आनलाईन गुरुकुल के माध्यम से धूमधाम से मनाया पावन अवतार दिवस भंडारा
पावन 131वें अवतार दिवस पर नशे के खिलाफ बुलंद आवाज ‘जागो दुनिया दे लोको…’
डेरा सच्चा सौदा के रूहानी रहबर एवं समाज सुधारक पूजनीय शाह मस्ताना जी महाराज का 131वां पवित्र अवतार दिवस गत 8 नवंबर को देश-विदेश में धूमधाम से मनाया गया।
शाह सतनाम जी धाम सहित 500 से अधिक स्थानों पर एक साथ चले लाइव कार्यक्रम में करोड़ों श्रद्धालुओं ने आॅनलाइन गुरुकुल के माध्यम से शिरकत की। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंंह जी इन्सां शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा से लाइव हुए, जबकि भंडारे का आयोजन शाह सतनाम जी धाम सरसा में हुआ, जिसमें साध-संगत का जनसैलाब उमड़ पड़ा। श्रद्धा का समुंद्र कल-कल करता हुआ बहता नजर आया।
विशाल पंडाल के साथ-साथ मुख्य मार्गों पर जहां भी नजर दौड़ रही थी संगत ही संगत नजर आ रही थी। सायं ढलने के साथ ही भंडारे को लेकर साध-संगत में हर्षोल्लास और खुशियां चरम पर पहुंच चुकी थी। रात्रि करीब 10 बजे कार्यक्रम का आगाज हुआ जो मध्य रात्रि तक चलता रहा।
डेरा सच्चा सौदा का शाह सतनाम जी धाम, शाह मस्ताना जी धाम, बरनावा का शाह सतनाम जी आश्रम सहित देश-विदेश में जहां भी साध-संगत लाइव कार्यक्रम देख सुन रही थी, वह हर स्थान विधुत लड़ियों की जगमगाहट के बीच अति सुंदर नजारा पेश कर रहा था। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने आधुनिक जीवन शैली व देश की सुनहरी संस्कृति से टूटने के कारण गिरावट की ओर जा रहे समाज को दोबारा सही रास्ते पर लाने के लिए अपनी ओजस्वी वाणी से भरपूर मार्गदर्शन किया। इस अवसर पर आपजी ने अनुयायिओं को एक नई प्रेरणा से लबालब किया।
जिसके तहत श्रद्धालुओं को दो घंटे शाम को 7 से 9 बजे तक मोबाइल फोन और टीवी ना चलाने और इस समय को परिवार के साथ बिताने का प्रण दिलाया। इस अवसर पर पूज्य साईं शाह मस्ताना जी महाराज से नाम शब्द लेने वाले पुराने सत्संगी बहन-भाईयों को प्रेम निशानी देकर सम्मानित किया गया, जबकि 131 जरूरतमंदों को कंबल व 131 परिवारों को घरेलू सामान के रूप में राशन दिया गया। इस दौरान ‘कुल का क्राउन’ व भगत योद्धा मुहिम के तहत एक-एक शादी हुई। ‘कुल का क्राउन’ मुहिम के तहत अब तक 22 शादियां सम्पन्न हो चुकी हैं। इसके अलावा 21 आदिवासी युगल एक-दूसरे को दिलजोड़ माला पहनाकर शादी के बंधन में बंधे।
पावन भण्डारे पर रंगारंग सांस्कृतिक प्रोग्राम पेश किया गया, जिसमें देश की भिन्न-भिन्न संस्कृतियों की छटा का नजारा देखने को मिला। कई कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियां पेश कर अपनी कला का प्रदर्शन किया। किसी ने संगीत के द्वारा, कोई लोकनृत्य व डांस करके और किसी ने नाटकों का मंचन करके खूब वाहवाही बटोरी।