pollution in the house

घरों में घुस आया है प्रदूषण
आज की बदलती जीवन शैली के कारण कोई भी जगह प्रदूषणमुक्त नहीं रही। सुख सुविधाओं की चाह में मनुष्य नये-नये आविष्कार करता रहा है लेकिन उनसे होने वाले नुकसानों को नजÞरअंदाज नहीं किया जा सकता। कुछ चीजेंÞ तो हमारी रोजमर्रा की जिÞन्दगी का अंग बन गई हैं जिनके बगैÞर अब शायद जीने की कल्पना ही नहीं की जा सकती।

बिजली के उपकरणों ने मार्केट ‘कैप्चर‘ कर रखा है। आज का युग कंप्यूटर युग यूंही नहीं कहलाता। कंप्यूटर आज शहरी जीवन का अभिन्न अंग है। हजारों लाखों की रोजÞी रोटी का जरिया बन गया है। इंटरनेट घर बैठे आपको अनेक सुविधाएं उपलब्ध करा देता है लेकिन इसने जीवन की सहजता को डस लिया है। हर समय कंप्यूटर के आगे बैठे लोग न तन से, न मन से नॉर्मल रह सकते हैंं।

टेलीविजन ने हर घर में घुसपैठ कर ली है। इससे निकलने वाली किरणें दिमाग को डल करती हैं, आंखों पर बुरा असर डालती हैं और एक ही स्थिति में देर तक बैठे रहने से न केवल मोटापा बढ़ता है बल्कि शरीर के लचीलेपन में कमी आती है। इसी प्रकार वॉशिंग मशीन, वैक्यूम क्लीनर, माइक्र ो ओवन, और मोबाइल फोन के दिलोदिमाग पर हानिकारक असर हो सकते हैं जिसका परिणाम गंभीर रोगों के रूप में प्रगट हो सकता है।

मोबाइल फोन के अत्यधिक इस्तेमाल से दिल पर असर पड़ता है। कहते हैं कि इसे कोट की ऊपरी जेब में न रखकर पैंट की जेब में या कोट की निचली जेब में रखना चाहिए ताकि इसकी फ्रीक्वेसी के विकिरण सीधा दिल पर असर न करें। कहते हैं मोबाइल फोन का अत्यधिक इस्तेमाल कैंसर का कारण बन सकता है। विद्युत उपकरणों के आसपास एक विद्युत चुंबकीय क्षेत्र निर्मित हो जाता है जो मानव शरीर को प्रतिकूल रूप में अफैक्ट करता है।

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लीना स्कूल में टीचर है। घर बाहर दोनों मोर्चे संभालने के साथ तीन छोटे बच्चों और बूढ़े सास ससुर की देखभाल इन सबके कारण उसे इन उपकरणों की सहायता की आवश्यकता ज्यादा पड़ती है। काम आसान हो जाता है तो उसे भी राहत लगती है लेकिन इधर पिछले कुछ दिनों से वो सिरदर्द से काफी परेशान थी। डॉक्टर भी कारण समझ नहीं पा रहे थे। उसका साइंटिस्ट भाई अमेरिका से आया हुआ था। उसे जब बहन की तकलीफ के बारे में पता चला तो उसने सीधे यही कहा, ‘दीदी कुछ दिन आप वॉशिंग मशीन, मिक्सी और माइक्र ोओवन पर काम न कर के देखो। शर्तिया आपका सिर दर्द गायब हो जाएगा‘, और ठीक वैसा ही हुआ।

खाने में मिलावट आज की ज्वलंत समस्या है। फल सब्जियों को बड़ा करने के लिए उनमें रसायन इंजेक्ट कर देते हैं। इसी प्रकार गाय भैंस को भी इंजेक्ट इसलिए किया जाता है क्योंकि इससे उनके दूध देने में आश्चर्यजनक वृद्धि हो जाती है। इन्हीें की वजह से आज नई-नई बीमारियां मनुष्य की सेहत चौपट कर रही हैं।

मुनाफे को दृष्टि में रख आए दिन नई कीटाणु नाशक दवाएं बाजार में आ रही हैं। ये भी मनुष्य के लिए घातक सिद्ध हो रही हैं। इनसे किया जानेवाला धुआं और ‘स्प्रे‘ काफी समय तक वातावरण प्रदूषित किए रहता हैं जिससे सांस की तथा अन्य कई तरह की बीमारयां हो सकती हैं।

कुछ लोग फैशन और वैभव का प्रदर्शन करने के लिए एयर फ्रेशनर या दुर्गंधनाशक स्प्रे आदि का नियमित प्रयोग करते हैं, उन्हें पता नहीं कि ये शरीर के लिए कितने नुकसानदायक हैं।

इसी तरह ए. सी. (एयर कंडीशनर) और फ्रिज से निकलनेवाले तत्व सी. एफ. सी. ओजोन परत नष्ट करते हैं। कूलर के गंदले पानी से उत्पन्न मच्छर डेंगू और मलेरिया जैसे रोग फैलाते हैं।

धूम्रपान न केवल सिगरेट पीने वाले को ही नुकसान पहुंचाता है बल्कि आपपास के वातावरण को भी प्रदूषित कर उस हवा में सांस लेने वालों पर बुरा असर छोड़ता है।

कुकिंग गैस कई बार हल्की-हल्की लीक करती रहती है। इससे भी सिरदर्द, जी मिचलाने की शिकायत हो सकती है। अंगीठी और चूल्हे की लकड़ी का धुंआ भी कम नुकसान नहीं पहुंचाता। जिन चीजों के बगैर गुजारा नहीं, उनके प्रयोग में एहतियात बरती जानी चाहिए।

घर की खिड़कियां हमेशा बंद न रखें क्योंकि उसमें से आने वाली धूप और ताजी हवा घर को प्रदूषण मुक्त करने में सहायक होती है। दरवाजे चूंकि सुरक्षा की दृष्टि से खुले नहीं रखे जा सकते, इसलिए जरूरी है कि उनमें जाली के दरवाजे हों। घर में जितने संभव हो, पेड़ पौधे लगायें। तुलसी में अनेक गुण हैं। इसका पौधा घर में जरूर लगायें। यह वातावरण शुद्ध रखता है। घर के आसपास गाजर घास न उगने दें।

चौकन्ने रहने तथा प्रदूषण को लेकर जागृत रहने से ही इससे काफी हद तक निपटा जा सकता है। प्रकृति से जितना लगाव रखेंगे, स्वस्थ और आनंदमय जीवन के उतना ही करीब रहेंगे। -उषा जैन ’शीरीं‘

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