Editorial -sachi shiksha hindi

मानवता का उद्धार ही संतों का मकसद -Editorial सम्पादकीय

संतों का सृष्टि पर अवतार धारण करने का मकसद मानवता का उद्धार करना है, जो वे अपने परोपकारी करमों से करते रहते हैं। इसके साथ ही स्वस्थ समाज का उत्थान, धर्म की नीति व रीति की स्वस्थ परम्पराओं को प्रोत्साहित करना उनका मकसद रहता है।

घर-घर में प्रेम-प्यार का प्रकाश हो, परमपिता परमात्मा की, राम-नाम की चर्चा हो, भक्ति-इबादत की चर्चा हो। संत-सतगुरु का यह भी एक मकसद रहता है कि सम्पूर्ण मानव समाज, ये पृथ्वी, आकाश-पाताल और दसों दिशाओं में सचखंड-सा स्थाई नजारा बने। संत-महापुरुष हमेशा इस बात पर भी जोर देते हैं कि हर इन्सान हक-हलाल, मेहनत की करके खाए, धर्म के कर्म हों, कहीं भी भ्रष्टाचार, हरामखोरी, रिश्वतखोरी, नशे आदि बुराइयां न हों, ‘न कोई वैरी नहीं बेगाना’ की भावना हर मानव-मन में पनपे और हमेशा बनी रहे, ताकि सब जगह खुशहाली हो, कभी कोई कमी किसी को भी न आए अर्थात् समाज की भलाई के लिए संत-महापुरुष सृष्टि पर आकर अपना पूरा जीवन लगा देते हैं। डेरा सच्चा सौदा के मौजूदा पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां का समस्त पवित्र जीवन ऐसी प्रतिभाओं की प्रत्यक्ष मिसाल है।

पूज्य गुरु जी 15 अगस्त 1967 को गांव श्री गुरुसर मोडिया जिला श्री गंगानगर (राजस्थान) के एक बहुत बड़े लैंडलॉर्ड पूजनीय बापू नम्बरदार मग्घर सिंह जी के घर अति पूजनीय माता नसीब कौर जी इन्सां की पवित्र कोख से ईलाही जोत के रूप में अवतरित हुए। पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज (डेरा सच्चा सौदा की दूसरी पातशाही) ने आप जी को 23 सितम्बर 1990 को डेरा सच्चा सौदा में गुरगद्दी पर बतौर तीसरे गुरु के रूप में विराजमान (गद्दीनशीन) किया।

आप जी ने पूजनीय सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज और पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के पावन वचनानुसार डेरा सच्चा सौदा की पाक-पवित्र शिक्षाओं को देश-विदेश में जन-जन तक पहुंचाया और ज्यों की त्यों पहुंचा भी रहे हैं। बेपरवाही वचनानुसार कि डेरा सच्चा सौदा दिन-दोगुनी, रात चौगुनी तरक्की करेगा व राम-नाम वाले, नेकी-भलाई करने वाले बढ़ेंगे।

बेपरवाही वचनों की सच्चाई आज पूरी दुनिया के सामने हैं। डेरा सच्चा सौदा के नाम-लेवा सत्संगी लगभग सात करोड़ (6 करोड़ 80 लाख) हैं, जो देश-विदेश के कोने-कोने में मौजूद हैं और वो अपने पूज्य गुरु जी की पावन प्रेरणाओं के अनुसार मानवता भलाई के 163 कार्यों को अमलीजामा पहनाए हुए हैं, बढ़-चढ़कर मानवता भलाई के कार्य कर रहे हैं। मानवता भलाई के क्षेत्र में डेरा सच्चा सौदा का नाम आज पूरे विश्व में जाना जाता है। खूनदान की कहीं भी जरूरत होती है, तो डेरा सच्चा सौदा के रक्तदाता एकदम उमड़ पड़ते हैं।

उद्देश्य अपने सतगुरु पूज्य पिता जी की प्रेरणा कि रक्त की कमी से किसी की जान न जाए। बेशक जिंदगी ईश्वर के हाथ है, लेकिन ये सेवादार अपने पूज्य गुरु जी के पावन वचनों पर डटकर फूल चढ़ाने को हर समय तैयार-बर-तैयार रहते हैं। सेवादारों के मानवता हित इस नि:स्वार्थ उत्साह को देखते हुए पूज्य गुरु जी ने अपने पवित्र मुखारबिंद से इन रक्तदाता सेवादारों को ‘चलते-फिरते ट्रयू ब्लड पंप’ के नाम से नवाजा है और यह भी किसी से छुपी हुई बात नहीं है कि रक्तदान के क्षेत्र में डेरा सच्चा सौदा के नाम तीन विश्व रिकॉर्ड हैं।

पर्यावरण संरक्षण में भी डेरा सच्चा सौदा का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। इस क्षेत्र (पौधारोपण) में भी डेरा सच्चा सौदा का नाम तीन बार गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। पूज्य गुरु जी की प्रेरणा कि ‘भला करने वाले भलाई किए जा, बुराई के बदले भलाई किए जा।’ चाहे कोई तुम्हें कुछ भी कहे, भलाई की राह पर बिना रोक-टोक के अपने-आपको, अपने कदमों को बढ़ाते जाना है। मानवता के मसीहा पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां जो पूरी सृष्टि पर मानवता की अलख जगाए हुए हैं, उन्हीं की पावन शिक्षाओं पर चलना डेरा सच्चा सौदा का हर श्रद्धालु अपना धर्म व कर्म समझता है।

डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत अपने पूज्य गुरु जी के पावन वचनों व उनकी पावन शिक्षाओं के प्रति तन-मन-धन से समर्पित है। पूज्य गुरु जी का उद्देश्य हमेशा मानवता का भला करना रहा है और इसलिए पूज्य गुरु जी हमेशा पूरी मानवता के भले के लिए परमपिता परमात्मा से दुआ करते रहते हैं। धर्मों का सत्कार, बिना किसी भेदभाव से हर प्राणी से नि:स्वार्थ प्यार करना आदि पूज्य गुरु जी की पावन शिक्षाओं के प्रति साध-संगत तन-मन से हर समय समर्पित है।
पावन अवतार दिवस मुबारक हो जी।

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