धरत ते आए परवरदिगार… -सम्पादकीय
पवित्र ग्रन्थों में दर्ज धर्माेपदेश के अनुसार जब-जब धर्म की हानि होती है, लोग धर्म व ईश्वर से मुनकर होने लगते हैं तथा पाप, जुल्मो-सितम, अत्याचार, बुराइयों की जब अति होती है तो ईश्वर-परवरदिगार को खुद अपने किसी पूर्ण संत, गुरु, पीर-फकीर के रूप में सृष्टि पर अवतरित होना पड़ता है।
वो गुरु, संत पीर-फकीर सृष्टि जगत के सामूहिक भले के लिए अपने अल्लाह, वाहेगुरु, राम, उस सर्व-शक्तिमान परम पिता परमात्मा से दुआ-अरदास करते हैं और जहां तक संभव हो अत्यधिक जीवों को जो भी सम्पर्क में आता है, नशों आदि बुराइयों की दलदल से निकाल कर परम पिता परमात्मा से जोड़ कर उसे सदैव मोक्ष प्रदान करते हैं। कहने का मतलब कि रूहानी संत, पीर-फकीर का सृष्टि पर शुभ आगमन जीव-जगत के लिए हमेशा सुखदायी सिद्ध होता है। सृष्टि के मानव के सभी दु:ख, संताप कर्मों को अपने स्वयं के ऊपर लेकर उसे सुख पहुंचाना यह मुख्य विशेषता पूर्ण रूहानी संतों, पीर-फकीरों में ही पाई जाती है। परम संत कबीर साहिब जी फरमाते हैं:-
सुख देवें दु:ख को हरें, मेटें सब अपराध।
कहि कबीर कब इह मिलें, परम स्नेही साध।।
दुनिया में हमदर्द व परोपकारी इन्सान बहुत मिल जाते हैं, जो भूखे को भोजन, प्यासे को पानी, बीमारों व दीन-दुखियों का दु:ख दूर करने का उपाय बताते हैं, उनके इलाज का प्रबन्ध कर देते हैं, पर ऐसा मिलना मुश्किल है जो दूसरों के दु:ख आप ले ले! केवल रूहानी पीर-फकीरों में ही इतनी महान सामथर््य शक्ति है जो अपने दर पर आए उनके दु:ख-परेशानियों को दूर ही नहीं करते बल्कि उनके जन्मों-जन्मों के दु:ख-संतापों को स्वयं पर लेकर उन्हें खुशियां व सुख ही सुख प्रदान करते हैं। इतिहास में इस सच्चाई के अनेकों उदाहरण मौजूद हैं, और बल्कि महापुरुषों का दर्जा उन्हें दिलाया है। वास्तव में सच्चे संत सृष्टि पर आते ही जीव-सृष्टि को सुख पहुंचाने के लिए हैं।
कुल मालिक पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज पावन जनवरी माह में सृष्टि उद्धार के लिए जगत में पधारे। आप जी ने 25 जनवरी 1919 में पूज्य पिता सरदार वरियाम सिंह जी के घर पूजनीय माता आस कौर जी की पवित्र कोख से श्री जलालआणा साहिब मेें अवतार धारण किया। आप जी के शुभ आगमन पर पवित्र धरा का कण-कण हर्षा गया। अधिकारी रूहों ने मंगलगीत गाए और परम पिता परमेश्वर का कोटि-कोटि धन्यवाद किया कि दीन-दुखियों का मसीहा बन खुद परमेश्वर सतनाम बन के आया है।
पूजनीय परम पिता जी के जीव-सृष्टि के प्रति उपकारों की गणना नहीं हो सकती। आप जी ने सैकड़ों-हजारों और लाखों नहीं करोड़ों लोगों की बिगड़ी को बनाया। और आज भी छह करोड़ से अधिक लोग आप जी के पावन स्वरूप पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के स्वरूप में आप जी के अपार रहमो-करम को हासिल कर रहे हैं।
पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के पावन अवतार दिवस और नव वर्ष की स्मस्त सृष्टि को मुबारकबाद जी।