Change luck by installing rainwater harvesting system

रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाकर बदली किस्मत |Change luck by installing rainwater harvesting system  भू-संरक्षण के साथ-साथ सफल किसान बना नरेन्द्र कंबोज

सफल किसान नरेन्द्र कंबोज बताते हैं कि वह रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगने के बाद संतुष्ट हैं। उनका कहना है कि जितनी उपज दूसरे खेतों के किसान प्रति एकड़ के हिसाब से लेते हैं, उतनी ही उपज मैं ले रहा हूँ। साथ ही मैं उनके अलावा भूमि को पानी भी दे रहा हूँ। साथ ही वह कहते हैं कि मेरे उपज का भी मुझे वही दाम मिलता है जो अन्य किसानों को मिल रहा है, जिससे मेरी आर्थिक स्थिति में भी सुधार आया है। नरेन्द्र ने बताया कि मुझे इस बात की बहुत खुशी है कि मैं जल संरक्षण के लिए काम कर प्रकृति को बचाने में अपनी भागीदारी दे रहा हूँ। दूसरे किसानों को भी, जहां खेतों में जल भराव की समस्या है, अपने खेतों में रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम को लगवाना चाहिए ताकि हम पानी की बर्बादी को बचा सकें।

किसानी एक ऐसा पेशा है, जिसमें इस बात का सबसे अधिक ध्यान रखा जाता है कि खेत की स्थिति कैसी है, वहां पानी का जमाव तो नहीं होता है? यदि खेत में पानी जमाव की समस्या होती है, तो बारिश के मौसम में पानी भर जाता है और अगर यह पानी जल्दी न निकाला जाए, तो किसान की पूरी फसल खराब हो सकती है। ऐसा ही कुछ, कई वर्षों तक हरियाणा के किसान नरेन्द्र कम्बोज के साथ होता रहा। हरियाणा के करनाल में रमाना रमानी गांव के रहने वाले 32 वर्षीय किसान नरेन्द्र कम्बोज 12वीं पास हैं और पढ़ाई के बाद से ही अपनी पारिवारिक खेती को संभाल रहे हैं। वह बताते हैं कि उनके इलाके में गेहूं और धान की फसल सबसे ज्यादा होती है।

लेकिन 2019 से पहले लगातार कई सालों तक उनकी धान की फसल लगभग पूरी ही खराब हो जाती थी, क्योंकि उनके खेतों में बारिश का पानी ठहरता था और इसे निकलने में लगभग 15 दिन लग जाते थे। लगातार इतने दिनों तक खेतों में पानी रहने से फसल खराब होने लगती थी।


नरेन्द्र के अनुसार, मेरे पास आठ एकड़ जमीन है और यह झील में है। इसलिए चाहे बारिश हो या अन्य किसी वजह से पानी आए, पास के सभी खेतों से होता हुआ 600 एकड़ खेतों का पानी मेरे खेतों में इकट्ठा हो जाता था। बारिश के मौसम में तो हालात बिल्कुल ही खराब हो जाते थे। कई बार खेतों की ऊंचाई बढ़ाने के लिए मिट्टी डलवाने का भी सोचा लेकिन इस काम में खर्च बहुत है और एक आम किसान के बस की यह बात नहीं।

लेकिन कहते हैं न कि जहाँ चाह वहाँ राह।
नरेन्द्र ने ठान लिया था कि उन्हें इस समस्या को खत्म करना ही है, क्योंकि कब तक वह नुकसान झेलेंगे। इसलिए उन्होंने इस बारे में लोगों से विचार-विमर्श किया और उन्हें आईडिया आया कि क्यों न बारिश के पानी को बेकार करने की बजाय जमीन के अंदर भेजा जाए। इसी विचार के साथ, साल 2019 में उन्होंने अपने खेतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाया।

फसल संरक्षण के साथ जल-संरक्षण भी:

नरेन्द्र कंबोज के अनुसार उनके रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की बोरिंग 175 फीट गहरी है। साथ ही, इसमें फिल्टर भी लगे हैं ताकि पानी शुद्ध होकर जमीन में पहुंच सके। रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम होने से अब खेतों में बारिश का पानी मुश्किल से दो दिन रुकता है और इससे फसलों को कोई नुकसान नहीं होता है। पिछले दो सालों में हमारी फसल बिल्कुल भी खराब नहीं हुई है।

रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाने में नरेन्द्र का खर्च 60 हजार रुपए के आसपासआया है। यह सिस्टम उसने तीन वर्ष पूर्व लगवाया था, लेकिन यदि आज की बात करें तो इस सिस्टम को लगवाने पर लगभग 90 हजार रुपये लागत आएगी। लेकिन उनका कहना है कि यह सिर्फ एक बार की लागत है। अब कम से कम वह अपनी लाखों की फसल को बचा पा रहे हैं। साथ ही, अगर वह आठ एकड़ जमीन में मिट्टी डलवाते तो भी खर्च लाखों में ही आता। अब कम से कम उनके इस कदम से न सिर्फ उनकी फसल बल्कि पानी भी संरक्षित हो रहा है। उनका कहना है, मैंने कभी लीटर में तो पानी नहीं मापा है, क्योंकि मैं एक आम किसान हूँ। लेकिन इतना जरूर कह सकता हूँ कि अपनी धान की फसल के लिए जितना पानी मैं जमीन से लेता हूँ, उसका चार गुना पानी जमीन को वापस दे रहा हूँ।

दूसरे किसानों को मिली प्रेरणा:

नरेन्द्र कंबोज से प्रेरित होकर उनके गांव के और भी कई किसानों ने अपने खेतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाया है। इसके अलावा, उनके इस कदम की तारीफ हरियाणा सरकार के तत्कालीन कृषि मंत्री ओपी धनखड़ द्वारा 11 हजार रुपए सम्मान स्वरुप दिए गए। उन्होंने बताया, हरियाणा ही नहीं, पंजाब से भी कुछ किसान हमारे यहाँ यह सिस्टम देखने आये थे, क्योंकि दूसरी जगहों पर भी बहुत से ऐसे किसान हैं, जिनकी जमीन इस तरह से नीचे या झील वाले इलाकों में है।

वे भी किसी न किसी सीजन में इस परेशानी से गुजरते हैं। लेकिन किसानों के लिए इस परेशानी का सबसे अच्छा हल रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम है। नरेन्द्र के अनुसार, उनके गांव में लगभग चार-पांच किसानों व आसपास के कई क्षेत्र के किसानों ने अपने खेतों में रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाया है। यही नहीं, जिला करनाल की कई सरकारी ईमारतों, जैसे पॉवर हाउस बिल्डिंग व कई स्कूलों में भी हार्वेस्टिंग सिस्टम से भू-जल संरक्षण किया जाता है।

खेतों में लगवाया रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम:

हरियाणा पोंड एंड वेस्टवाटर मैनेजमेंट अथॉरिटी के सदस्य तेजिंदर सिंह तेजी (38) कहते हैं, नरेन्द्र जैसे किसान सभी के लिए प्रेरणा हैं।

जिस तरह से भूजल स्तर घट रहा है, ऐसे में अगर अब भी हम ठोस कदम नहीं उठाएंगे तो परिस्थितियां और बिगड़ जाएँगी।

हमने नरेन्द्र के खेतों का दौरा किया और दूसरे किसानों को भी उनसे प्रेरणा लेने के लिए कहा।

क्योंकि अगर हर एक किसान अपने खेतों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनवा ले, तो भूजल स्तर को व्यापक स्तर पर बढ़ाया जा सकता है। हम अपने संगठन के जरिए राज्य के सभी तालाबों को फिर से संरक्षित करने में जुटे हुए हैं।

साथ ही, लोगों को जल-संरक्षण तकनीकें अपनाने की सलाह देते हैं।

इसके अलावा, अगर कोई किसान अपने खेतों में तालाब बनवाना चाहता है, तो उसके लिए भी हरियाणा सरकार द्वारा सब्सिडी दी जा रही है।

तेजिंदर कहते हैं कि सरकार की बहुत-सी योजनाएं किसानों और पर्यावरण के हित में हैं।

जरूरत है, तो बस नरेन्द्र कम्बोज जैसे किसानों की, जो कुछ अलग करके अपनी समस्याएं हल कर रहे हैं।

नरेन्द्र खुद सेमीनार में करते हैं जागरूक

करनाल के जल विभाग के अधिकारी आदित्य डबास भी नरेन्द्र कंबोज के रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से बेहद प्रभावित हुए, उन्होंने उनके सिस्टम से संबंधित पूरी जानकारी जुटाई और नरेन्द्र कंबोज के भू-जल संरक्षण में अमूल्य योगदान की खूब प्रशंसा की। उन्होंने कई क्षेत्रों में किसानों के लिए भू-जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए सेमीनार भी लगवाए, जहां किसानों को नरेन्द्र का उदाहरण पेश कर उनके सिस्टम को अपनाने की अपील की।

खुद नरेन्द्र भी करनाल में आयोजित कई सेमीनारों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से संबंधित जानकारी दे चुके हैं, जिसके बाद किसानों में जागरूकता आई और अब निचले क्षेत्रों में जहां पानी भर जाता है, वहां किसान इस सिस्टम को लगाने की ओर बढ़ रहे हैं।
– रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने वाले नरेन्द्र कम्बोज का नंबर: (99921 96856)।

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