बॉस बनना है तो अपनाएं ये सात आदतें
सामान्य तौर पर यह माना जाता है कि बॉस का काम होता है अपनी टीम को मैनेज करना। काम को मैनेज करने के लिए हर संस्थान मैनेजर नियुक्त करते हैं।
यदि आप भी अपने संस्थान में मैनेजर की भूमिका निभा रहे हैं, यानी किसी टीम के बॉस हैं तो आपको बॉस नहीं एक नेतृत्व कर्ता के रूप में खुद को रूपांतरित करना होगा। नेतृत्व करने वाला केवल बॉस नहीं होता, बल्कि अपने कनिष्ठों का पसंदीदा और संस्थान का खास होता है।
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आइए जानें, एक अच्छे नेतृत्वकर्ता में कौन-से गुण होने चाहिए।
अच्छा श्रोता ही अच्छा बॉस बन सकता है:
जब आप बॉस होते हैं, तब आपको दूसरों की भावनाओं को समझना होता है। ऐसा तभी संभव हो सकता है, जब आप दूसरों की बात को ध्यान से सुनेंगे और वह भी बिना किसी पूर्वाग्रह के। कई बार लोग दूसरों की बातें सुनते तो हैं, पर सामने वाले के नजरिए को समझ नहीं पाते। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि वे चीजों को केवल अपने नजरिए से देखते हैं। वे चीजों को अपनी भावनाओं और अनुभवों के अनुरूप देखते हैं।
इस तरह उनका सुनना, न सुनना एक बराबर हो जाता है। सुनने की योग्यता का सही अर्थ यह है कि सामने वालों की बात सुनकर स्थिति अथवा समस्या का सही आंकलन या अनुमान लगाना। सुनने की योग्यता को बढ़ाने के लिए व्यक्ति में इतना धैर्य चाहिए कि वह दूसरे के विचारों को पूर्ण रूप से समझ सके। यदि मैनेजर व्याकुल या जल्दबाजी से काम करता है तो बहुत-सी अनिवार्य सूचनाएं उससे छूट जाती हैं। मामले की पूरी जानकारी के अभाव में उसके प्रयास निष्फल हो जाएंगे।
सहज उपलब्धता:
नेतृत्व करने के लिए सहज उपलब्धता का गुण बहुत आवश्यक है। एक योग्य नेता की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह जब कभी भी और जहां कहीं भी उसकी आवश्यकता हो, वहां अविलम्ब उपस्थित हो जाए। यहां उपस्थिति या उपलब्धता का अर्थ शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार की उपस्थिति से है। यदि नेतृत्व करने के पास दूसरी जिम्मेदारियां हैं, जिसके चलते वह नहीं पहुंच सकता तो उसे योग्य व्यक्ति को वहां भेजना चाहिए या उस प्रोजेक्ट पर लगाना चाहिए। ऐसा तभी होगा जब वह दूसरे व्यक्तियों को भिन्न-भिन्न जिम्मेदारियां निभाने का अधिकार दे दे।
यदि नेता अपनी शक्तियां दूसरे योग्य व्यक्तियों को प्रदान नहीं करता तो हर कार्य उसे स्वयं करना पड़ेगा जिससे वह हर समय इतना अधिक व्यस्त हो जाएगा कि आवश्यकता पड़ने पर उस तक पहुंच पाना मुश्किल हो जाएगा। जबकि नेता की उपलब्धता अनेक महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने और लक्ष्य निर्धारित करने के लिए बहुत आवश्यक होती है। यदि कोई व्यक्ति नेतृत्व के लिए उपलब्ध नहीं होता तो इसके कई कारण कहे जा सकते हैं।
एक कारण यह हो सकता है कि वह ऐसे काम निपटाने में बहुत व्यस्त है जो इतने अधिक महत्त्वपूर्ण तो नहीं हैं किन्तु बहुत जरूरी होते हैं। दूसरा कारण यह हो सकता है कि नेतृत्व करने वाला व्यक्ति पूर्ण रूप से व्यवस्थित नहीं है। लेकिन नेतृत्व करने वाले व्यक्ति में यदि नम्रता होगी तभी वह अपने साथियों के लिए सहज उपलब्ध हो सकेगा तथा लोगों का विश्वास जीत सकेगा। दूसरों को जिÞम्मेदारियां बांटकर खुद खुश रहेगा और दूसरों को महत्वपूर्ण होने का एहसास कराएगा।
सहन करने की शक्ति
