आज के इस भौतिक युग में रिश्तों में टूटन पैदा हो रही है। मनुष्य जब तक कमाई कर रहा है, तब तक तो सब उसको पूछते व पूजते हैं, पर ज्यों ही वह रिटायर होता है, अर्थात काम-धंधा करना बंद कर देता है, तो अपने ही परिवार में उपेक्षित-सा होता चला जाता है। अपना ही जीवन उसे भारी लगने लगता है।
संयुक्त परिवार में तो फिर भी उनका जीवन यापन हो जाता है, पर एकल परिवार में वृद्ध ‘बोझ’ बन जाते हैं।
आज तो यह स्थिति आ गई है कि यदि माता-पिता के एक या दो से अधिक संतानें है तो यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि माता-पिता को कौन रखेगा। माता-पिता अपने बच्चों के पालन-पोषण के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा देते हैं, पर सारे बच्चे मिलकर भी अपने माता-पिता का पालन नहीं कर सकते।
एक हिंदी फिल्म ‘बागबां’ में आपने देखा ही होगा।
व्यक्ति की आर्थिक स्थिति पर भी उसका बुढ़ापा निर्भर करता है। यदि माता-पिता सब कुछ अपने पुत्रों को सौंप देते हैं, तो वे निश्चय ही दुख, तकलीफ पाते हैं। अपना सब कुछ अपने बच्चों को सौंप देने से उन्हें अपनी हर छोटी-मोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने बच्चों के आगे हाथ फैलाने पड़ते हैं, जो उचित नहीं है।
इन सबके अलावा भी बुढ़ापे में लोगों को कई समस्याओं (बीमारियों, छोटे-मोटे रोगों) का भी सामना करना पड़ता है। इसलिए अगर जवानी के समय से ही कुछ व्यवस्थाएं बुजुर्गावस्था के लिए कर ली जाएं, तो आगे चलकर परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता।
वर्तमान की भागदौड़ व व्यस्त जीवनशैली और महंगाई के दौर में कहीं न कहीं ये लाजमी भी हो गया है कि व्यक्ति जवानी में ही ऐसी व्यवस्था करे कि बुजुर्गावस्था न तो स्वयं को बोझ लगे और न ही उनके बच्चों को आप बोझ लगें। परिवार में प्रेम, प्यार, अपनेपन की भावना एक हद तक सही रहती है, लेकिन आने वाले समय का किसी को नहीं पता होता। इसलिए अच्छी व्यवस्था करना जरूरी है ।
आजकल शिक्षा और जागृति का युग है। इसमें अभी से आप अच्छी शिक्षा, जानकारी व अपने प्रयासों से ऐसे ही प्रयास करें कि आपका व आपके बच्चों का भविष्य उज्ज्वल हो! यह नहीं होना चाहिए कि अभी आप अपने बच्चों का करते-करते अपने समय को ही भूल जाएं और भविष्य में पश्चाताप करें कि ‘मैंने अपने लिए तो कुछ भी नहीं किया।’ …तो हम आपको यहां कुछ उपाय बता रहे हैं,
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जिन्हें आप अभी से अपनाकर अपने भविष्य की चिंताओं को दूर कर सकते हैं:-
पेंशन प्लान:
आप ऐसी व्यवस्था करें कि भविष्य में आपको किसी पर निर्भर न रहना पड़े। जो लोग सरकारी नौकरीपेशा हैं, उन्हें तो सरकार की तरफ से रिटायरमेंट के बाद अच्छी-खासी पेंशन मिल जाती है, लेकिन जो प्राइवेट नौकरी करते हैं, वे पेंशन भी प्राप्त कर सकते हैं।
इसके लिए आप अपने बैंक में एटीवाई, यानि ‘अटल पेंशन योजना’ के अंतर्गत खाता खुलवाएं और बैंक टर्म के अनुसार बचत शुरू कर दें। ये एक पेंशन योजना है, जिसका लाभ आपको 60 वर्ष की उम्र के बाद मिलेगा। इसके बारे में विस्तृत जानकारी आप बैंक से पता कर सकते हैं।
स्वास्थ्य बीमा:
वर्तमान में बहुत सी कंपनियां स्वास्थ्य बीमा करती हैं। आप अपनी कमाई के अनुसार अभी से कोई स्वास्थ्य बीमा अवश्य करवाएं। इसका लाभ आपको तब मिलेगा, जब आप किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित होंगे। भगवान ऐसा न करे, लेकिन भविष्य का किसी को कुछ नहीं पता। लेकिन पहले से व्यवस्था कर लेना फायदेमंद साबित हो सकता है।
