खुशियों भरा तीज का त्यौहार
सावन का मौसम एक अजीब-सी मस्ती और उमंग लेकर आता है। चारों ओर हरियाली की जो चादर-सी बिखर जाती है, उसे देख कर सबका मन झूम उठता है। ऐसे ही सावन के सुहावने मौसम में आता है ‘तीज का त्यौहार’। श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को ‘श्रावणी तीज’ कहते हैं। उत्तरभारत में यह ‘हरियाली तीज’ के नाम से भी जानी जाती है।
सावन की तीज में महिलाएं व्रत रखती हैं। यह व्रत को अविवाहित कन्याएं योग्य वर पाने के लिए करती हैं तथा विवाहित महिलाएं अपने सुखी दांपत्य की चाहत के लिए रखती हैं। देश के पूर्वी इलाकों में इसे ‘कजली तीज’ के नाम से भी जाना जाता है, लेकिन अधिकतर लोग इसे ‘हरियाली-तीज’ ही कहते हैं। इस समय प्रकृति की इस छटा को देखकर मन पुलकित हो जाता है। जगह-जगह झूले पड़ते है।ं युवा स्त्रियां समूहों में गीत गा-गाकर झूले झूलती हैं।
तीज पर मेहंदी लगाने, हरी चूड़ियां पहनने, झूले झूलने तथा लोक-गीत गाने का विशेष महत्व है। तीज के त्यौहार वाले दिन खुले स्थानों पर बड़े-बड़े वृक्षों की शाखाओं पर, घर की छत की कड़ों या बरामदे के कड़ों में झूले लगाए जाते हैं, जिसे पंजाबी में ‘पीघां’ कहते हैं। इन पर (मुटियारां) युवाएं झूला झूलती हैं। हरियाली तीज के दिन अनेक स्थानों पर मेलों का भी आयोजन होता है।
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तपती गर्मी से रिमझिम फुहारें राहत देती हैं और चारों ओर हरियाली छा जाती है। यदि तीज के दिन बारिश हो रही है तब यह दिन और भी विशेष हो जाता है। जैसे मानसून आने पर मोर नृत्य कर खुशी प्रदर्शित करते हैं, उसी प्रकार महिलाएँ भी बारिश में झूले झूलती हैं, लोक गीत गाती हैं। गीतों की लंबी हेक, गिद्दा और ठहाकों से समस्त वातावरण खुशियों से भर जाता है।
तीज का त्यौहार वास्तव में महिलाओं को सच्चा आनंद देता है। इस दिन वे रंग-बिरंगे कपड़े और लकदक करते गहने पहन दुल्हन की तरह सजी होती हैं। आजकल तो कुछ विशेष नजर आने की चाह में ब्यूटी पार्लर जाना एक आम बात हो गई है। नवविवाहिताएं इस दिन अपने शादी के जोड़े को भी चाव से पहनती हैं। वैसे तीज के मुख्य रंग गुलाबी, लाल और हरा है। तीज पर हाथ-पैरों में मेहँदी भी जरूर लगाई जाती है। तीज के दिन खास किस्म के पकवान बनाये जाते हैं। मिठाइयों में घेवर, फिरनी व गुझिया की प्रमुखता है। जिस बेटी की नयी शादी हुई होती है, उसके घर मायके वाले गुझिया, घेवर और सिंधारा लेकर जाते हैं।
तीज का त्यौहार भारत के विभिन्न प्रांतों के साथ-साथ नेपाल में भी बड़े चाव से मनाया जाता है। पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान सहित अन्य प्रान्तों में तीजां का त्यौहार अपनी अपनी संस्कृति, तरीकों व रीति-रिवाजों से मनाया जाता है। तीज को गुजरात में ‘गरबा’, राजस्थान में ‘सावन का त्यौहार’ तथा पंजाब में ‘तीयां’ के नाम से मनाया जाता है। नेपाल के लोग इस त्यौहार को तीन दिनों तक बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। इस प्रकार यह त्यौहार न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत के तारों को जोड़ता है बल्कि भौगोलिक व सामाजिक ताने-बाने को भी एक सूत्र में पिरौने का कार्य करता है।
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परिधान भी सुंदरता को चार चांद लगा देते हैं:-
आप कितने भी खुले माहौल में पली-बढ़ी हों, लेकिन कपड़े और मेकअप अवसर के अनुकूल ही होने चाहिएं। इससे खूबसूरती में तो निखार आता ही है, एक खास किस्म की गरिमा भी मिलती है। लेटेस्ट ट्रेंड की जानकारी रखें, जिससे आप त्यौहार के खास मौके पर अलग-थलग महसूस न करें। घर में तीज की पूजा है, तो आप एथनिक पोशाक में अच्छी लगेंगी। ऐसे में कॉटन का शॉर्ट कुर्ता और पटियाला सलवार सबसे बढ़िया च्वाइस रहेगी। इससे आपका लुक बहुत ही शानदार और लुभावना दिखता है। आप परंपरानुसार चूड़ीदार पर फैशनेबल कुर्त्ता भी पहन सकती हैं। प्लेटेड पैंट के साथ कढ़ाई वाली चोली या स्मार्ट टी-शर्ट भी स्टाइलिश विकल्प हैं।
