Oximeter to check oxygen level at home, learn how to use it

ऑक्सीमीटर घर पर चैक करें आॅक्सीजन लेवल, जानें प्रयोग के तरीके Oximeter to check oxygen level at home, learn how to use it

कोरोना महामारी में कुछ चीजें हमें नई सीखने को मिली हैं। मास्क पहनना को नई बात नहीं, विदेशों में अक्सर कुछ लोग मास्क पहनते हैं। जैन धर्म में तो यह प्रक्रिया पहले से ही प्रचलित व पारंपरिक है।

इसी तरह हमें खुद की सफाई रखने व सामाजिक दूरी बनाने की भी अच्छी आदत को भी अपनाया। ऐसे में कोरोना में कुछ घर पर ही टेस्ट करने के लिए नई प्रोडेक्ट्स भी लांच हुए जैसे ऑक्सीमीटर ।

आम दिनों में हमने कभी इसका नाम भी नहीं सुना था लेकिन अब हर व्यक्ति को पता है कि शरीर में आॅक्सीजन लेवल चैक करने के लिए आॅक्सीमीटर का प्रयोग किया जाता है।

आज हम आपको आॅक्सीमीटर संबंधित कुछ बातें बताने जा रहे हैं, क्योंकि फिलहाल कोरोना गया नहीं। यदि आप आॅक्सीमीटर का प्रयोग ध्यान से करते हैं तो आप बिना वजह अस्पताल में भर्ती होने से बच सकते हैं। आज हम आपको आॅक्सीमीटर रीडिंग कैसे करते हैं और उसका प्रयोग कैसे किया जाता है, इन सब के बारे में बताएंगे।

बढ़ रही पल्स ऑक्सीमीटर की डिमांड:

कोरोना काल में पल्स आॅक्सीमीटर की बिक्री बहुत बढ़ रही है। वह दिन के 150 आॅक्सीमीटर बेच रहे हैं। दुकानों पर हर दूसरे दिन आॅक्सीमीटर आउट आॅफ स्टॉक हो जातें हैं और लोग पहले से ही आॅर्डर भी देकर जा रहे है। यह यंत्र चलाने में भी आसान होता है और इसमें छह महीने की गारंटी भी होती है। आपको केवल अपनी उंगली इस यंत्र के अंदर डालनी होती है और इसकी रीडिंग नोट करनी होती है। तो क्या आप देख रहे हैं कि आॅक्सीमीटर कितना काम का डिवाइस है। यह आज के समय में सभी के घरों में होना आवश्यक है। यदि आपको लग रहा है कि आपके घर में किसी को कोविड के लक्षण हैं तो आप पहले आॅक्सीमीटर से उसका आॅक्सीजन लेवल जरूर चेक करें।

ऑक्सीमीटर की वैल्यू कैसे रीड करें?

आॅक्सीमीटर की एक स्वस्थ और सामान्य व्यक्ति की रीडिंग 95 से 100 के बीच होती है। डॉक्टरों का कहना है कि यदि आपका लेवल इतना है तो आपकी आॅक्सीजन लेवल सामान्य है। डॉक्टरों के मुताबिक आपको पूरी 99 या 100 लेवल आॅक्सीजन होनी भी जरूरी नहीं है। अब 92 से 95 तक का लेवल भी बॉर्डर लाइन माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति का लेवल 92 से कम चला जाता है तो उसे अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है।

ब्रीदिंग एक्सरसाइज बेहद कारगर:

कुछ ब्रीदिंग एक्सरसाइज आपके फेफड़ों की क्षमता बढ़ा सकती हैं और आपके रेस्पिरेटरी सिस्टम के लिए भी लाभदायक होती हैं और इससे आपकी इम्युनिटी भी बढ़ती है। आपको सुबह प्राणायाम जैसे भस्त्रिका, कपालभाति और नदी शुद्धि जैसे योगासन हर रोज 10 से 15 मिनट के लिए करने चाहिए। इन आसनों को आप खाली पेट सुबह के समय करेंगे तो अधिक लाभ मिलेगा, आप खाने के तीन घंटे बाद भी यह योग कर सकते हैं। सांस छोड़ने की प्रक्रिया को सांस लेने से अधिक रखें। यदि आपको पहले से ही कोई बीमारी है तो आपको कपालभाति जैसी एक्सरसाइज डॉक्टर की देखरेख में करनी चाहिए क्योंकि इनमें ब्रीदिंग करते समय अधिक जोर लगाना पड़ता है।

