Table of Contents
छोटा परिवार खुशियां बेशुमार (Small Family Happiness)
जनसंख्या नियंत्रण:
ठोस कानून बनाने की जरूरत जिस गति से विश्व में जनसंख्या में वृद्धि हो रही है, उस अनुपात में ‘अर्थ ओवरशूट डे’ की अवधि भी सिमटती जा रही है। सन् 1969 में साल भर का संसाधन 13 महीने में खपत होता था, लेकिन आज वह वर्ष के सातवें या आठवें महीने में खत्म हो रहा है! यह चिंता की बात है कि भावी पीढ़ी के लिए हम संसाधनों का कौन-सा हिस्सा सहेज कर रख पाएंगे ?
संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी विश्व शहरी परिदृश्य-2018 के अनुसार, 2050 तक भारत के आधे लोग शहरों में बसे होंगे, जबकि एक दशक बाद टोक्यो को पछाड़कर दिल्ली दुनिया का सबसे बड़ी आबादी वाला शहर बन जाएगा।
‘हम दो हमारा एक ही काफी, वरना दो के बाद माफी’
बढ़ती जनसंख्या पर लगाम लगाने के लिए डेरा सच्चा सौदा हमेशा से प्रयासरत रहा है। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने साध-संगत से यह संकल्प करवाया है कि ‘हम दो, हमारा एक ही काफी, वरना दो के बाद माफी।’ इस मुहिम का व्यापक असर भी देखने को मिला है। डेरा प्रेमियों में बहुत से परिवार ऐसे भी हैं, जिन्होंने लिखित में प्रण
किया है कि वे एक ही संतान लेंगे, चाहे वह बेटी ही क्यों न हो। ( Small Family Happiness )
वायु प्रदूषण, घटता जलस्तर, आतंकवाद, कुपोषण इत्यादि बहुत-सी विश्व व्यापी गंभीर समस्याएं हैं, जिनके समाधान के लिए पूरे विश्व को एकजुट होने की आवश्यकता है। बढ़ती जनसंख्या भी इन्हीं में से एक हैं। विश्व में बहुत से देशों में तो बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण हेतु लगातार प्रयास किए जाते हैं,
परन्तु भारत जैसे देश में यह समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है। कुछेक धार्मिक संस्थान, समाजसेवी संस्थाएं व सरकार अपने स्तर पर जनसंख्या नियंत्रण के प्रयास में लगे हुए हैं, परंतु आमजन जब तक पूरी तरह से जागरूक नहीं होगा, तब तक किसी भी समस्या से पूरी तरह से नहीं निपटा जा सकता।
जनसंख्या नियंत्रण के प्रति जागरूक करने के लिए ही 11 जुलाई को विश्वभर में जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। इस दिन रैलियां, जनसभाएं कर बढ़ती जनंसख्या को रोकने के लिए बहुत से सुझाव तो दिए जाते हैं, लेकिन वह धरातल पर नहीं उतर पाते, यही बड़ी विडंबना है।
साल 2017 में देश में पहली बार असम सरकार ने अपने राज्य के लिए नई जनसंख्या नीति का मसौदा तैयार किया था, जिसके मुताबिक दो से अधिक बच्चे पैदा करने वालों को सरकारी नौकरी नहीं देने की व्यवस्था है। साथ ही दो संतान नीति का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को नौकरी सहित किसी भी सरकारी लाभ एवं सुविधाओं से वंचित होना पड़ सकता है।
यह प्रावधान भी रखा गया कि दो से अधिक संतान पैदा करने वाला व्यक्ति पंचायत या निकाय चुनाव भी नहीं लड़ सकता। जनसंख्या नियंत्रण को लेकर असम सरकार की यह पहल सराहनीय रही। अगर असम में यह कदम प्रभावी साबित होता है तो अन्य राज्य सरकारों को भी इस दिशा में कदम उठाने चाहिए। जागरुकता के जरिए बढ़ती जनसंख्या के प्रति आमजन को सचेत करना कारगर कदम तो है, किंतु कई बार कानून के भय से भी लोग गंभीरता से सुधरने का प्रयास करते हैं।
बढ़ती जनसंख्या के दुष् प्रभाव:
देश की आधी समस्याओं की मूल वजह जनसंख्या विस्फोट मानी जाती है। रोजगार व आवास की समस्या, भूखमरी, कुपोषण और बेरोजगारी की समस्या और बढ़ते प्रदूषण की समस्या का भी मूल कारण जनसंख्या विस्फोट ही है। बढ़ती आबादी के बरक्स दूसरी तरफ देखें, तो 32.87 लाख वर्ग किलोमीटर के साथ भारत का क्षेत्रफल सीमित है, लेकिन देश की आबादी में हर साल सवा करोड़ नये लोग जुड़ रहे हैं। बढ़ती आबादी के साथ ही पृथ्वी पर उपलब्ध संसाधनों की खपत भी बड़ी तेजी से बढ़ी है।
