गुलाब की खेती (Gulab Ki Kheti Kaise Kare) बहुत पहले से पूरी दुनिया में की जाती है। इसकी खेती पूरे भारतवर्ष में व्यवसायिक रूप से की जाती है। गुलाब के फूल डाली सहित या कट फ्लावर तथा पंखुड़ी फ्लावर दोनों तरह के बाजार में व्यापारिक रूप से पाये जाते है। गुलाब की खेती देश-विदेश निर्यात करने के लिए दोनों ही रूप में बहुत महत्वपूर्ण है।
गुलाब को कट फ्लावर, गुलाब जल, गुलाब तेल, गुलकंद आदि के लिए उगाया जाता है। गुलाब की खेती मुख्यत: कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्रा, बिहार, पश्चिम बंगाल ,गुजरात, हरियाणा, पंजाब, जम्मू एवं कश्मीर, मध्य प्रदेश, आंध्रा प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में अधिक की जाती है।
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Gulab Ki Kheti के लिए आवश्यक जलवायु और भूमि
गुलाब की खेती उत्तर एवं दक्षिण भारत के मैदानी एवं पहाड़ी क्षेत्रों में जाड़े के दिनों में की जाती है। दिन का तापमान 25 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट तथा रात का तापमान 12 से 14 डिग्री सेंटीग्रेट उत्तम माना जाता है। गुलाब की खेती हेतु दोमट मिट्टी तथा अधिक कार्बनिक पदार्थ वाली होनी चाहिए। जिसका पी.एच. मान 5.3 से 6.5 तक उपयुक्त माना जाता है।
प्रजातियां
गुलाब की लगभग 6 प्रकार की प्रजातियां पाई जाती है।
खेत की तैयारी Gulab Ki Kheti Kaise Kare
Field preparation for Gulab Ki Kheti: सुंदरता की दृष्टि से औपचारिक लेआउट करके खेत को क्यारियो में बांट लेते है क्यारियो की लम्बाई चौड़ाई 5 मीटर लम्बी 2 मीटर चौड़ी रखते है। दो क्यारियो के बीच में आधा मीटर स्थान छोड़ना चाहिए। पौधे व लाइन से लाइन की दूरी 30 गुने 60 सेंटीमीटर राखी जाती है। इस दूरी पर पौधे लगाने पर फूलो की डंडी लम्बी व कटाई करने में आसानी रहती है।
पौधशाला
जंगली गुलाब के ऊपर टी बडिंग द्वारा इसकी पौध तैयार होती है। जंगली गुलाब की कलम जून-जुलाई में क्यारियो में लगभग 15 सेंटीमीटर की दूरी पर लगा दी जाती है। नवम्बर से दिसंबर तक इन कलम में टहनियां निकल आती है इन पर से कांटे चाकू से अलग कर दिए जाते है। जनवरी में अच्छे किस्म के गुलाब से टहनी लेकर टी आकार कालिका निकालकर कर जंगली गुलाब की ऊपर टी में लगाकर पालीथीन से कसकर बांध देते है। ज्यो-ज्यो तापमान बढता है तभी इनमे टहनी निकल आती है। जुलाई अगस्त में रोपाई के लिए पौध तैयार हो जाती है।
पौधरोपण
पौधशाला से सावधानीपूर्वक पौध खोदकर सितम्बर-अक्टूबर तक उत्तर भारत में पौध की रोपाई करनी चाहिए। रोपाई करते समय ध्यान दे कि पिंडी से घास फूस हटाकर भूमि की सतह से 15 सेंटीमीटर की ऊंचाई पर पौधों की रोपाई करनी चाहिए। पौध लगाने के बाद तुरंत सिंचाई कर देना चाहिएक
Gulab Ki Kheti के लिए पोषण प्रबंधन
Nutrition Management for Gulab Ki Kheti उत्तम कोटि के फूलो की पैदावार लेने के हेतु प्रूनिंग के बाद प्रति पौधा 10 किलोग्राम गोबर की सड़ी खाद मिट्टी में मिलाकर सिंचाई करनी चाहिए। खाद देने के एक सप्ताह बाद जब नई कोपल फूटने लगे तो 200 ग्राम नीम की खली 100 ग्राम हड्डी का चूरा तथा रासायनिक खाद का मिश्रण 50 ग्राम प्रति पौधा देना चाहिए। मिश्रण का अनुपात एक अनुपात दो अनुपात एक मतलब यूरिया, सुपर फास्फेट, पोटाश का होना चाहिएक |
जल प्रबंधन
गुलाब के लिए सिंचाई का प्रबंधन उत्तम होना चाहिए। आवश्यकतानुसार गर्मी में 5 से 7 दिनों के बाद तथा सर्दी में 10 से 12 दिनों के बाद सिंचाई करते रहना चाहिए।
