असाध्य रोग हुए छू-मंतर -सत्संगियों के अनुभव पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपार रहमत
प्रेमी सज्जन कुमार इन्सां सुपुत्र श्री जयकरण आठ मरला कॉलोनी, पटेल नगर, हिसार, जिला हिसार से पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपने पर हुई रहमत का वर्णन इस प्रकार करता है:-
लगभग सन् 2008 की बात है, मुझे हल्का सा बुखार हुआ। मैंने रहेजा अस्पताल में डॉ. रहेजा से दवाई ली। दो दिन तक आराम नहीं हुआ तो डॉक्टर के अनुसार मैंने सी.बी.सी. टैस्ट करवाया, जिसमें प्लेटलेट्स करीब पचास हजार मिले। डॉक्टर साहिब ने मुझे दो-तीन दिन की दवाई दी और फिर सी.बी.सी. टैस्ट करवाया। प्लेटलेट्स में कुछ सुधार हुआ, परंतु जितना सुधार होना चाहिए था, उतना नहीं हुआ। इस तरह कई बार सी.बी.सी. टैस्ट करवाया, परंतु पूरी तरह सुधार नहीं हुआ। डॉक्टर के अनुसार फिर मैंने बोन मैरो का टैस्ट करवाया ताकि पता चल सके कि प्लेटलेट्स कम क्यों हो रहे हैं। रिपोर्ट देखने पर डॉक्टर ने बताया कि जहां से प्लेटलेट्स बनते हैं, वहां पूरे बन रहे हैं, लेकिन खून में मिलकर उनकी संख्या कम हो जाती है।
फिर डॉ. रहेजा के अनुसार, मैंने डॉ. लवनीश गोयल को दिखाया जो जिंदल अस्पताल हिसार में कैंसर डिपार्टमेंट में बैठते हैं। डॉक्टर ने मेरी सभी रिपोर्ट्स देखकर मुझे दोबारा लाल पैथलैब जिंदल अस्पताल में ही सी.बी.सी. करवाने को कहा, तो रिपोर्ट में प्लेटलेट्स कम मिले। तब डॉक्टर ने मुझे दो-तीन दिन की दवाई दे दी। जब फिर से सी.बी.सी. टैस्ट करवाया तो प्लेटलेट्स में कुछ सुधार हुआ। डॉक्टर ने फिर दवाई दी और तीन दिन बाद यही टैस्ट फिर करवाने को कहा। इस प्रकार डॉक्टर मुझे 15-20 दिनों तक दवाई देता रहा और सी.बी.सी. टैस्ट करवाता रहा। हर बार सुधार होता। करीब 20 दिनों बाद प्लेटलेट्स पूरे हो गए अर्थात् डेढ़ लाख के लगभग। फिर डॉक्टर ने कहा कि अब आप एक सप्ताह के लिए दवाई बंद कर दें और सात दिन बाद फिर से टैस्ट करवाएं। सात दिन बाद टैस्ट करवाया तो प्लेटलेट्स कम हो गए।
जब डॉ. लवनीश गोयल को रिपोर्ट दिखाई तो उसने कहा कि रिपोर्ट ठीक नहीं है। मैंने कहा कि डॉक्टर साहब और दवाई बदलकर देख लें। डॉक्टर ने कहा कि मैंने आपको अच्छी से अच्छी दवाई देकर देख लिया है। अब यह इन दवाईयों से ठीक नहीं होगा। डॉक्टर ने मुझसे पूछा कि आप क्या काम करते हैं? मैंने कहा कि मैं शिक्षा विभाग में अध्यापक हूं। उसने कहा कि इसका एक ही इलाज है, प्लेटलेट्स पूरे करने के लिए कि आपको इंजेक्शन लगेंगे। मैंने कहा कि कोई बात नहीं, आप इंजेक्शन लगा दो, आप मेरे को ठीक कर दो बस! डॉक्टर ने कहा कि ये ऐसे इंजेक्शन नहीं हैं, यदि आप विदेशी इंजेक्शन लगवाएंगे तो 80 हजार रूपए का एक इंजेक्शन होगा और यहां का इंजेक्शन लगवाओगे तो चालीस हजार रूपए का एक इंजेक्शन होगा।
