डेरा सच्चा सौदा ने चलाया (डैप्थ) अखिल भारतीय नशामुक्ति अभियान नई मुहिम: 143 वां भलाई कार्य
- योग और ध्यान के जरीये भारत बनेगा नशामुक्त: पूज्य गुरु जी
- हर गांव, शहर से नशे को रोकने की पहल
- डेरा प्रेमियों की मिसाल देते हैं लोग
- मैडिटेशन की बदौलत बिना दवा के नशा छोड़ जाते हैं नशेड़ी
विश्वभर में नशे का दानव हर दिन विकराल होता जा रहा है। नशे की लत के कारण होने वाली मौतों के मामले 2021 में पहली बार 10 हजार के आंकड़े को पार कर गए। इस हिसाब से देखा जाए तो नशे से औसतन हर घंटे एक से अधिक मौतें हुई हैं। वर्ष 2021 में भारत देश में नशे की लत के कारण 10,560 मौतें हुई हैं। वहीं वर्ष 2022 के आंकड़ों में गौर किया जाए तो केवल सिरसा जिले में ही नशे की ओवरडोज से अक्तूबर महीने तक करीब 43 मौतें हो चुकी हैं। गहरी चिंता का विषय यह भी है कि देश में पारंपरिक नशों जैसे तम्बाकू, शराब, अफीम के अलावा सिंथेटिक ड्रग्स स्मैक, हिरोइन, आइस, कोकीन, मारिजुआना आदि का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है।
समाज में नशे का दिनोंदिन बढ़ता चलन चिंता का विषय बना हुआ है। खासकर युवा पीढ़ी वर्तमान दौर में नशे की दलदल में इस कदर धंस चुकी है कि बचाव का कहीं कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा। पिछले करीब 5 सालों में नशा रूपी दानव हर घर में अपना दुष्प्रभाव दिखाने लगा है। भारत वर्ष ही नहीं, पूरे विश्व में नशे की यह लत एक भयानक बीमारी के रूप में उबर कर सामने आ रही है, जो समाज के भविष्य के लिए खतरे का संकेत है। घरों को बर्बादी की कगार तक लेकर जाने वाले इस नशे की रोकथाम के लिए डेरा सच्चा सौदा एक नई सवेर बनकर सामने आया है।
करीब 6 करोड़ लोगों को नशों से दूर रहने का मंत्र देने वाला डेरा सच्चा सौदा अब पूरे भारतवर्ष को नशा मुक्त करने का निश्चय कर चुका है। डेरा सच्चा सौदा योग एवं ध्यान के साथ-साथ स्वास्थ्य कैंपों के जरीये लोगों का नशा छÞड़वाने का मैगा अभियान शुरू करेगा। पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने गत 3 नवंबर को शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा, यूपी से लाइव कार्यक्रम दौरान अखिल भारतीय नशामुक्त अभियान की शुरूआत की, जिसको ड्रग इरेडीकेशन पेन-इंडिया थ्रू हैल्थ एंड मैडिटेशन का नाम दिया गया। ध्यान, योग एवं स्वास्थ्य द्वारा अखिल भारतीय नशामुक्ति अभियान का मूल उद्देश्य हिंदुस्तान से नशे को जड़ से खत्म करना है।
इस अभियान को कारगर बनाने के लिए डेरा सच्चा सौदा गांव, कस्बे व शहरी स्तर पर स्थानीय साध-संगत का सहयोग लेगा। ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में जागरूकता कैंपों के अलावा योग एवं ध्यान क्रियाओं के जरीये लोगों को नशा छोड़ने के लिए प्र्रेरित किया जाएगा, वहीं स्वास्थ्य कैंप भी लगाए जाएंगे जिनमें नशे के आदी लोगों का उपचार भी किया जाएगा।
बता दें कि डेरा सच्चा सौदा ने वर्ष 1948 में अपनी स्थापना से ही नशा विरोधी मुहिम शुरू की हुई है। डेरा सच्चा सौदा के तीन नियमों के अनुसार, यहां का सत्संगी बनने के लिए उसे सबसे पहले नशीले पदार्थाेंं का सेवन छोड़ना होता है। मांस-अंडा-शराब सहित तमाम दुनियावी नशों को छोड़कर हर व्यक्ति को इंसानियत के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी जाती है। डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक पूजनीय शाह मस्ताना जी महाराज एवं दूसरी पातशाही पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने हमेशा सत्संगों में लोगों को नशों के दुष्परिणामों से अवगत करवाया और सदा नशा रहित जीवन जीने के लिए प्रेरित किया।
पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने नशामुक्त समाज की इस मुहिम को नई गति देते हुए सत्संग लगाकर लोगों को बड़े नशों के साथ-साथ बीड़ी, गुटखा जैसे पारंपरिक नशों को भी छोड़ने के लिए उत्साहित किया। काबिलेगौर है कि सत्संगों के दौरान ही लोगों द्वारा भविष्य में नशा न करने का संकल्प लेते हुए अपनी जेबों से गुटखे, बीड़ी मंडल निकाल कर बड़े ढ़ेर लगा दिए जाते थे, जो इस बात की गवाही भरते थे कि सत्संग से समाज को नई दिशा मिल रही है। डेरा सच्चा सौदा अपने 74 साल के इतिहास में अब तक 6 करोड़ से अधिक लोगों को नशे से परहेज का संकल्प करवा चुका है। नशे के कारण जिन घरों में हमेशा नरक जैसा माहौल बना रहता था, डेरा सच्चा सौदा के प्रयास से अब उन घरों में जन्नत सा नजारा देखने को मिलता है।
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डेरा सच्चा सौदा के असूलों में शुमार है नशे छोड़ने की शर्त
डेरा सच्चा सौदा की शिक्षा मुख्यत: तीन सिद्धांतों पर टिकी हुई है, जिसमें नशा छोड़ने की अनिवार्यता इसके मूल में समाई है। बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज ने सन् 1948 में डेरा सच्चा सौदा की स्थापना करते हुए डेरा अनुयायी के लिए तीन नियम बनाए थे, जिसमें गुरुमंत्र, नाम शब्द ग्रहण करने वाले इन्सान को जीवन में किसी भी प्रकार का दुनियावी नशा करने की मनाही है। डेरा सच्चा सौदा के वह तीनों सिद्धांत आज भी जस के तस कायम हैं।
पूज्य सार्इंं जी ने 12 साल में हजारों लोगों को नशा छुड़वाने का प्रण करवाते हुए डेरा सच्चा सौदा से जोड़ा, वहीं परम पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज ने गुरगद्दीनशीनी के बाद 30 वर्षों में लाखों नए लोगों को नशे के दैत्य से बाहर निकालते हुए उनको नशामुक्त जीवन जीने का संकल्प करवाया। वर्ष 1990 से पूज्य मौजूदा गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां अब तक 6 करोड़ लोगों को नशा छोड़ने का संकल्प करवा चुके हैं, जो आज डेरा सच्चा सौदा के असूलों को अपनाकर खुशहाल जीवन जी रहे हैं। डेरा सच्चा सौदा अपने 7 दशक के इस दौर में नशामुक्त समाज बनाने के अभियान को समय-समय पर नई गति देता रहा है।
चाहे सत्संग के द्वारा लोगोंं को नशों के बारे जागरूक करना हो, या फिर गांव-गांव, शहर-शहर नशा विरोधी रैलियां निकालनी हो, डेरा सच्चा सौदा हमेशा अग्रणी पंक्ति में खड़ा दिखाई दिया है। पूज्य गुरु जी अकसर सत्संग में फरमाते हैं कि नशा, जैसे शराब, भांग, अफीम या कैमिकल्सयुक्त नशे समाज को नष्ट कर रहे हैं, इन नशों को जड़ से खत्म करना होगा। पूज्य गुरु जी अकसर सत्संग में आह्वान करते हैं कि जो भी कोई नशे से पीड़ित है, यदि वह नशा छोड़ना चाहता है तो डेरा सच्चा सौदा के द्वार उसके लिए हमेशा खुले हैं। यहां आकर गुरुमंत्र लेकर यदि 7 दिन सेवा करे तो सारे नशे अपने आप छूटते चले जाएंगे।
पूज्य गुरु जी का यह संदेश नशे की दलदल में फंसे लोगों के लिए एक वरदान साबित हुआ है। हजारों नहीं, अपितु लाखों लोगों ने डेरा सच्चा सौदा में आकर ऐसे-ऐसे नशों को तिलांजलि दी है जो चिकित्सा क्षेत्र के लिए एक चुनौती कही जा सकती है। प्रतिदिन नशे के 10-10 इंजेक्शन लगाने वाले लोग भी डेरा सच्चा सौदा में आकर इस कोढ़ से छुटकारा पा चुके हैं। जो घर नशे की वजह से नर्क तुल्य बन चुके थे, आज उन घरों में बहारें खिली हुई हैं। समाज के लिए उजियाले की किरण बनकर आए डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु जी आॅनलाईन गुरुकुल कार्यक्रम के द्वारा भी लाखों लोगों का नशा छुड़वा चुके हैं, जो अपने आप में बेमिसाल है।
घोर कलियुग का समय है, जिधर देखो नशे की चर्चा है
लाइव कार्यक्रम दौरान पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि आज समाज में चहुंओर जैसा वातावरण है, जैसा समय चल रहा है, बेहद ही घातक है, बेहद दर्दनाक है, बहुत ही घोर कलियुग का समय है। दूसरे शब्दों में बुराइयां यौवन पर हैं। आज समाज में नशों की वजह से त्राहिमाम और जिधर देखो उधर लोग नशे की चर्चा करते नजर आते हैं, चुगली निंदा करते नजर आते हैं। पहले युग में, पहले समय में हम लोग बैठते थे तो ये बातें होती थी, कि अपने आप को मजबूत कैसे बनाना है। गेमों में हिस्सा लेना है। इसके अलावा खेतीबाड़ी की बात की जाती थी।