ऐसे करें आॅक्सीजन लेवल चेक:

टेस्ट के बाद पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर लोगों को घर पर आॅक्सीमीटर का उपयोग करके अपने आॅक्सीजन के स्तर की जांच करनी चाहिए। लोग अपनी उंगली पर आॅक्सीमीटर लगाकर छह मिनट का वॉक टेस्ट भी कर सकते हैं। अपनी तर्जनी या मध्यमा अंगुली में आॅक्सीमीटर पहनें। अब 6 मिनट के लिए एक समान सतह पर विराम लिए बिना चलें। 6 मिनट के बाद, यदि आॅक्सीजन का स्तर नीचे नहीं जाता है, तो व्यक्ति को स्वस्थ माना जाता है।

ऐसे रखें नजर:

आॅक्सीजन का स्तर 1 फीसदी या 2 फीसदी कम हो जाए तो चिंता की कोई बात नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले में, व्यक्ति को आॅक्सीजन के स्तर पर नजर रखने के लिए दिन में एक या दो बार एक्सरसाइज करना चाहिए। यदि आॅक्सीजन का स्तर 93 प्रतिशत से कम हो जाता है और व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होती है, तो व्यक्ति को तुरंत हॉस्पिटल जाना चाहिए। अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए टेस्ट की सलाह नहीं दी जाती है। साथ ही, 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग छह के बजाय तीन मिनट तक वॉकिंग टेस्ट कर सकते हैं।

मार्केट में मौजूद हैं तीन तरह के पल्स आॅक्सीमीटर

मार्केट में तीन तरह के पल्स आॅक्सीमीटर पाए जाते हैं। इसमें फिंगरटिप पल्स आॅक्सीमीटर, हैंडहेल्ड आॅक्सीमीटर और फेटल पल्स आॅक्सीमीटर शामिल हैं। हालांकि आमतौर पर फिंगर टिप पल्स आॅक्सीमीटर खरीदना एक बेहतर आॅप्शन साबित होता है। हैंडहेल्ड आॅक्सीमीटर और फेटल पल्स आॅक्सीमीटर मुख्त तौर पर हॉस्पिटल और क्लिनिकल यूजर के लिए आते हैं।

यह योगासन बढ़ाएंगे ब्रीदिंग लेवल:

  • कपालभाति व भस्त्रिका: यह एक क्लीनिंग प्रैक्टिस है और इस आसन का हमारे रेस्पिरेटरी सिस्टम पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है। यह हमारे शरीर के अंदर आॅक्सीजन लेवल बढ़ाती है और हमारे सभी आॅर्गन और टिश्यू को मजबूत बनाती है। हमारी इम्यूनिटी को बढ़ाती है और भस्त्रिका हमारे फेफड़ों में जमे अतिरिक्त बलगम को निकालती है।
  • विभाग प्राणायाम: यह आसन हमारे फेफड़ों को हेल्दी बनाता है और इसमें हमारा अब्दोमन, थोरेसिक और क्लेविकुलर सेक्शन को शामिल करता है।
  • नदी शुद्धि: यह एक्सरसाइज आपके फेफड़ों को ठीक करती है और हमारे नर्वस सिस्टम, रेस्पिरेटरी सिस्टम और पाचन तंत्र को संतुलित करता है।
  • प्रोनिंग तकनीक: यदि आप लेटकर प्रोनिंग तकनीक और तीन बाल वाली मशीन का प्रयोग करते हैं तो उससे भी आपके फेफड़े मजबूत बनते हैं और आपके शरीर में आॅक्सीजन लेवल भी बढ़ता है। इसलिए इन तकनीकों का और ब्रीदिंग एक्सरसाइज का प्रयोग भी जरूर करें।

पल्स ऑक्सीमीटर के प्रयोग:

  • प्रोब पर रखना: यह चेक करने के लिए कि आॅक्सीमीटर सही से काम कर रहा है या नहीं, आपको प्रोब सीधे मरीज के ऊपर सही ढंग से रखना होगा। अधिकतर आॅक्सीमीटर में उंगली द्वारा जांच होती है लेकिन कुछ आॅक्सीमीटर में कान के द्वारा भी जांच होती है। प्रोब बड़े ही ध्यानपूर्वक डिजाइन किए गए है ताकि उनके अंदर से लाइट आ सके और दूसरी साइड से डिटेक्ट हो सके।
  • प्रोब बहुत ही नाजुक होते हैं इसलिए आपको उनका प्रयोग बड़े ही ध्यान से करना होगा। यह प्रोब उंगली में बड़े ही ध्यानपूर्वक और सही ढंग से फिट किया गया है। याद रखें कि यह प्रोब इस तरह उंगली में लगाया गया है कि वह न तो अधिक टाइट हो और न ही अधिक ढीला।
  • यह प्रोब सबसे लंबी उंगली में लगाया हुआ है और इसे सही ढंग से भी नहीं लगाया गया है। लंबी उंगली का प्रेशर अधिक होने के कारण प्रोब पर अधिक फोर्स लग रहा है जिस कारण वह टूट भी सकता है। इस तरह प्रोब लगाने पर सर्कुलेशन घटी हुई दिख सकती है और डिजिट भी कम दिख सकती हैं।

कान का प्रोब:

कान के प्रोब को आपने इयर लोब पर लगाकर प्रयोग करना होता है। छोटे बच्चों में यह प्रोब मुंह के आंतरिक भाग से बाहरी भाग की ओर जाते हुए लगाया जाता है और इस दौरान प्रोब साफ भी रहता है। कई बार अगर आप इयर लॉब को हल्का हल्का मसलते भी हैं तो भी वह सकुर्लेशन को बढ़ी हुई दिखाता है।

पल्स आॅक्सीमीटर गलत रीडिंग दिखा सकता है?

ऐसे कुछ पांच कारण हैं जिनके कारण आपका पल्स आॅक्सीमीटर सही रीडिंग नहीं भी दिखा सकता है।

  • उंगली पर किसी प्रकार का पिगमेंट लगा होना।
  • प्रोब पर बहुत तेज लाइट होना।
  • मरीज की मूवमेंट होते रहना।
  • कार्बन मोनोआॅक्साइड प्वाइजनिंग होने के कारण।
  • यदि आपको आॅक्सीमीटर का प्रयोग करते समय यह सब चीजें दिखाई दे रही हैं तो आपकी रीडिंग बिलकुल सटीक आए यह संभव नहीं है।

नाखूनों पर नेल पॉलिश लगाना

आखिर नेल पेंट का आॅक्सीमीटर से क्या मतलब? आप भी यह सवाल सोच रहे होंगे। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि नेल पेंट का रंग आॅक्सीमीटर के प्रोब पर ब्राइट प्रभाव डालता है जिस कारण वह सही रीडिंग नहीं दिखा पाता है। इसलिए आप जब भी आॅक्सीमीटर का प्रयोग करती हैं तो अपनी नेल पेंट को उतार लें।

मेहंदी लगने पर ऑक्सीमीटर गलत रीडिंग क्यों दिखाता है?

मेहंदी हाथों पर लगे होने पर आॅक्सीमीटर पल्स तो डिटेक्ट कर लेगा लेकिन वह एसपीओ 2 लेवल नहीं नाप पाएगा क्योंकि मेहंदी की पिगमेंटेशन सिग्नल को ब्लॉक कर देती है। इसलिए आपको कान या ऐसी उंगली पर जांच करनी चाहिए जिस पर मेहंदी न लगी हो।

द्रवनिवेशन:

आॅक्सीमीटर को काम करने के लिए आपकी उंगलियों के बीच रक्त का प्रवाह चाहिए होता है। कुछ आॅक्सीमीटर ब्लड फ्लो को डिटेक्ट करने के बाद किसी प्रकार का संकेत दे देते हैं। इस तस्वीर में आॅक्सीमीटर का यह भाग ब्लड फ्लो डिटेक्ट करने की सूचना दे रहा है। कई बार इस पर नंबर भी होते हैं। जब किसी इंसान का ब्लड फ्लो बदलता है तो इसके द्वारा पता लगाया जा सकता है।

सलाह:

अगर आपका आॅक्सीजन लेवल 95 में से 92 होता है तो आपको घर पर ही उपचार करवाना चाहिए। इस दौरान आप इन सभी एक्सरसाइज का प्रयोग कर सकते हैं। इस दौरान आप घर पर ही डॉक्टर की सलाह भी ले सकते हैं। अगर आपका आॅक्सीजन लेवल 90 से नीचे चला जाता है तो आपको तुरंत अस्पताल जाना चाहिए और उपयुक्त इलाज करवाना चाहिए।

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