धरती एक साल में जितने संसाधन उत्पादित करती है, दुनियाभर की आबादी उन संसाधनों का 1 साल से पहले ही जिस दिन तक उपभोग कर लेती है उसे ‘अर्थ ओवरशूट डे’ के नाम से जाना जाता है। पिछले साल यानी 2018 में यह तिथि 1 अगस्त को मनाई गई थी। इसका अभिप्राय यह हुआ कि 2018 में धरती द्वारा उत्पादित जिस संसाधन को हमें 365 दिन उपभोग करना था, उसे हमने 1 अगस्त यानी साल के 212 वें दिन ही खत्म कर दिया।
इसका अर्थ यह भी हुआ कि साल के बाकी 153 दिन हमने संसाधनों का दोहन ही किया! ‘हाउ मेनी पीपल कैन द अर्थ सपोर्ट’ पुस्तक के लेखक जोएल कोहेन का कहना है कि ‘अब से लेकर शताब्दी के अंत यानी 2100 ई. तक प्रत्येक पांच-छह दिनों में दुनियाभर के शहरों की आबादी में दस लाख का इजाफा होगा!’ लेखक का यह अनुमान वैश्विक समाज के लिए एक चेतावनी ही समझी जानी चाहिए।
‘परिवार नियोजन’ अपनाने से बनेगी बात बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने की दिशा में ‘परिवार नियोजन’ की सुविधाओं को हर घर तक पहुंचाना सरकार और समाज की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। शायद ही कोई दिन ऐसा बीतता होगा, जब जनसंचार के माध्यमों से परिवार नियोजन से जुड़ी जागरूकता की बातें न बताई जाती हों! बावजूद इसके परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता की कमी व मानसिक पिछड़ेपन की वजह से आज भी कुछ लोग इसे अपनाने से दूर भागते दिखते हैं। नसबंदी को लेकर लोगों के जेहन में कई तरह की भ्रांतियां हैं, जिसे दूर किया जाना जरूरी है।
एक बच्चे वाले परिवारों के भविष्य को सुरक्षित रखने के प्रयास तथा उन्हें सम्मानित कर देशवासियों को इस दिशा में बढ़ने के लिए प्रेरित करना फायदेमंद साबित हो सकता है। इसके अलावा ‘हम दो, हमारे दो’ का नारा जो केवल विज्ञापनों तक ही सिमटकर रह गया है, उसे भी व्यवहृत किए जाने की जरूरत है। Small Family Happiness
मानव एक संसाधन के रूप में पृथ्वी पर उपलब्ध सभी तरह के संसाधनों में सबसे श्रेष्ठ है। दरअसल, व्यापक मात्रा में उपलब्ध भौतिक संसाधन तब तक महत्वहीन हैं, जब तक मानव उसकी महत्ता से अंजान है और उसका समुचित उपभोग नहीं करता है।
महात्मा गांधी जी ने एक बार कहा था कि ‘हमारे पास पेट भरने के लिए सब कुछ है, लेकिन पेटी भरने के लिए नहीं।’ बढ़ती जनसंख्या के लिए भोजन व अन्य मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना किसी चुनौती से कम नहीं है।
जनसंख्या नियंत्रण सरकार से ज्यादा देश के हरेक नागरिक की जिम्मेदारी होनी चाहिए। नियंत्रित जनसंख्या से ही हरेक परिवार में खुशहाली आएगी।
अत:
जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में हरेक स्तर पर प्रयास किये जाने की जरुरत है। इसमें सभी नागरिकों का सहयोग आवश्यक है।
शहरों में जनसंख्या का संकेंद्रण बीते कुछ दशकों के दौरान तेजी से बढ़ा है। जरा सोचिए, वनों, झीलों व कृषिगत भूमि की जीवित लाशों पर खड़ा शहर क्या शहरवासियों की स्वच्छ हवा, शुद्ध जल और साफ परिवेश की बुनियादी जरुरतों को पूरा कर पाएगी? बढ़ती जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति करना समाज और सरकार दोनों के लिए चुनौती होती है।
अत:
आवश्यकता इस बात की है कि जनसंख्या नियंत्रण संबंधी ठोस कानून लागू किए जाएं और इस संबंध में जागरूकता के प्रयास भी तेज किए जाएं।
भारत, चीन में रहती है विश्व की करीब 40% आबादी विश्व जनसंख्या 7.5 अरब चीन 1.41 अरब भारत 1.36 अरब संयुक्त राष्ट्र की मानें तो सन् 2055 तक विश्व जनसंख्या 10 अरब तक पहुंच जाएगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, सन् 2024 में भारत की आबादी करीबन 143 करोड़, 80 लाख होगी, जबकि उस समय चीन
143 करोड़, 60 लाख आबादी के साथ दूसरे स्थान पर आ जाएगा। चिंतनीय 2024 तक भारत की जनसंख्या होगी 143.80 करोड़ जोकि चीन से अधिक होगी
सच्ची शिक्षा हिंदी मैगज़ीन से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook, Twitter, Google+, LinkedIn और Instagram, YouTube पर फॉलो करें।