व्यक्तित्व को आकर्षक बनाए सही बॉडी मूवमेंट -अक्सर युवा अपने व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाने हेतु अपने चेहरे व कपड़ों पर ही ध्यान देते हैं, पर वे अपने बैठने, खड़े होने व चलने के अंदाज को नजरअंदाज कर देते हैं। जबकि व्यक्तित्व को आकर्षक बनाने के लिए सही ढंग से उठना-बैठना, चलना व खड़े होना भी बहुत जरूरी है।
एयर होस्टेस, मॉडल्स व सौंदर्य प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने वाले लड़के-लड़कियों को सही बॉडी मूवमेंट की खास टेÑनिंग लेनी पड़ती है। वैसे कई फिनिशिंग स्कूल्स व पर्सनल ग्रुमिंग सेंटर्स में भी इस तरह की टेÑनिंग दी जाती है। इन सेंटरों में कार में बैठने का ढंग व सीढ़ियों पर चढ़ने-उतरने का ढंग भी सिखाया जाता है। सही बॉडी मूवमेंट सिर्फ व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाने के लिए ही नहीं, अपितु स्वस्थ रहने हेतु भी बहुत आवश्यक है। यदि आप कंधे झुकाकर चलते हैं, तो आपको स्पांडिलाइटिस की शिकायत हो सकती है और यदि आप घंटों तक एक ही तरफ झुके रहें तो गर्दन टेढ़ी होने का भय रहता है। रीढ़ की हड्डी सीधी न रखी जाए तो कमर में दर्द होने की पूरी संभावना रहती है।
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पोस्चर रखें सही:
अपने सही पोस्चर को परखने के लिए दीवार के सहारे सीधे खड़े हो जाएं। शीशे के सामने आसानी से आप अपने पोस्चर को परख सकते हैं। पैरों को दीवार से तीन इंच दूर रखें। दोनों पैरों में छह इंच की दूरी रखें। सिर व कंधों को दीवार से सटा लें। पेट को अंदर की तरफ ले लें, कूल्हों तथा घुटनों को एक सीध में रखें और पांवों को नब्बे डिग्री के कोण पर रखें। दोनों हाथों को सीधे साइड में रखें।
जब आप चलते हैं तो देखें कि कहीं आप पैर तो नहीं घसीट रहे या फिर आपके कंधे तो नहीं झुके हुए। अपनी चाल का मुआयना करने के लिए सिर पर पुस्तक रखकर सीधे चलने की कोशिश करें। न बहुत तेज चलें, न धीरे। कंधों को आगे की ओर झुकाकर न चलें। जब मुड़ें तो आराम से मुड़ें, झटके से नहीं। जब खड़े हों तो एक पांव पर ही बोझ न डालें, बल्कि दोनों पांवों पर बराकर बोझ डालें।
उठने-बैठने, चलने का का सही ढंग:
कुर्सी पर बैठें तो रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। काम करते हुए भी गर्दन व रीढ़ की हड्डी को सीधा ही रखें। कार में बैठते हुए भी ध्यान से व सही ढंग से बैठें। सीढ़ियों पर चढ़ते व उतरते वक्त पांव, कमर व गर्दन को सीधी रखें। आपकी नज़र सीढ़ियों पर होनी चाहिए। सही पोस्चर के लिए चप्पल का भी सही पहनना आवश्यक है। लड़कियां न तो अधिक हाई हील पहनें व न ही चपटी चप्पल पहनें। पेंसिल हील को भी नजरअंदाज करें। सदैव एक ही चप्पल पर निर्भर न रहें। थोड़ा बदलाव लाते रहें चप्पल में।
सदैव अपने पोस्चर को ध्यान में रखते हुए ही बैठे-उठें। खड़े होते समय, चलते समय, सीढ़ियों पर चढ़ते उतरते समय ख्याल रखें कि आपका पॉश्चर कैसा है। यदि आपको महसूस हो कि आपका पोश्चर सही नहीं है तो अभ्यास करे। थोड़े दिनों के बाद ही आपका बॉडी मूवमेंट सही हो जाएगा। -भाषणा गुप्ता