मैंने कहा कि डॉक्टर साहिब ऐसी क्या बीमारी है जो इतने महंगे इंजेक्शन लगेंगे! उन्होंने स्पष्ट न बताते हुए बात घुमाकर ब्लड कैंसर की ओर इशारा किया। मैं अचानक यह सुनकर सुन्न-सा हो गया और आगे बात करने की एक बार तो हिम्मत नहीं हुई। लेकिन कुछ देर बाद फिर से हिम्मत करके पूछा कि डॉक्टर साहब, एक इंजेक्शन से मैं ठीक हो जाऊंगा? डॉक्टर ने कहा कि आप एक इंजेक्शन से भी ठीक हो सकते हैं और दो-तीन या चार इंजेक्शन भी लग सकते हैं। अगर दोबारा प्लेटलेट्स कम नहीं हुए तो आगे इंजेक्शन लगाने की जरूरत नहीं है और यह इंजेक्शन छह महीने तक लगभग प्लेटलेट्स ठीक रखेगा। यदि आपकी किस्मत अच्छी हो तो हो सकता है कि आगे कभी और इंजेक्शन की जरूरत न पड़े।
मैं डरा हुआ था, मैंने एक सवाल और पूछा कि अगर इन इंजेक्शनों से भी ठीक नहीं हुआ तो फिर क्या होगा? डॉक्टर ने मुझे बताया कि इसके बाद एक और इलाज है जिसमें आपकी पित्ते की थैली निकालनी पड़ेगी। डॉक्टर के इतना कहने पर मैंने हिम्मत करके डॉक्टर से पूछा कि मैं घर वालों से सलाह करके आपको बताऊंगा। डॉक्टर ने कहा कि ठीक है, आप सलाह कर लें।
मैं मन ही मन रोता हुआ हिम्मत जुटाकर किसी न किसी तरह अपने घर पहुंचा, तो घरवालों ने मेरा उदास-सा चेहरा देखकर पूछा कि क्या बात है, आप ठीक तो हैं! मेरी घरवालों को बताने की हिम्मत नहीं हुई। लेकिन बार-बार पूछने पर मैंने घरवालों को सारी बात बता दी, जिसके बाद घरवाले भी यह सुनकर गुमसुम-से हो गए। मैं घर पर दो-तीन घंटे तक लेटा रहा, इसी दरमियान मुझे ख्याल आया कि क्यों ना गंगवा डेरा में जाकर वहां सेवादार भाई हरनेक सिंह इन्सां से मिलूं।
क्योंकि मैंने पन्द्रह साल पहले डेरा सच्चा सौदा में पूज्य हजूर पिता संत डॉ गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां से नामदान लिया था। मैं डेरा में मेहंदागढ़ी (हांसी) में कैंटीन पर सेवा किया करता था। वहां सेवादार भाई हरनेक सिंह जी सेवा किया व करवाया करते थे। मेरा उनसे बहुत प्रेम था। मैं भाई हरनेक सिंह जी के पास पहुंच गया और अपनी बीमारी के बारे में उसे बताया। उसने मुझे हौंसला देते हुए कहा कि मास्टर जी, तुम्हें कोई बीमारी नहीं है, तुम्हें कुछ नहीं होगा। आप चिंता न करें। हम दोनों कल ही सुबह पूज्य गुरु जी से मिलने सरसा दरबार चलेंगे और पूज्य पिता जी से तुम्हारी बीमारी के बारे में अर्ज करेंगे। पूज्य पिता जी की पावन दया-दृष्टि व वचनों से आप बिलकुल ठीक हो जाओगे।
मैं भाई जी की यह बातें सुनकर बड़ा खुश हुआ और अगले दिन सुबह मैं, सेवादार भाई हरनेक सिंह जी व मेरे जीजा जी, हम तीनों सरसा दरबार शाह सतनाम शाह मस्तान जी धाम व मानवता भलाई केन्द्र डेरा सच्चा सौदा सरसा (परमपिता शाह सतनाम जी धाम) में पहुंच गए। मजलिस के बारे में पता किया तो मालूम पड़ा कि आज सुबह मजलिस नहीं होगी और शाम की मजलिस है। इसलिए हम शाम तक रुक गए। शाम को मजलिस में रू-ब-रू प्रोग्राम था।
