
– अरुणिमा कुमारी