pineapple rich in vitamins and minerals -sachi shiksha hindi

विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर खट्टा-मीठा
अनानास

अनानास का नाम सुनते ही बच्चे हों या बड़े, इसे खाने से कतराते हैं। देखने में खूबसूरत लगने वाला यह फल खाने में उतना ही खट्टा और एसिडिक होता है। मगर अनानास जूस से भरा बेहतरीन फल है। इसका ट्रॉपिकल फ्लेवर मीठे और खट्टे दोनों को सही बैलेंस करता है। गर्मी हो या सर्दी, यह कभी भी खाया जा सकता है। मगर ज्यादातर लोग इसे गर्मी में खाना पसंद करते हैं। इसे नमक और चाट-मसाले के साथ खाएं, तो यह काफी स्वादिष्ट लगता है।

अनानास में विटामिन्स और मिनरल्स की भरपूर मात्रा होती है। जैसे विटामिन ए और सी तथा कैल्शियम, पोटाशियम और फॉस्फोरस भी इसमे मौजूद होता हैं। फाइबर से युक्त और फैट व कोलेस्ट्रॉल बहुत कम होने के कारण सेहत के लिए इसे फायदेमंद माना जाता है। गर्मियों के लिए यह एक बेहतरीन फल है।

अनानास के गुद्दे की अपेक्षा रस ज्यादा लाभदायी होता है। इसके छोटे-छोटे टुकड़े करके कपड़े से निकाले गये रस में विशेष पौष्टिक तत्त्व पाये जाते हैं। जूसर द्वारा निकाले गये रस में इन तत्त्वों की कमी पायी जाती है, साथ ही यह पचने में भारी हो जाता है। फल काटने के बाद या इसका रस निकाल के तुरंत उपयोग कर लेना चाहिए। इसमें पेप्सिन के सदृश एक ब्रोमेलिन नामक तत्त्व पाया जाता है जो औषधीय गुणों से सम्पन्न है।

अनानास अपने विशिष्ट गुणों के कारण आंखों की दृष्टि के लिए भी उपयोगी होता है। पूर्व में हुए शोधों के मुताबिक दिन में तीन बार इस फल को खाने से बढ़ती उम्र के साथ कम होती आंखों की रोशनी का खतरा कम हो जाता है। आस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह कैंसर के खतरे को भी कम करता है।

अनानास ब्राजील का आदिवासी पौधा है। क्रिस्टोफर कोलंबस ने 1493 में कैरेबियन द्वीप समूह के ग्वाडेलोप नाम के द्वीप में इसे खोजा था और इसे ‘पाइना दी इंडीज’ नाम दिया। कोलंबस ने यूरोप में अनानास की खेती की शुरूआत की थी। भारत में अनानास की खेती की शुरूआत पुर्तगालियों ने 1548 में गोवा से की थी।

अनानास की विशेषताएं:-

  • अनानास पाचक तत्त्वों से भरपूर, शरीर को शीघ्र ही ताजगी देने वाला, हृदय व मस्तिष्क को शक्ति देने वाला, कृमिनाशक व स्फूर्तिदायी फल है।
  • गर्मी में इसके उपयोग से ताजगी व ठंडक मिलती है।
  • अनानास के रस में प्रोटीनयुक्त पदार्थों को पचाने की क्षमता है।
  • यह आँतों को सशक्त बनाता है।
  • अनानास शरीर में बनने वाले अनावश्यक तथा विषैले पदार्थों को बाहर निकालकर शारीरिक शक्ति में वृद्धि करता है। क्योंकि इसमें क्लोरीन की भरपूर मात्रा होती है ।
  • हृदय-शक्ति बढ़ाने के लिए अनानास का रस पीना लाभदायक है। यह हृदय और जिगर (लीवर) की गर्मी को दूर करने और उसे शक्ति व ठंडक देता है।
  • अनानास में प्रचुर मात्रा में मैग्नीशियम पाया जाता है। यह शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाने और शरीर को ऊर्जा प्रदान करने का काम करता है। एक कप अनानास का जूस पीने से दिनभर के लिए जरूरी मैग्नीशियम के 73 प्रतिशत की पूर्ति होती है।
  • अनानास में पाया जाने वाला ब्रोमिलेन सर्दी, खांसी, सूजन, गले में खराश और गठिया में फायदेमंद होता है। यह पाचन में भी उपयोगी होता है।
  • अनानास में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और साधारण ठंड से भी सुरक्षा मिलती है। इससे सर्दी समेत कई अन्य संक्रमण का खतरा कम हो जाता है।
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इस तरह लाभ लें अनानास का:-