जीवन बीमा:
बीमा मार्केट का दौर काफी बढ़ गया है। ऐसे में कंपनियां अपने क्लार्इंट को तरह-तरह के लाभ प्रदान कर रही हैं। एलआईसी जीवन बीमा, टाटा एलार्इंस या अन्य कई कंपनियां ऐसे अवसर प्रदान करती हैं, जिनमें आपको एक निश्चित समयावधि के बाद फिक्स एमाउंट मिलता रहता है।
कई ऐसे भी प्लान्स हैं, जिनमें एक्सीडेंट में मौत होने पर या व्यक्ति की नेच्युरैल डेथ पर भी परिजनों को बीमे की राशि प्राप्त हो जाती है। इनके बारे में विस्तृत जानकारी के लिए आप कंपनी के एजेंट्स से मिल सकते हैं। लेकिन सावधान रहें कि भारत सरकार द्वारा प्रमाणित कंपनियों से ही बीमा करवाएं। किसी चिटफंट कंपनी के झांसे में न फंसे।
बचत योजना:
बैंकों, डाकघरों इत्यादि में आप भविष्य के लिए बचत योजना के तहत कुछ रुपए हर माह जमा अवश्य करवाएं। आप अपनी कमाई के अनुसार जितने रुपए बचा सकते हैं, उन्हें बचत खाते में जमा करवाते रहें, इससे आने वाले समय में आपको परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
परिवार में प्रेम का माहौल:
अपने परिवार में हमेशा प्रेम-प्यार का माहौल कायम रखें। अगर आप अपने घर में सबसे बड़े हैं, तो आपकी जिम्मेदारी बनती है कि पूरे परिवार को एक-साथ लेकर चलें। घर में स्वयं की एक अलग इमेज रखें, ताकि हर कोई आपका दिल से आदर-सत्कार करे। रिश्तेदारियां चुनने में समझदारी दिखाएं, ताकि भविष्य में आपको परेशानी न उठानी पड़े।
अपने-आपको व्यस्त रखें:
अपने-आपको घर-परिवार में निरंतर व्यस्त रखें। नाती-पोतों को स्कूल ले जाना, उनका होमवर्क करवाना, साग-सब्जी आदि आवश्यक सामान की खरीदारी करना, नाते-रिश्तेदारी निभाना और इसी तरह घर-परिवार की छोटी-मोटी आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर कार्य करते-रहने से आपके प्रति सम्मान बना रहेगा।
इन सबके अलावा निम्न बातों पर भी ध्यान दें:
- यदि आपके बच्चों को कभी पैसे की जरूरत आ पड़े, तो उन्हें देने से इंकार न करें, क्योंकि जरूरत पर आपके द्वारा काम निकाले जाने से बच्चों के मन में आपके प्रति सम्मान बढ़ जायेगा और आप भी बोझ नहीं समझे जायेंगे! लेकिन इसका अर्थ यह भी नहंीं कि आप सारी जमा-पूंजी ही उनको निकाल कर दे दें!
- अत: माता-पिता को चाहिए कि अपने इस समय के लिए अपनी आमदनी का जरिया अवश्य रखें। अगर व्यापारी हों, तो अपने व्यापार पर नियंत्रण रखें और यदि नौकरीपेशा हैं, तो छोटा-मोटा व्यवसाय अवश्य करते रहें, ताकि आमदनी का जरिया बना रहे और परिवार वाले आपको बोझ न समझें।
- अगर आप स्त्री हैं, तो घर पर रसोई आदि का कार्य करती रहें ताकि परिवार पर आपकी पकड़ बनी रहे] लेकिन यदि आप अशक्त हैं तो बच्चों, व बहुओं से नम्रता से पेश आयें। अपने अधिकारों का प्रयोग न करें। अपनी झल्लाहट बेटे-बहू या नाती-पोतों पर न उतारें।
- हो सके तो अपने आने वाले दिनों के लिए किसी पर आश्रित न रहें।
अपने बुढ़ापे के खर्च का इंतजाम पहले से ही करके रखें तथा अपनी आमदनी व संपत्ति का भेद अपने तक ही सीमित रखें, जब तक कि आप जीवित हैं।
आज के समय में जब तक आपके पास निजी पैसा व अधिकार है, तभी तक आपका आदर-सम्मान सुरक्षित है और आपका बुढ़ापा भी सुरक्षित है।
– आरती रानी