Experiences of Satsangis

बेटा, तुम्हारे घर खुशियां आएंगी’ -सत्संगियों के अनुभव -पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपार रहमत

प्रेमी फूलचंद इन्सां पुत्र सचखंडवासी श्री राम सरूप जी, निवासी गांव जमालपुर शेखां, जिला फतेहाबाद (हरियाणा)। प्रेमी जी अपने पूजनीय सतगुरु पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपने परिवार पर हुई अपार दया-मेहर का वर्णन इस प्रकार करते हैं:

मार्च 2006 की बात है। तब मेरे घर में तीन बेटियां ही थी, लेकिन बेटा नहीं था। हम पूरा परिवार परेशान रहते थे कि एक लड़का तो होना ही चाहिए और साथ ही यह भी चिंता रहती कि कहीं फिर से लड़की न पैदा हो जाए। इसी चिंता के निवारण के लिए एक दिन हम पति-पत्नी दोनों ही शाह सतनाम शाह मस्ताना जी धाम डेरा सच्चा सौदा, सरसा दरबार में अपने सतगुरु-दाता पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां से लड़के की फरियाद लेकर आए हुए थे। उस दिन सुबह की मजलिस के बाद तेरावास में हमें पूज्य हजूर पिता जी से अरदास करने का अवसर मिला। मेरी पत्नी रानी बाई बहनों वाली लाईन में तथा मैं भाइयों वाली लाईन में बैठा हुआ था।

मेरी पत्नी लाईन में सबसे आगे बैठी थी। पूज्य हजूर पिता जी ने आते ही सबका हालचाल (राज़ी-खुशी) पूछा व अपने पावन आशीर्वाद से सबको निहाल किया। इसी दौरान मेरी पत्नी ने अर्ज़ की कि पिता जी, हमारे पास तीन लड़कियां हैं, लड़का नहीं है जी। हमें लड़के की चाह है। पिता जी, एक लड़के की दात बख्शो जी। सर्व-सामर्थ सतगुरु पूज्य पिता जी ने फरमाया, ‘बेटा, तुम्हारे घर खुशियां आएंगी। बेटा ही होगा।’ इस प्रकार सभी को प्रशाद लेने का वचन किया कि सुमिरन भी करना। पूज्य पिता जी से पवित्र वचन सुनकर हम खुशी-खुशी अपने घर लौट आए।

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कुछ समय बाद मेरी पत्नी को किसी बहन ने कह दिया कि फलां जगह पर फलां बाबा (एक शख्स, उसी को ही बाबा कहा गया है) गोली देता है, जिससे लड़का ही पैदा होता है। मेरी पत्नी ने यह बात मुझे बताई, तो मैंने उसे समझाया कि अपने सतगुरु-दाता जी ने अपने को लड़का होने के वचन किए हैं, हमें अपने सतगुरु जी के वचनों पर ही पूर्ण विश्वास करना चाहिए। हमें किसी और के चक्करों में नहीं पड़ना है। मैं कहीं और जाऊँगा। ये बातें सुनकर मेरी पत्नी मुझसे नाराज़ हो गई और कहने लगी कि मैं तो उस बाबा के यहाँ जाऊँगी और गोली भी जरूर लूंगी। मेरे लाख समझाने पर भी वह नहीं मानी तो मजबूरन मुझे भी उसके साथ जाना पड़ा। वहाँ पर वह बाबा सभी चाहवानों को लड़का होने की गोली दे रहा था।

जब हमारी बारी आई, तो उसने हमसे पूछा कि इससे पहले लड़के के लिए आपने कहीं और से भी दवाई आदि ली है? हमने कहा कि हम डेरा सच्चा सौदा से जुड़े हुए हैं और वहां के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां से लड़का बख्शने की अर्ज़ की थी। तो पूज्य गुरु जी ने हमें हमारे घर में खुशियाँ आने का वचन किया है कि चिंता न करो, लड़का ही होगा, अर्थात् हमारे सतगुरु जी ने हमें लड़का होने का आशीर्वाद दिया है। यह सुनकर वह बाबा हड़बड़ा गया और कहने लगा कि फिर यहाँ क्यों आए हो! अपने गुरु पर ही यकीन करो। मैं तुम्हें कोई गोली नहीं दे सकता। आप यहाँ से चले जाओ। हम वहाँ से चले आए और मन ही मन अपने सतगुरु जी से क्षमा-याचना भी करते रहे कि हमें अपने दाता-प्यारे पर दृढ़ यकीन रखना चाहिए। फिर हम दोनों पति-पत्नी बराबर सुमिरन व अरदास करते रहे।

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समय पूरा होने पर जिस दिन शिशु (बच्चे) ने पैदा होना था, उस सुबह मेरी पत्नी अर्द्धनिद्रा की अवस्था में थी। पूज्य हजूर पिता जी ने मेरी पत्नी से अंतर्मुख आशीर्वाद और फरमाया, ‘बेटा, तू अंदर सोई पड़ी है, तेरा लड़का तो बाहर बरसात में भीग रहा है। जल्दी जा, उसको सम्भाल।’

वह दिन 28 फरवरी 2007 का था। उस भाग्यशाली दिन को हमें लड़के की दात प्राप्त हुई और यहाँ पर यह भी बताना चाहता हूं कि उस दिन खूब बरसात हुई थी। हमने अपने सतगुरु-दाता का कोटि-कोटि धन्यवाद किया और हमारा विश्वास अपने सतगुरु जी के प्रति और भी दृढ़ हो गया। उस गोली वाले बाबा ने हमें गोली देने से मना क्यों किया था, आज हमें वो बात भी समझ में आ गई थी। पूरे सतगुरु के शिष्य प्रेमी को अपने ही सतगुरु के प्रति दृढ़ निष्ठा, विश्वास रखना चाहिए। सतगुरु अपने शिष्य की हर जायज मांग बिना मांगे ही पूरी करता रहता है। हमने अपनी उस भूल के लिए अपने सतगुरु दाता से क्षमा मांगी और आगे से भी ऐसे किसी चक्कर में पड़ने से तौबा की।

पूज्य सतगुरु संत डॉ. एमएसजी के वचनानुसार हमारे परिवार में खुशियां ही खुशियाँ छा गई। जिस खुशी के लिए हम तरस रहे थे, सतगुरु-दाता जी ने हमारी अर्ज, हमारी तड़प को स्वीकार करते हुए अपने पावन वचनों के द्वारा हमारा घर खुशियों से भर दिया, हमें बेटा बख्श दिया। अपने सतगुरु, मुर्शिदे-कामिल का हम किसी भी रूप में देन नहीं दे सकते। हम पूरा परिवार सतगुरु जी के पवित्र चरणों में यही अरदास करते हैं कि हे शहनशाह जी, हमें हमेशा अपने चरणों से लगाए रखना जी और हमें इतनी शक्ति बख्शना जी कि हम आप जी के पावन वचनों पर ता-उम्र पक्के रहें जी।