Experiences of satsangis

पावन वचनों से असाध्य रोग हुआ ठीक -सत्संगियों के अनुभव

पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपार रहमत

बहन कुलदीप कौर इन्सां पत्नी प्रेमी सौदागर सिंह इन्सां गांव आदमपुरा जिला भटिंडा। बहन जी अपने पूज्य सतगुरु-रहबर हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपने बेटे पर हुई अपार रहमत लिखित रूप में इस प्रकार बताती हैं:-

सन् 1976 में हमारे घर एक लड़के ने जन्म लिया। जिसका नाम हमने होशियार सिंह रखा। सन् 1994 की बात है, जब वह करीब अठारह वर्ष का हुआ तो उसको नजले व छींकों की शिकायत रहने लगी। हमने भाई भगता गांव के अस्पताल में डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने नाक का अच्छी तरह से चैकअप किया तथा एक्सरे भी करवाया। डॉक्टर ने रिपोर्ट के अनुसार बताया कि लड़के के नाक में मांस बढ़ने से नज़ला व छींकें आती हैं।

नाक रोग के विशेषज्ञ ने कहा कि आॅप्रेशन के बिना इसका और कोई ईलाज नहीं है। हमने अन्य भी कई डाक्टरों से राय ली, उन्होंने भी यही कहा कि इसका इलाज आॅप्रेशन ही है। हमने डॉक्टरों की राय के अनुसार, लड़के की नाक का आप्रेशन करवाने का मन बना लिया। जिस दिन हमने आॅप्रेशन करवाने के लिए जाना था, तो उससे पहले दिन-रात को परिवार में सलाह-मशवरा किया। तो सभी की इस बात पर सहमति बनी कि आप्रेशन करवाना ही है तो अपने पूज्य सतगुरु-रहबर हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां से आॅप्रेशन करवाने के लिए आज्ञा ले लें।

तो मैं उस लड़के को लेकर आॅप्रेशन करवाने की आज्ञा लेने के लिए डेरा सच्चा सौदा सरसा दरबार में पहुंच गई। मैंने सतगुरु-प्यारे के पवित्र चरणों में अर्ज़ की कि पिता जी, लड़के के नाक में मांस बढ़ने से नज़ला तथा छींकें बहुत आती हैं। डॉक्टर ने नाक के आप्रेशन का कहा है। सर्व सामर्थ दातार जी ने फरमाया, ‘बेटा! फिक्र नहीं करना। अपने दरबार से दस नम्बर कमरे से दवाई ले लेना। कई बार डॉक्टरों को भुलेखा भी लग जाता है।’ हमने पूजनीय हजूर पिता जी के वचनों पर पूरा-पूरा अमल किया। दवाई का तो बहाना ही था।

मालिक-सतगुरु, दाता जी के वचनों से ही वह असाध्य रोग बिल्कुल ठीक हो गया। पंद्रह दिनों के बाद उसी डॉक्टर से जाकर हमने चेकअप करवाया, तो कोई भी नुक्स नहीं था। नजला-जुकाम भी ठीक। हम अपने सतगुरु दाता जी के बलिहारे जाएं जिनकी रहमत से बिना आॅप्रेशन करवाए वह रोग, जो हमारे सबके लिए सारे परिवार के लिए ही भारी चिंता व सिरदर्दी बना हुआ था, बिल्कुल ही ठीक हो गया। हम पिता जी से यही अरदास करते हैं कि इसी तरह परिवार पर अपनी दया-मेहर, रहमत बनाए रखना जी।