Sharmilapan बच्चे तो चुलबुले, शरारती ही अच्छे लगते हैं पर कुछ बच्चे स्वभाव से शर्मीले होते हैं जो न तो ज्यादा दूसरे बच्चों में मिक्स होते हैं, न बड़ों से कुछ बात करते हैं और न ही बच्चों के खेल में खेलना पसंद करते हैं। बस चुपचाप, गुमसुम से अपनी ही दुनियां में रहते हैं अगर कोई बात कर ले तो गर्दन, सिर हिला देते हैं या सीमित सा जवाब देते हैं। उन्हें देखकर लगता है उनका बचपन कहीं खो सा गया है।
बहुत बार माता-पिता, अध्यापक भी ऐसे बच्चे की ओर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। उन्हें लगता है बच्चा बहुत शरीफ है, अपने आप बड़ा होकर ठीक हो जाएगा। अधिकतर माता-पिता और अध्यापक की सोच गलत रहती है।
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बच्चे के शर्मीले होने के कारण Sharmilapan
- कभी कभी बच्चे के शर्मीले होने का कारण वंशानुगत भी होता है क्योंकि माता-पिता भी शर्मीले स्वभाव के होते हैं। वे भी अन्य लोगों से कम इंटरेक्ट करते हैं तो स्वाभाविक है बच्चा भी शर्मीला होगा, वह भी इंटरेक्ट कम करेगा।
- कभी कभी बच्चों का व्यक्तित्व अतिसंवदेनशील होता है। वे अपनी बात किसी से भी खुलकर नहीं कह सकते। मन में संकोच रहता है कि कहीं डांट न पड़ जाए, कहीं मैं गलत तो नहीं। ऐसे में उनका स्वभाव शर्मीला डिवलप होता है।
- बचपन में बच्चों के अपने अपने रोल मॉडल होते हैं। वे हर रूप में उनका अनुकरण करना चाहते हैं। बोलने के अंदाज को विशेषकर अपने जीवन में उतारना चाहते हैं। ऐसे में हो सकता है उनके माता-पिता ही उनके रोल मॉडल हों और वे भी शर्मीले हों तो बच्चे भी वैसे ही नकल करते हैं क्योंकि वे अपने माता-पिता को कम बोलते देखते हैं, कम मिलते जुलते देखते हैं तो उन्हें भी वैसी आदत बन जाती है।
- सोसायटी से इंटरएक्शन की कमी भी उनके शर्मीलेपन का कारण बनती है। बपचन में कभी कभी किसी भी परिस्थितिवश जो बच्चे अकेले रहते हैं, उन्हें दूसरों से अधिक बात करने की आदत नहीं होती और ऐसे बच्चे सोसायटी में आसानी से घुलमिल नहीं पाते। यही आदत आगे जाकर उन्हें शर्मीला बनाती है।
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Sharmilapan शर्मीले बच्चों के लक्षण
- शर्मीले बच्चे सोशल गेदरिंग में जाना पसंद नहीं करते।
- नए दोस्त आसानी से नहीं बनाते। उनका दायरा बहुत सीमित रहता है।
- स्कूल स्तर पर कंपिटिशन में हिस्सा लेने से डरते हैं।
- घर में आए मेहमानों के साथ नहीं बैठते, न ही खाते पीते हैं।
- घर पर भी रहते हुए अकेले कमरे में बैठना पसंद करते हैं। अकेले खाना पसंद करते हैं।
शर्मीले बच्चों की परेशानियां
- टैलेंटड होने पर भी ऐसे बच्चे उसका लाभ पूरा नहीं उठा पाते।
- अपने टैलेंट को करियर के रूप में आगे नहीं ले जा सकते।
- पढ़ाई पर भी प्रभाव पड़ता है। कुछ समझ न आने पर ऐसे बच्चे अध्यापक से अपनी समस्या नहीं बता पाते। न ही शर्मीले बच्चे ग्रुप स्टडी कर पाते हैं।
- आउटडोर गेम्स खेलना पसंद नहीं करते। टीवी देखना, मोबाइल पर गेम खेलना, घर में रहना अच्छा लगता है जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास रूक जाता है।
ऐसे में पेरंटस की जिम्मेदारी
- माता पिता को चाहिए ऐसे में बच्चे को कोई टाइटल न दें, न ही किसी से परिचित कराते समय कहें कि यह बहुत शर्मीला है, नहीं तो बच्चा अपने आपको शर्मीले स्वभाव से बाहर नहीं निकाल पाएगा।
- अगर बच्चा बाहर शर्माए तो उसे डांटे नहीं। घर जाकर प्यार से समझाएं और उसे मारल सपोर्ट दें।
- बच्चे से बात करें कि आप क्यों शर्माते हैं या डरते हैं। बच्चे के उन एरिया को पहचानें और उससे बाहर निकलने में मदद करें।
- बच्चे को कोई ऐसा किस्सा सुनाएं जब आपने स्कूल या कालेज लेवल पर शर्मीले स्वभाव के कारण कोई नुकसान उठाया हो।
- बच्चे को सोशल गेदरिंग में लेकर जाएं। अधिक से अधिक लोगों के साथ मिलवाएं। घर आकर उसके अच्छे व्यवहार की तारीफ करें।
- बच्चे के टैलेंट को मोटिवेट करें। उसका मजाक न बनाएं। अगर कहीं कुछ गलती करता है तो उसे प्यार से सुधारें। अगर आप ऐसा करेंगे तो परिणाम ज्यादा अच्छा आएगा।
- बचपन में बच्चे पर अपनी इच्छा न थोपें। अक्सर हम गलती करते हैं कि जब कोई मेहमान आता है और बच्चा छोटा हो तो उसे कविता सुनाने, डांस करके दिखाने की जिद्द करते हैं। कभी कभी बच्चे का मूड नहंीं होता। ऐसे में उस पर जबरदस्ती न थोपें, न ही उसकी बुराई करें। -नीतू गुप्ता
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