  • अनानास फल के रस में मुलेठी, बहेड़ा और मिश्री मिलाकर सेवन करने से दमे और खाँसी में लाभ होता हैे
  • यदि शरीर में खून की कमी हो तो अनानास खाने या रस पीने से रक्तवृद्धि होती है और पाचनक्रिया तेज होती है।
  • अनानास के पके फल के बारीक टुकड़ों में सेंधानमक और कालीमिर्च मिलाकर खाने से अजीर्ण दूर होता है।
  • अनानास के पत्तों का काढ़ा बनाकर उसमें बहेड़ा और छोटी हरड़ का चूर्ण मिलाकर देने से अतिसार और जलोदर में लाभ होता है।
  • यदि बच्चे के पेट में कीड़े हों तो उसे रोजाना अनानास के कुछ पीस खिलाना चाहिए, इससे बच्चे की हेल्थ भी सुधरेगी और कीड़े भी मर जाएंगे।
  • जिन लोगों को शरीर में बहुत ज्यादा सूजन रहती हो, उन्हें रोजाना अनानास के दो से तीन पीस खाने चाहिएं।
  • अनानास के पत्तों के रस में थोड़ा शहद मिलाकर रोज 2 मिली. से 10 मिली तक सेवन करने से पेट के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
  • पके हुए अनानास का रस निकालकर उसे रूई में भिगो कर मसूड़ों पर लगाने से दांतों का दर्द ठीक होता है।
  • छाती में दर्द, भोजन के बाद पेटदर्द होता हो तो भोजन के पहले अनानास के 25-50 मि.ली. रस में अदरक का रस एक चौथाई चम्मच तथा एक चुटकी पिसा हुआ अजवायन डालकर पीने से 7 दिनों में लाभ होता है।
  • भोजन से पूर्व या भोजन के साथ अनानास के पके हुए फल पर काला नमक, पिसा जीरा और काली मिर्च लगाकर सेवन करने अथवा एक गिलास ताजे रस में एक-एक चुटकी इन चीजों के चूर्ण को डालकर चुसकी लेकर पीने से उदर-रोग, वायु विकार, अजीर्ण, पेटदर्द आदि तकलीफों में लाभ होता है। इससे गरिष्ठ पदार्थों का पाचन आसानी से हो जाता है।
  • पेट साफ न होना, पेट में वायु होना, भूख कम लगना इन समस्याओं में रोज भोजन के साथ काला नमक मिलाकर अनानास खाने से लाभ होता है।
  • बवासीर होने पर मस्सों पर अनानास पीसकर लगाने से लाभ होता है।
  • फुंसियां हो जाने पर अनानास का गूदा फुंसियों पर लगाने से और अनानास का रस पीने से भी लाभ होता है।
  • अनानास का रस 15-20 दिन पीना पथरी में लाभदायी होता है। इससे पेशाब भी खुलकर आता है।
  • अनानास के टुकड़े काटकर दो-तीन दिन शहद में रखकर, कुछ दिनों तक थोड़ा-थोड़ा खाने से नेत्ररोगों में लाभ होता है। यह प्रयोग जठराग्नि को प्रदीप्त कर भूख को बढ़ाता है तथा अरूचि को भी दूर करता है।
  • पेशाब में जलन होना, पेशाब कम आना, दुर्गन्ध आना, पेशाब में दर्द तथा मूत्रकृच्छ (रुक-रुककर पेशाब आना) में एक गिलास – अनानास का ताजा रस में एक चम्मच मिश्री डालकर भोजन से पूर्व लेने पर पेशाब खुलकर आता है और पेशाब संबंधी अन्य समस्याएं भी दूर होती हैं।
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सावधानियां-

  • अनानास कफ को बढ़ाता है। अत: पुराना जुकाम, सर्दी, खाँसी, दमा, बुखार, जोड़ों का दर्द आदि कफजन्य विकारों से पीड़ित व्यक्ति व गर्भवती महिलाएँ इसका सेवन न करें।
  • अनानास के ताजे, पके और मीठे फल के रस का ही सेवन करना चाहिए। कच्चे या ज्यादा पके, गले व खट्टे अनानास का उपयोग नहीं करना चाहिए।
  • अम्लपित्त या सतत सर्दी रहने वालों को अनानास नहीं खाना चाहिए।
  • अनानास के स्वाद वाले आइसक्रीम और मिल्कशेक इत्यादि दूध में बनाये पदार्थ कभी नहीं खाने चाहिएं। क्योंकि ये विरुद्ध आहार है और ये स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त हानिकारक है।
  • भोजन के बीच में तथा भोजन के कम से कम आधे घंटे बाद रस का उपयोग करना चाहिए।
  • भूख और पित्त प्रकृति में अनानास खाना हितकर नहीं है, इससे पेटदर्द होता है।
  • छोटे बच्चों को अनानास नहीं देना चाहिए। इससे आमाशय और आँतों का क्षोभ होता है।

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