एक नेतृत्वकर्ता की राह में कई तरह की अस्थिरता, जटिलताएं एवं विरोध होते हैं। इन दबावों के बीच रहते सही ढंग से कार्य करने के लिए अत्यधिक सहनशक्ति की आवश्यकता होती है। नेतृत्व करने वाले व्यक्ति में सहनशीलता का गुण होता है। सहन के साथ शक्ति शब्द लगा हुआ है, इसका अर्थ यह है कि व्यक्ति आन्तरिक शक्ति, सहनशक्ति के द्वारा ही खराब परिस्थितियों तथा अत्यधिक दबाव को झेलने के योग्य बनता है।
नेतृत्व करने वाले व्यक्ति को बहुत-सी भिन्न-भिन्न परिस्थितियों को एक साथ संभालना पड़ता है। इसके लिए उसे अनेक महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने पड़ते हैं जिनके लिए वह स्वयं पूर्ण रूप से जिÞम्मेदार होता है। वह बिना आहत हुए अपनी आलोचना स्वीकार करता है तथा आलोचना सुनकर भारी महसूस नहीं करता। लेकिन जैसे ही नेतृत्व करने वाला व्यक्ति अपनी सहनशक्ति छोड़ देता है वैसे ही उसकी साख गिर जाती है। ऐसी स्थिति में दूसरे व्यक्ति उसके पीछे चलना छोड़ देते हैं। इसलिए अच्छे नेतृत्वकर्ता के लिए सहनशक्ति का होना बहुत जरूरी है।
लचीलापन या अनुकूलन क्षमता:
नेतृत्व करने वाला अपने लचीले दृष्टिकोण और खुद की समय और परिस्थिति के अनुकूल कर लेने की शक्ति के बल पर ही अपने लक्ष्य तक पहुंच पाता है। जिस तरह एक नदी अनेक विघ्न-बाधाओं के होते हुए भी अपना रास्ता स्वयं ढूंढ़ कर अंत में समुद्र में समा जाती है इसी तरह एक प्रभावी नेता में स्वयं का दूसरों के अनुकूल करने की योग्यता होती है
जिसके आधार से वह भिन्न-भिन्न व्यक्तियों और परिस्थितियों के कारण पैदा होने वाले विघ्नों को पार करता हुआ अपने लक्ष्य तक पहुंच जाता है। दूसरों के लिए रास्ता छोड़ने, झुकने और सहन करने के लिए उसे समझदारी से काम लेना होता है। जितनी अधिक व्यक्ति में अनुकूलन क्षमता होती है, उतना ही अधिक दबाव वह झेल सकता है।
परखने की शक्ति:
सही-गलत, सत्य-अर्धसत्य, लाभ और हानि की परख करने की शक्ति या योग्यता का होना एक अच्छे बॉस या नेतृत्वकर्ता में बहुत ही आवश्यक है। परख शक्ति का होना इतना जरूरी इसलिए भी है क्योंकि जो निर्णय नेतृत्वकर्ता को लेना है उससे अनेक व्यक्ति प्रभावित होते हैं। यदि उसमें परख-शक्ति का अभाव हो तथा सही परख न कर सकने के कारण वह गलत मार्ग चुन ले तो इसके नतीजे बहुत ही भयानक होते हैं।
सही परख-शक्ति के लिए एक शक्तिशाली सूचना प्रणाली की व्यवस्था बहुत जरूरी है, जिसका कार्य सूचनाओं को एकत्रित करके उनका चयन, विश्लेषण, संश्लेषण (मिलाना), प्राथमिकता का निर्धारण और मूल्यांकन करना होता है। परखने की शक्ति के द्वारा व्यक्ति एक बहुत अच्छी मूल्यांकन प्रणाली विकसित करता है।
निर्णय करने की शक्ति:
नेतृत्व करने वाले व्यक्ति का एक अन्य बहुत महत्त्वपूर्ण कार्य निर्णय लेने का होता है। वह सदा ऐसी परिस्थितियों में रहता है जहां से उसे आगे बढ़ने का निर्णय करना पड़ता है। निर्णय शक्ति से आशय केवल सही और गलत को परखना ही नहीं है लेकिन अपने सामने मौजूद अनेक विकल्पों में से श्रेष्ठतम को चुनने का निर्णय लेना होता है।
निर्णय लेते समय वह अपनी कल्पना, दूर-दृष्टि और रचनात्मकता का प्रयोग करके भविष्य के लिए एक शक्तिशाली कार्य योजना का निर्माण करता है। अनेक उपलब्ध विकल्पों में से किसी एक को चुनना निर्णय शक्ति द्वारा ही सम्भव होता है। व्यक्ति अपने पूर्व के अनुभवों के आधार पर भविष्य के लिए एक कार्य योजना बनाता है और उसे लागू भी करता है।