मजलिस शुरू हुई तो हम भी वहां बैठ गए। जब पूज्य हजूर पिता जी स्टेज पर विराजमान हुए तो मैंने जी-भरकर पूज्य पिता जी के दर्शन किए। पूज्य हजूर पिता जी ने वचन फरमाए, ‘जो लोग बीमार हैं, वो रू-ब-रू प्रोग्राम में बात न करें, वे किसी अच्छे डॉक्टर से दवाई लें या यहां डेरा सच्चा सौदा में जो अस्पताल है (शाह सतनाम जी स्पैशलिटी अस्पताल), यहां से दवाई लेकर जाएं और दवाई लेने से पहले पांच मिनट सुमिरन करेंं और जो लंबे समय से बीमार हैं वो यहां से प्रसाद लेकर जाएं, मालिक उन पर जरूर रहमत करेंगे।’ मैं हैरान हो गया कि पिता जी ने तो बात करने से मना कर दिया। रू-ब-रू प्रोग्राम में बातें करने वाली संगत खड़ी हो गई। प्रेमी बारी-बारी पूज्य पिता जी से बातें कर रहे थे तो हिम्मत करके मैं भी खड़ा हो गया। एक सेवादार भाई जिसके हाथ में माईक था, वह मेरे पास आया और पूछा कि आपने किस के बारे में बात करनी है? मैंने कहा कि बीमारी के बारे में। वह कहने लगा कि अभी पिता जी ने बीमारी के बारे में वचन किए हैं कि आप अस्पताल से दवाई ले लें। आप वचनों को मानें। दवाई ले लो, ठीक हो जाओगे। बीमारी के बारे बात नहीं हो सकती। मैं यह सुनकर उदास होकर बैठ गया कि बात नहीं हुई।
मजलिस के बाद पूज्य पिता जी के वचनानुसार मैं शाह सतनाम जी स्पैशलिटी हॉस्पिटल में दवाई लेने चला गया। मैंने पर्ची कटवाई और डॉक्टर से मिलने पहुंच गया। मैंने अपनी बीमारी के बारे उन्हें पूरा विस्तारपूर्वक बताया। डॉक्टर साहब ने लैब से खून टैस्ट करवाने के लिए लिख दिया। रिपोर्ट नॉर्मल आई यानि प्लेटलेट्स भी ठीक आए। मैं हैरान रह गया और बहुत खुश भी हुआ। डॉक्टर ने बताया कि आपको कोई बीमारी नहीं है, आप बिलकुल स्वस्थ हैं। मैं घर आ गया, परंतु मुझे विश्वास नहीं आया कि मैं लगातार तीन महीने से दवाई खा रहा हूं, तब रिपोर्ट ठीक क्यों नहीं आई और आज रिपोर्ट ठीक कैसे आ गई। कुछ दिनों के बाद मैं अपनी पिछली सारी रिपोर्टें साथ लेकर फिर से डेरे के अस्पताल में गया और डॉक्टर साहिब को सारी रिपोर्टस दिखाई।
डॉक्टर कहने लगा कि आप फिर दोबारा आ गए! आपको कोई बीमारी नहीं है। मेरे बार-बार कहने पर कि डॉक्टर साहब, मेरा खून एक बार फिर टैस्ट करवा दो, तो उन्होंने फिर से टैस्ट लिख दिया। परंतु रिपोर्ट फिर नॉर्मल आई। डॉक्टर साहब कहने लगे कि अपनी पुरानी रिपोर्टों को फाड़कर फेंक दो। उन्होंने मजाकिया अंदाज में आगे कहा कि यदि आपको डॉक्टर को ज्यादा फीस देने का शौंक है तो मैं जब अपना अलग से अस्पताल खोलूंगा तब मेरे पास आ जाना, तब मैं फीस ले लूंगा। तब से लेकर आज तक पूज्य सतगुरु पिता जी की रहमत से मैं करीब सोलह साल से बिलकुल ठीक हूं। पूज्य गुरु जी की कृपा-दृष्टि व वचनों से ही मेरा पहाड़ जैसा कर्म पलों में कट गया। मैं पूज्य गुरु जी से विनती करता हूं कि हे मेरे सतगुरु जी, आप हमारे ऊपर हमेशा ऐसे ही अपनी दया-मेहर बनाए रखना जी, हमें सभी बुराईयों से बचाए रखना जी और अपना दृढ़-विश्वास बख्शना जी।