कोरोना ने सुधारी बिगड़ी हुईआबोहवा Corona deteriorated deteriorating climate
पूरी दुनिया इस वर्ष की शुरूआत से ही कोरोना महामारी के संकट में जूझ रही है। कोरोना वायरस के चलते दुनियाभर में लाखों जानें चली गई है। जबकि लाखों लोग जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। इस वायरस के कहर से कोई देश अछूता नहीं रहा है। और जो लोग इस वायरस के प्रकोप से बचे हुए हैं, उनके जीवन में भी बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। बता दें कि यह वायरस दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर में पहली बार सामने आया था.
उसके बाद से दुनिया में इसका फैलाव दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है। इस वायरस से बचाव के लिए अभी तक कोई पुख्ता दवाई, टीका या वैक्सीन अभी तक सामने नहीं आई है। बेशक दावे बहुत सुनने को मिल रहे हैं। इस महामारी से बचाव में एक ही चीज कारगर साबित हुई है, और वह है लॉक डाउन।
इसकी शुरूआत वुहान से ही हुई, जहां पूरे शहर की तालाबंदी कर दी गई। अमेरिका, इटली, ब्रिटेन, फ्रांस सहित बड़े-बड़े राष्टÑ भी इस बीमारी के चलते थम से गए हैं। लेकिन भारत ने इस वायरस के शुरूआती चरण में ही लॉकडाउन को अपनाकर इसके फैलाव को काफी हद तक काबू कर लिया है। इन पाबंदियों से बेशक देश को अर्थव्यवस्था के रूप में बड़ी हानि उठानी पड़ी है, लेकिन इन्सानी जीवन के मुकाबले यह फिर भी बहुत कम है।
इन पाबंदियों का एक नतीजा ऐसा भी निकला है, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। राजधानी दिल्ली जैसे शहर में जहां कभी सांस लेने में परेशानी आती थी, आज वहां का मंजर बदला-बदला सा नजर आता है। बेशक सड़कें वीरान हैं, मगर मंजर साफ है। सड़क किनारे लगे पौधे एकदम साफ और फूलों से गुलजार. यमुना-गंगा नदी इतनी निर्मल हो चुकी है कि वे सदियों पुराने अपने असली लुक में नजर आ रही हैं।
ऐसी ही तस्वीरें दुनिया के तमाम शहरों में भी देखने को मिल रही हैं। इसमें शक नहीं कि नया कोरोना वायरस दुनिया के लिए काल बनकर आया है, लेकिन इन चुनौतियों के बीच यह बात भी सच है कि दुनिया का ये लॉकडाउन प्रकृति के लिए बहुत मुफीद साबित हुआ है। वातावरण धुल कर साफ हो चुका है, हालांकि ये तमाम कवायद कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए हैं।
लॉकडाउन की वजह से तमाम फैक्ट्रियां बंद हैं, यातायात के तमाम साधन बंद हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अर्थव्यवस्था को भारी धक्का लग रहा है, लेकिन अच्छी बात ये है कि कार्बन उत्सर्जन रुक गया है। अमरीका के न्यूयॉर्क शहर की ही बात करें तो पिछले साल की तुलना में इस साल वहां प्रदूषण 50 प्रतिशत कम हो गया है। चीन में भी कार्बन उत्सर्जन में 25 फीसद की कमी आई है। चीन के पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार, पिछले साल की तुलना में चीन के 337 शहरों की हवा की गुणवत्ता में 11.4 फीसद का सुधार हुआ है।
जीवाश्म र्इंधन उद्योग से वैश्विक कार्बन उत्सर्जन इस साल रिकॉर्ड 5% की कमी के साथ 2.5 बिलियन टन घट सकता है, क्योंकि कोरोन वायरस महामारी रिकॉर्ड पर जीवाश्म र्इंधर की मांग में सबसे बड़ी गिरावट का कारण बनी है। कोरोना वायरस का हर व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। लेकिन इस महामारी ने एक बात साफ कर दी कि मुश्किल घड़ी में सारी दुनिया एक साथ खड़ी होकर एक दूसरे का साथ देने के लिए तैयार है। काश! ऐसा ही जज्बा और इच्छाशक्ति पर्यावरण को बचाने और स्वस्थ जीवन जीने के लिए दिखाया जाए तो शायद ऐसी भयावह महामारियों से कभी जूझना ही ना पड़े।
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