बच्चों के दांतों का रखें ख्याल
बच्चे प्राय: दांतों की देखरेख के प्रति नादान होते हैं। माता-पिता का फर्ज़ होता है कि बचपन में उनकी देखभाल में सहयोग करें और उन्हें साथ-साथ प्रशिक्षित करें कि वे कैसे अपने दांतों को सुरक्षित रख सकते हैं। थोड़ी सी बरती लापरवाही कभी कभी बड़ी परेशानियों में तब्दील हो जाती है।
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दांतों की देखभाल के लिए:-
- जब तक बच्चे बॉटल फीड लेते हैं, बोतल को अच्छी तरह ब्रश से साफ करें व पानी में उबालकर फिर दूध दें।
- सोते हुए उनके मुंह में बोतल न छोड़ें।
- दूध पीने के बाद किसी साफ, नर्म गीले कपड़े से जीभ और मुँह अच्छी तरह से साफ करें।
- छ: साल से छोटे बच्चे को फ्लोराइडयुक्त टूथपेस्ट का प्रयोग न करने दें।
- बच्चों को टॉफी, चॉकलेट, च्यूंग-गम और अन्य मीठी वस्तुओं का कम से कम सेवन करने दें।
ब्रश कब से करवाएं:-
जब बच्चे का पहला दाँत निकले, तभी से आप उसके दांत की ब्रशिंग कर सकते हैं। बहुत ही सॉफ्ट ब्रश बच्चों के लिए आते हैं। उससे बच्चे का दाँत ब्रश करें। ध्यान रखें ब्रश आगे से पतला आकार में छोटा हो। पांच छ: वर्ष तक के बच्चों को अगर माता-पिता ब्रश करवाएं तो उचित रहेगा।
अगर बच्चा स्वयं ब्रश करने की जिद्द करे तो प्रात: उसे कहें कि वह स्वयं करे और रात्रि में माता-पिता करवाएं। बच्चों के लिए विशेष टूथपेस्ट मार्केट में उपलब्ध हैं। बच्चों को फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट न दें। पेस्ट बस मटर के दाने के समान लगाएं और ध्यान दें कि बच्चा पेस्ट खा न जाए। अगर लगे कि कभी बच्चे ने पेस्ट खा लिया है तो 2-3 बार उसे कुल्ला करवाएं। उसके बाद उसे दूध पीने को दे दें ताकि पेस्ट का प्रभाव कम हो जाए।
बचाव के लिए:-
- जब बच्चे के आगे के दांत आ जाएं तो एक बार डॉक्टर से उसके दांतों की जांच करवा दें। एक से डेढ़ साल की आयु के बाद बच्चों को डेंटिस्ट के पास ले जाएं। अगर आरंभ में कुछ समस्या होगी तो उपचार सही समय पर शुरु हो जाएगा।
- सात-आठ साल की उम्र के बच्चों को भी डेटिस्ट के पास ले जाएं। अगर कोई आर्थोडॉन्टिक समस्या होगी तो इस आयु में इसका उपचार आसान और बेहतर होता है।
- बच्चों को माउथवॉश प्रयोग न करने दें, क्योंकि बच्चे इसे पी सकते हैं जो बहुत खतरनाक हो सकता है।
- बच्चों को कम शुगर वाले खाद्य पदार्थ खाने को दें। फाइबर वाले भोज्य पदार्थ अधिक दें। मीठा खाने के बाद और ध्यान रखें कि वो बाद में अच्छी तरह से कुल्ला कर मुंह साफ कर ले। बच्चों को दवाई देने के बाद भी कुल्ला अवश्य करवाएं।
- बच्चों के दाँतों पर फ्लोराइड एप्लीकेशन करा सकते हैं जिससे केविटी कम लगने का चांस रहता है। 3 साल की आयु से पहले फ्लोराइड एप्लीकेशन न करवाएं।
- अगर बच्चों की दाढ़ों में कोई गड्ढा हो और खाना उसमें बार-बार फंस जाता हो, ऐसे में डेटिस्ट से उस जगह को सील करा दें ताकि खाना फंस कर सड़ता न रहे और कीड़ा न लगने पाए। इस प्रक्रिया को पिट एंड फिशर सीलेंट कहते हैं।
- अगर दाँत उम्र से पहले टूट जाएं तो वहाँ पर स्पेस मेंटेनर लगवा लें।