Broccoli Benefits ब्रोकोली उगाएं, अधिक मुनाफा पाएं
भारत में विदेशी पर्यटकों की बढ़ती हुई संख्या के कारण देश के पांच सितारा व दूसरे होटलों में विदेशी सब्जियों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। विदेशी सब्जियों में हरी, सफे द, जामुनी ब्रोकोली प्रमुख है। गोभी वर्गीय सब्जियों में फूलगोभी व पत्तागोभी के बाद ब्रोकोली प्रमुख सब्जी की फसल है। इसमें पोषक तत्व, विटामिन्स व प्रोटीन दूसरी गोभी वर्गीय सब्जियों से ज्यादा मिलते हैं तथा अधिक स्वादिष्ट होने के कारण बाजार में अधिक कीमत पर बिकती है।
ब्रोकोली में सल्फोरेफेन नामक तत्व के कारण कैंसर जैसी बीमारी को कम करती है। इसमें खाने वाला मुख्य भाग फूलगोभी की तरह मांसल पुष्प दण्ड होता है। दिल्ली पास होने के कारण आस-पास के किसान ब्रोकोली की खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं तथा पांच सितारा होटलों की मांग को पूरा करके मुनाफा भी कमा रहे हैं। इसका उत्पादन क्षेत्र दिन पर दिन बढ़ रहा है तथा उत्पादक भी इसकी खेती करने के लिए बहुत उत्साहित हैं। उत्पादक जो बड़े शहरों के पास हैं, उनके लिए इसको उगाना मुनाफे का सौदा हो सकता है।
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इसलिए इसको उगाने के लिए कुछ महत्तवपूर्ण तकनीकी जानकारी की जरूरत है जो इस प्रकार है।
ब्रोकोली की उन्नत किस्में:-
ब्रोकोली की मुख्य किस्मों में पालम समृद्धि ग्रीन हैड, पालम विचित्रा, पूसा ब्रोकोली (के.टी.एस. -1) पंजाब ब्रोकोली-1, इटालियन ग्रीन हैड इत्यादि प्रमुख किस्में हैं। इसके अतिरिक्त संकर किस्मों में फिस्टा, लक्की, पुष्पा तथा पैकमेन आदि प्रमुख किस्में हैं।
बीज की मात्रा:-
ब्रोकोली की एक एकड़ बिजाई के लिए 200 ग्राम बीज पर्याप्त रहता है तथा बिजाई से पहले बीज का उपचार 2 ग्राम/किलो बीज की दर से फफूंदीनाशक दवा कैप्टान या थाइरम से करना चाहिए।
बिजाई का समय:-
मैदानी क्षेत्रों में इसके बीज की बिजाई अगस्त के अंतिम सप्ताह से लेकर अक्तबूर तक कर सकते हैं। इसके अलावा इसको पॉली हाऊस में पूरा वर्ष भर उगाया जा सकता है।
बीज की नर्सरी में बिजाई:-
नर्सरी की जमीन को गोबर की गली खाद मिला कर अच्छी तरह तैयार कर लें। उचित आकार की 1 मी. चौड़ी तथा 3 मी. लंबी उठी हुई क्यारियां तैयार करके बीज को 2-3 सें.मी. गहरा नालियों में बीजें। हाथ से ऊपर मिट्टी मिला दे, और गली गोबर की पतली परत से क्यारियों को ढक दें। नर्सरी को बीज जमने तक घास-फूस से ढकना फायदेमंद रहता है तथा बीज निकलने के तीन-चार दिन बाद इसको हटा दें। अच्छी नर्सरी लेने के लिए खरपतवार निराई-गुड़ाई करके लगातार निकालते रहें। 40-45 दिन में पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाती है।
खाद एवं उर्वरक:-
खेत की अंतिम जुताई के समय 20 टन गोबर की गली खाद को खेत में मिला दें। 50 किलोग्राम नाइट्रोजन (200 किलोग्राम किसान खाद) 20 कि.ग्रा. फास्फोरस (120 कि.ग्रा सुपर फास्फेट) व 20 कि.ग्रा. पोटाश (32 कि.ग्रा. म्यूरेट आॅफ पोटाश) प्रति एकड़ डालें। पूरी गोबर की खाद, फास्फोरस तथा पोटाश और 1/3 नाइट्रोजन की मात्रा पौध खेत में लगाने से पहले खेत में देनी चाहिए। बाकी नाइट्रोजन की मात्रा बाद में खड़ी फसल में दो बार करके छिड़क देनी चाहिए। जिंक सल्फेट 8-10 कि.ग्रा. व बोरोन 4 कि.ग्रा. प्रति एकड़ की दर से इस फसल के लिए उपयोगी पाया गया है।
रोपाई की विधि:
लगभग 4-6 सप्ताह में पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाती है। कतार से कतार व पौधे से पौधे के बीच की दूरी 45७45 सैं.मी. रखते हैं। पौध की खेत में रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करें। पौध की खेत में हमेशा शाम के समय रोपाई करें।