भारतीय महिलाओं का त्यौहारों पर साड़ी पहनना तय है, उनके लिए प्री-प्लेटेड साड़ी अच्छा विकल्प है। तीज पर ढीले-ढाले और लहराने वाले कपड़े बेहद खूबसूरत दिखते हैं। चुस्त और आरामदायक कपड़ों का चयन करें। चटक रंग तीज के मौके को रंगीन बना देते हैं। त्यौहारों के मौके पर चटक रंग यानी ब्राइट कलर्स अच्छे लगते हैं। ब्राइट कलर की ड्रेस और मेकअप से आपके आसपास का माहौल खूबसूरत हो जाएगा।
ड्रेस का कलर हमेशा अपने बॉडी टाइप और कलर टोन के अनुसार ही तय करें। लेकिन ध्यान रखें, डार्क कलर की ड्रेस के साथ लाइट कलर्स को भी शामिल कर लिया जाए, तो आप बेहद आकर्षक दिखेंगी। लाइट और डार्क कलर कॉम्बीनेशन से बनी आपकी ड्रेस आपकी लुक को चार चांद लगा देगी। पीच कलर के साथ रॉयल ब्ल्यू, रेड के साथ वाइन, पीच के साथ नियोन आरेंज कलर इंडियन ड्रेसेज के लिए एकदम परफेक्ट हैं। अगर आप ब्राइट कलर की ड्रेस पहन रही हैं तो ध्यान रखें कि उसमें कढ़ाई कम होनी चाहिए और अगर आप लाइट कलर चुन रही हैं तो एम्ब्रॉयड्री हैवी होनी चाहिए।
एक्सेसरीज और ज्वेलरी से बनेगी बात:-
ड्रेस की खूबसूरती तब तक अधूरी रहती है, जब तक कि इसके साथ मैचिंग ज्वेलरी का कॉम्बीनेशन न हो। लेकिन यह सोच भी गलत है कि बहुत सारे एक्सेसरीज पहनने पर आपकी ड्रेस की लुक खिल उठेगी या आप अच्छी लगेंगी। एक्सेसरी अपनी ड्रेस के मुताबिक चुनें। एथनिक परिधानों के साथ ओल्ड स्टाइल की ज्वेलरी ज्यादा फबती है। कानों में एक कुंडल या हैवी लुक वाले ईयरिंग सुंदर दिखते हैं। अगर आपने गले में कुछ भारी-सा पहना है, तो कान के टॉप्स छोटे रखिए। हाथों में हल्की-सी चूड़ियां ही काफी हैं।
मेकअप और हेयर स्टाइल हो जरा हट के:-
हैवी मेकअप का मतलब खूबसूरती नहीं है। आपकी स्किन और पहनावे के अनुसार मेकअप ट्राई करें। आंखों को हाईलाइट करने के लिए उन्हें आकर्षक मेकअप से सजाएं। ब्राइट कलर की लिपस्टिक लगाएं और एथनिक ड्रेस के साथ बिंदी लगाना न भूलें। बालों का जूड़ा तब तक ना बनाएं, जब तक कि आप पर फबे नहीं। बालों का आगे पफ बना कर बाल खुले छोड़ सकती हैं।
फुटवियर भी हो खास:-
हर तरह के परिधानों के साथ हाई हील्स खूब सूट करती हैं। इनमें अगर ऐनिमल और फ्लोरल प्रिंट्स के फुटवेयर्स हों तो वे आपकी ड्रेस को और भी खूबसूरत बना देंगे। आप प्लैटफॉर्म के साथ टी-स्ट्रैप में सैंडल ट्राई कर सकती हैं। क्रॉस स्टैप और मल्टी स्टैप का आॅप्शन भी बढ़िया हो सकता है। एथनिक ड्रेस पहन रही हों तो पंजाबी जूत्ती आप पर ज्यादा फबेगी। इन सबके अलावा यह सबसे जरूरी है कि आपका चेहरा कमल के फूल की तरह मुस्कुराता हुआ हो। चेहरे पर हमेशा 10:10 बजे होने चाहिएं, तभी ये परिधान, चाहे वो सस्ते ही क्यों न हों, आपकी खूबसूरती को और आकर्षक बना सकते हैं।
मेहंदी रचाने का उत्सव
इस अवसर पर युवतियां हाथों में मेहंदी रचाती हैं। तीज के गीत, हाथों में मेंहदी लगाते हुए गाए जाते हैं। समूचा वातावरण सोलह शिंगार से अभिभूत हो उठता है। इस अवसर पर पैरों में आलता लगाने की भी परंपरा है। इसे ‘सुहाग की निशानी’ माना जाता है। राजस्थान में हाथों व पांवों में भी विवाहिताएं मेंहदी रचाती हैं। राजस्थानी बालाएं दूर देश गए अपने पति के तीज पर आने की कामना करती हैं और उनकी यह कामना वहां के लोकगीतों में भी मुखरित होती है।
पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी, यदि कन्या ससुराल में है, तो मायके से यदि मायके में है, तो ससुराल से मिष्ठान, कपड़े आदि भेजने की परम्परा है। इसे स्थानीय भाषा में ‘तीज की भेंट’ कहा जाता है। राजस्थान हो या पूर्वी उत्तर प्रदेश, प्राय: नवविवाहिता युवतियों को श्रावण में ससुराल से मायके बुला लेने की परम्परा है। सभी विवाहिताएं सायंकाली में बन ठन कर सरोवर के किनारे तीज उत्सव मनाती हैं और उद्यानों में झूला झूलते हुए कजली के गीत गाती हैं।
आया तीजां का त्यौहार
आज मेरा बीरा आवैगा।
सामण में बादल छाए
सखियां नै झूले पाए
मै कर लूं मौज बहार
आज मेरा बीरा आवैगा।
आया तीजां का त्यौहार
आज मेरा बीरा आवैगा
मेरे मन मै चाव घणा सै
क्या सुंदर समै बणा सै
मन्नै कर दो तुरत तैयार,
आज मेरा बीरा आवैगा।
आया तीजां का त्यौहार
आज मेरा बीरा आवैगा।।