बड़ा ही स्वच्छ और सुंदर वातावरण होता था। लेकिन आज आप ये देखो, नशा करने वाला कौन सा नहीं हैं। बड़ा मुश्किल हुआ पड़ा है जीना, रहना, बात करना। बात करने से पहले 100 बार आदमी सोचता है कि सामने वाला रियेक्ट क्या करेगा। क्योंकि, पता नहीं किस को कौन सी बात चुभ जाए, पता नहीं कौन सी बात को तोड़-मरोड़ कर कोई क्या कह दे। आज के दौर में कुछ पता नहीं। तो आज के समय में चहुंओर बुराइयों का राज है, बुराइयां छा रही हैं। हमारे सभी धर्मों के पवित्र ग्रंथों में सबसे पहले लिखा गया कि ऐसा दौर आएगा जब हाथ को हाथ खाएगा।
ऐसा समय आएगा रिश्ते नाते मिट जाएंगे, इंसान सिर्फ और सिर्फ गर्ज और स्वार्थ का पुतला बन जाएगा। पूज्य गुरु जी ने आगे फरमाया कि 1990 में एक बार परमपिता जी (पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज) के साथ घूम रहे थे और परमपिता जी एक जगह बैठ गए, कहने लगे कि जो दिन गुजर गया वो अच्छा है और शुक्र मनाओ। आने वाला हर दिन पिछले दिन से ज्यादा बुराइयां लेकर आता है तथा बुरा होता चला जाता है। फिर फरमाया कि किसको कहें, कौन अच्छा है। इस कलियुग के दौर में वो इन्सान बचे हैं जो ओम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड के नाम से जुड़े हैं या वो बचे हैं जो संत, पीर-फकीर की बातों को सुनकर जिन्दगी में अमलीजामा पहना लेते हैं।
युवाओं की बर्बादी का अघोषित युद्ध है नशा
समाज में भयावह रूप धारण करती नशे की प्रवृत्ति पर पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि हम 1992-93 से कहते आ रहे हैं कि समाज में बढ़ता नशा युवाओं की बर्बादी का अघोषित युद्ध है। हमारे जीवन का एक ही मकसद था, है और हमेशा रहेगा कि समाज से नशे के दानव और बुराइयों को खत्म करना और सुख-समृद्धि लाना। हम तो 1948 से बोल रहे हैं कि ये जो नशा है वो घातक है और 1990 के बाद तो हम साफ ही कहने लग गए कि ये इनड्रेक्ट युद्ध छिड़ गया है और हमारी आने वाली पीढ़ियों को निक्कमा करने के लिए ये नशा शुरू कर दिया गया है।
तो आज क्या मैदानी इलाका, क्या पहाड़ी, क्या समुन्द्र के किनारे, सब जगह नशे ने पांव पसार लिए हैं। समाज में ज्यादातर लोग इससे दु:खी हैं। लोग मर रहे है नशा कर करके। आदत पड़ जाती है बंदे को और फिर वो बर्बाद होता चला जाता है। नशा करने वाला इन्सान मरता बड़ा जल्दी है। लेकिन कुछ लोग कहते हैं कि भगवान ने जो उम्र लिख दी, लेकिन भगवान ने उम्र नहीं लिखी होती, श्वास लिखे होते हैं। नशे से एक मिनट में 16 से 18 श्वास लेने की जगह 30 से 32 श्वास ले लेते हो और 100 साल की उम्र की जगह 50 में ही मौत हो जाती है।
70 वाले की 35 में और 50 वाले की 25 साल में मौत हो जाती है। तो इस प्रकार से नशे में पड़कर आप अपने आप को बर्बाद कर रहे हो। ये जो निशानियां आ रही हैं, बड़ी डरावनी हैं, घातक हैं। ओम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, रब्ब से दुआ, प्रार्थना, अरदास है कि मालिक तू रोके तो रोके, वरना आज ये गंदगी खाने से, ड्रग्स से, बुराई करने से आज का इन्सान बाज नहीं आ रहा। हट ही नहीं रहा। किसी के रोकने से रुक नहीं रहा। मां-बाप रोकते हैं, तो खुदकुशी का डरावा देता है। मां-बाप रोकते है तो भद्दे लगते हैं, गंदे लगते हैं। ये क्यूं रोकते हैं मुझे नशा करने से, तो समाज में भयानक परिवर्तन आ रहे है। उसी का एक ये अंग है, आप महसूस करके देख लो।
नशा सौदागरों से आह्वान:
नशे का व्यापार बंद कर नया काम शुरू करें, भगवान 10 गुणा बरकतें जरूर करेंगे
सत्संग कार्यक्रम के दौरान पूज्य गुरु जी ने देशभर में नशे का व्यापार करने वालों को नशा बेचना बंद करने का आह्वान करते हुए कहा कि आज अगर आप हमारी आवाज सुनकर अपना नशे का बिजनेस बदल देते हो और इसकी जगह कोई और काम का तजुर्बा लेकर अच्छा काम करते हो तो भगवान आपके उस नए काम में 10 गुणा बढ़के बरकत जरूर डालेगा। चाहे आप हमसे जुड़े हों या नहीं जुड़े हों, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता और आप (नशा बेचने वाले) सभी लोग जहर बेचना छोड़ दो।