Editorial संत-महापुरुष सृष्टि के उद्धार के लिए जगत में देहि धारण करते हैं। जीवात्मा जन्मों-जन्मों से जन्म-मरण के चक्कर में फंसी हुई है। अपने आपका छुटकारा पाना जीवात्मा के लिए अति असंभव, अति असंभव है। क्योंकि मन-माया ने जीव को संसार में बुरी तरह से उलझा रखा है। मोह-माया का जाल, जीव पर पड़ा मोह-माया का भ्रम कैसे टूटे, कैसे इस जाल से जीव बाहर आए, कैसे आजाद हो, लाचार जीव अपनी आजादी के लिए सोच भी नहीं सकता।
इससे आजादी पाना, मोह माया के भ्रम से निकल पाना तो बहुत दूर की बात है। सच्चे संत ही इसका रास्ता बताते हैं। समय-समय पर संतों ने जीव-सृष्टि पर अवतरित होकर दुनिया पर सच का प्रचार किया, दुनिया को सच के रास्ते, परम पिता परमेश्वर के सच्चे नाम का संदेश दिया है। वो सृष्टि के उद्धार का उद्देश्य ले के जगत पर प्रकट होते हैं। वो संसार पर रहते हुए सृष्टि उद्धार के साथ-साथ मानवता व समाज के सुधार का कार्य भी करते हैं। सृष्टि कभी भी संतों से खाली नहीं रहती। अल्लाह, मौला का यह पवित्र कार्य बिना रुके आदि-जुगादि से चला आ रहा है। संत परम पिता परमात्मा के नायक होते हैं। वो हमेशा उसकी रजा में ही रहते हैं और उसी की रजा में रहते हुए अपने उद्देश्य, सृष्टि व समाज की भलाई के कार्य को पूरा करते हैं।
दुनियादारी में अगर कोई किसी का कोई काम कर भी देता है बात-बात पर वो इतनी बार एहसान जताता है कि अपने सामने उसे सिर भी नहीं उठाने देता और दूसरी तरफ वो अल्लाह, राम कभी किसी का एहसान भी नहीं लेता। अगर कोई परम पिता परमेश्वर का कभी धन्यवाद भी करता है तो उसके बदले वो उस जीव को पता नहीं अपनी कितनी बख्शिशों से नवाज देता है। परम पूजनीय बेपरवाह मस्ताना जी महाराज ने कार्तिक पूर्णिमा सन् 1891 को बिलोचिस्तान में अवतार धारण किया। आप जी ने अपने मुर्शिदे-कामिल सार्इं सावण शाह जी के हुक्मानुसार सन् 1948 में सरसा में डेरा सच्चा सौदा सर्व धर्म संगम स्थापित कर राम नाम का प्रचार शुरू किया।
आप जी ने दुनिया को सर्वधर्म का पाठ पढ़ाया। आप जी के सृष्टि के नमित परउपकार कभी कोई भुला नहीं सकता। पूज्य बेपरवाह जी ने बागड़ के इस एरिया में उस वक्त डेरा बनाया, राम-नाम का प्रचार उस वक्त में शुरू किया जब कोई राम-नाम को जानता भी नहीं था। चहुं ओर स्वार्थ का बोलबाला था। हाथ को हाथ खाय जा रहा था। पूज्य सार्इं जी ने डेरा सच्चा सौदा में ऐसे अचंभे भरे कार्य किए कि लोग डेरा सच्चा सौदा में खिंचे चले आए और राम नाम से जुडेÞ। पूज्य बेपरवाह जी ने 12 साल लोगों को नोट, सोना, चांदी, कपड़े कम्बल बांट-बांट कर राम-नाम से जोड़ा। ऊटों, गधों को बूंदी खिलाना, कुत्तों, बकरियों के गले में नए कड़कते नोट पहना देना इत्यादि ऐसे अद्भुत रूहानी खेल दुनिया को दिखाए।
बढ़िया आलीशन मकान बनाना और फिर गिरा देना, तो लोग देख सुनकर अचंभे में पड़ जाते। पूज्य सार्इं जी ने इस बहाने सैकड़ों से हजारों लोगों को राम-नाम देकर संसार सागर से बेड़ा उनका पार किया। परम पिता परमेश्वर का यह परोपकारी करम निरंतर चलता रहता है। डेरा सच्चा सौदा के दूसरे पातशाह पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने 30-31 साल जीवोद्धार का करम किया और लाखों लोगों को ईश्वर की भक्ति से जोड़ा। और मौजूदा समय में डेरा सच्चा सौदा में बतौर तीसरे पातशाह पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने करोड़ों नए जीवों को राम नाम की भक्ति से जोड़ा, वहीं विश्वस्तरीय मानवता भलाई के कार्याें के द्वारा डेरा सच्चा सौदा का नाम पूरे विश्व में मशहूर किया। देश-विदेश में करोड़ों श्रद्धालु आज डेरा सच्चा सौदा के नियमों को धारण किए हुए हैं।
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