रोग प्रबंधन
गुलाब में पाउडरी मिल्ड्यू या खर्रा रोग, उलटा सूखा रोग लगते हैं। खर्रा रोग को रोकने हेतु गंधक दो ग्राम प्रति लीटर पानी में या डायनोकॉप एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में या ट्राइकोडर्मा एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर 15 दिन के अंतराल पर दो छिड़काव दवा अदल-बदल कर करना चाहिए। सूखा रोग की रोकथाम हेतु 50 प्रतिशत कापर आक्सीक्लोराइड को 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए जिससे सूखा रोग न लग सके।
फसल कटाई
Gulab Ki Kheti Kaise Kare: सफेद, लाल, गुलाबी रंग के फूलों की अधखुली पंखुड़ियों में जब ऊपर की पंखुड़ी नीचे की ओर मुड़ना शुरू हो जावे तब फूल काटना चाहिए। फूलो को काटते समय एक या दो पत्तियां टहनी पर छोड़ देना चाहिए जिससे पौधों की वहां से बढ़वार होने में कोइ परेशानी न हो सके। फूलो की कटाई करते समय किसी बर्तन में पानी साथ में रखना चाहिए जिससे फूलो को काटकर पानी तुरंत रखा जा सके। बर्तन में पानी कम से कम 10 सेंटीमीटर गहरा अवश्य होना चाहिए जिससे फूलो की डंडी पानी में डूबी रहे पानी में प्रिजर्वेटिव भी मिलाते है। फूलो को कम से कम 3 घंटे पानी में रखने के बाद ग्रेडिंग के लिए निकालना चाहिए। यदि ग्रेडिंग देर से करनी हो तो फूलो को 1 से 3 डिग्रीसेंटीग्रेट तापक्रम पर कोल्ड स्टोरेज रखना चाहिए जिससे कि फूलो की गुणवत्ता अच्छी रह सके।
पैदावार
गुलाब की उपज भूमि की उर्वरा शक्ति फसल की देखरेख एवं प्रजातियों पर निर्भर करती है। फिर भी आमतौर पर लगभग 200 से 250 कुंतल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त होती है। यह उपज पूरे साल में कट फ्लावर से मिलती है।
प्रगतिशील किसान कर रहे हैं कमाई
गुलाब की एक किस्म बुल्गारिया की खेती कर प्रति एकड़ लाखों रुपए महीने कमा रहे हैं। इसका इत्र व गुलाब जल बेच रहे हैं। अरब के देशों में बुल्गारिया गुलाब से बनाए इनके इत्र की खूब डिमांड है। अरब में यह इत्र 8 लाख रुपए के हिसाब से बिकता है।
कैसे बनाते हैं इत्र
- तांबे के बड़े बर्तन में पानी और गुलाब के फूल डाल दिए जाते हैं।
- इसके बाद ऊपर से मिट्टी का लेप कर बर्तनों के नीचे आग जलाई जाती है।
- भाप के रूप में गुलाब जल व गुलाब इत्र एक बर्तन में एकत्रित हो जाते हैं, जिस बर्तन में भांप बनकर इत्र जाता है, उसे पानी में डाल दिया जाता है।
- गुलाब का इत्र केवल तांबे के बर्तन में निकाला जाता है। कई जगह कंडेंसिंग विधि से भी अर्क निकाला जाता है।
- लेकिन आसवन विधि ज्यादा कारगर है। एक क्विंटल फूलों में मात्र 20 ग्राम इत्र निकलता है।
- इंटरनेशनल मार्केट में एक किलोग्राम इत्र का मूल्य करीब आठ लाख रुपए है।
नवंबर व दिसंबर में इसकी कलम की कटाई होती है, इसी दौरान कलम लगाई जाती है।
मार्च व अप्रैल माह में इस पर फूल आने शुरू हो जाते हैं। गुलाब के फूलों की एक हजार किस्में हैं, लेकिन इत्र बुल्गारिया गुलाब में ही निकलता है।
अगर फूलों की फसल ठीक-ठाक रहे तो इस किस्म से छह एकड़ पर तीन से आठ लाख रुपए कमा लेते हैं।
अब हम देखते हैं कितना आता है खर्च प्रति एकड़ गुलाब की खेती (Gulab Ki Kheti) पर?
एक एकड़ में बुल्गारिया गुलाब लगाने में चार हजार रुपए के करीब खर्च आता है। एक एकड़ में करीब दो हजार कलमें लगाई जा सकती हैं। यह तीन माह में तैयार हो जाता है।
एक बार लगाया गुलाब 15 साल तक फूल देने के काम आता है।